10 अगस्त। वाराणसी में संयुक्त किसान मोर्चा और कुछ श्रमिक संगठनों की ओर से अगस्त क्रांति दिवस पर यानी 9 अगस्त को जिला मुख्यालय पर धरना दिया गया। भारत बचाओ का नारा दिया गया। धरने में यह मांग उठायी गयी कि तीनों कृषि कानून रद्द किये जायं। बिजली बिल-2020 वापस लिया जाय। स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप फसल की लागत तय की जाय और उस लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य घोषित किया जाय, समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी का कानून बने। श्रम कानूनों में किया गया फेरबदल रद्द किया जाय और नयी श्रम संहिता वापस ली जाय। न्यूनतम मजदूरी 21 हजार रु. प्रतिमाह तय की जाय। मनरेगा मजदूरों को साल में 200 दिन काम दिया जाय और रोजाना 600 रु. की मजदूरी तय की जाय। कोरोना काल में सभी जरूरतमंदों को 10 किलो अनाज मुफ्त दिया जाय तथा गैर-करदाता परिवारों को प्रतिमाह 7500 रु.नकद छह माह तक दिया जाय। सार्वजनिक क्षेत्र रेलवे, सड़क परिवहन, कोयला, रक्षा, सेल, भेल, दूरसंचार, डाक सेवा, बैंक, बीमा, बिजली, जलापूर्ति, शिक्षा, चिकित्सा आदि सेवाओं का निजीकरण रोका जाय। महंगाई पर रोक लगायी जाय। पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस के दाम आधे किये जायं। आवश्यक वस्तुओं, दवाइयों के दाम बांधे जायं। आवारा पशुओं से फसलों की सुरक्षा की जाय और पशु व्यापार से प्रतिबंध हटाया जाय। संविधान से मिले लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमले बंद किये जायं, आंदोलनों से रोक हटाई जाय तथा आंदोलन के लिए परमिशन की बाध्यता समाप्त की जाय।
इस धरने में समाजवादी जनपरिषद के अफलातून, एटक के उ.प्र. सचिव अजय मुखर्जी भारतीय किसान यूनियन के लक्ष्मण प्रसाद मौर्य, जय किसान आंदोलन के रामजनम, सीटू के शिवनथ यादव, किसान सभा के मिठाई लाल, रामजी सिंह, श्यामलाल सिंह आदि लोग शामिल थे।