22 जुलाई। बेरोजगारी पर युवाओं को लामबंद करने में जुटे युवा हल्ल बोल ने इसपर चिंता जतायी है कि बेरोजगारी के कारण आत्महत्या करने का एक चौंकाने वाला ट्रेंड सामने आ रहा है। आत्महत्या की ये घटनाएं बताती हैं कि सरकारी नौकरी न मिल पाने की हताशा खुदकुशी की एक बड़ी वजह बन रही है।
युवा हल्ला बोल के राष्ट्रीय प्रवक्ता ऋषव रंजन बताते हैं कि 24 मार्च को इलाहाबाद में युवा महापंचायत से ठीक पहले, दो अभ्यर्थियों ने सरकारी नौकरी की परीक्षाओं की तैयारी के दौरान अपने पीजी में आत्महत्या कर ली थी, इस मामले को हमने महापंचायत में उठाया था। हाल ही में अंबेडकर नगर के विकास सिंह ने आत्महत्या कर ली और अपने सुसाइड लेटर में बेरोजगारी को सबसे बड़ी वजह बताया था। राजगढ़ (मध्यप्रदेश) के कुंदन के साथ भी यही कहानी थी, जिन्होंने पिछले हफ्ते आत्महत्या कर ली थी और अपने सुसाइड लेटर में सीएम शिवराज सिंह का नाम लिखा था।
युवा हल्ला बोल ने अपने ताजा बयान में कहा है कि कोरोना संकट ने छात्रों की मानसिक स्थिति को प्रभावित किया है और दबाव बढ़ाया है। दो साल से कई परीक्षाएं आयोजित नहीं की गईं या पूरी नहीं हुईं। इस सरकार ने नौकरियों का वादा तो किया लेकिन न्यूनतम माँगों को भी पूरा नहीं किया। जैसे लंबित रिक्तियों को भरने के मामलों में युवाओं को धोखा मिला। क्षतिपूरक प्रयास आशा पैदा करेगा और उन्हें फिर से तैयारी करने का मौका मिलेगा।
युवा हल्ला बोल के राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर गोविन्द मिश्रा ने कहा है कि अगर मोदी सरकार युवाओं को लेकर गंभीर है तो इस संकट में ‘आयु राहत’ देकर सरकारी नौकरी में क्षतिपूरक प्रयास का मौका उसे जरूर देना चाहिए। यूपीएससी, एसएससी, रेलवे और अन्य बड़ी परीक्षाओं में उन सभी छात्रों के लिए समान अवसर प्रदान करने के लिए ‘आयु राहत’ एक बड़ा सहारा होगा जो आवेदन नहीं कर सके और उनकी आयु समाप्त हो गई।
ऋषव रंजन और गोविंद मिश्रा दोनों ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर बेरोजगारी के मुद्दे पर चर्चा करने और समाधान निकालने के लिए मिलने का समय भी माँगा है।
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