12 अगस्त। देश के मौजूदा हालात से उपजी चिंताओं के मद्देनजर तमाम जनसंगठनों व प्रबुद्ध नागरिक की सक्रियता बढ़ रही हैं। आम अहसास यह है कि सत्तासीनों द्वारा संविधान और लोकतंत्र संगठित व सुनियोजित हमले हो रहे हैं। दूसरा, किसानों, श्रमिकों के हितों के खिलाफ जाकर कॉरपोरेट के पक्ष में नीतियां और कानून बनाये जा रहे हैं। इससे आम लोगों का जीवनयापन पहले से और मुश्किल हो रहा है, वहीं अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाना उनके लिए दिनोंदिन अधिक जोखिम-भरा होता जा रहा है। इसी अहसास के चलते समाजवादी नेता अरुण श्रीवास्तव, जस्टिस कोलसे पाटील, डॉ सुनीलम, बी.आर पाटिल, यादव रेड्डी, प्रो. शशिशेखर सिंह, कमल किशोर कठेरिया और लारेब अकरम के साझा प्रयासों से देश बचाओ संविधान बचाओ अभियान की पहल की गयी है।
इस पहल के तहत अनेक मुद्दे उठाये जाएंगे। जैसे, आठ महीनों से भी ज्यादा समय से किसान सब तरह की परेशानियां झेलते हुए सड़कों पर हैं, पर सरकार किसान-विरोधी काले कानूनों को वापस लेने को तैयार नहीं है। इसलिए कि वह कृषि क्षेत्र को कॉरपोरेट के हवाले करना चाहती है।
पूंजीपतियों को खुश करने के लिए मोदी सरकार ने जो किया उसे श्रमिकों पर हमला ही कहा जाएगा। श्रमिकों के लिए 44 कानून खत्म करके 4 लेबर कोड बना दिये। इस तरह, दशकों से श्रमिक आंदोलन ने अपने संघर्ष के बूते जो हासिल किया था उसे मोदी सरकार ने एक झटके में छीन लिया।
इतने पर ही कॉरपोरेट पर कृपा रुक नहीं गयी है। बड़ी-बंड़ी कंपनियों के हजारों करोड़ रु. बैंक से लिये कर्ज बट्टे खाते में डालने का सिलसिला पहले से ज्यादा तेजी चल रहा है। निजीकरण के रूप में हजारों करोड़ की सरकारी संपत्ति औने-पौने दामों पर बेची जा रही है।
इस सरकार के गलत फैसलों और जनविरोधी नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था का बहुत बुरा हाल है। कीमतें आसमान छू रही हैं। बेरोजगारी चरम पर है। गरीबों का जीना और भी मुहाल हो गया है।
हिंदुत्व के नाम पर सांप्रदायिक और गुंडा तत्त्व खुलेआम जहर फैलाने तथा समाज को तोड़ने और बेगुनाह लोगों को मारने-पीटने में लगे हैं। लेकिन भाजपा शासित राज्यों में पुलिस प्रशासन उनके खिलाफ कुछ नहीं करता। इससे यही लगता है कि यह सब एक सुनियोजित साजिश के तहत हो रहा है। राजद्रोह और यूएपीए जैसे कानूनों का चरम दुरुपयोग हो रहा है।
लोकतांत्रिक व्यवस्था के संचालन और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए जो संस्थाएं बनायी गयी थीं उनकी स्वतंत्रता पर सवालिया निशान लग गया है। चुनाव आयोग, सूचना आयोग, मानवाधिकार आयोग जैसे सरकार के निर्देश पर काम करनेवाले विभाग नजर आते हैं तो अधिकांश मीडिया राग दरबारी गाने में लगा है।
इन सब बातों के मद्देनजर देश बचाओ संविधान बचाओ अभियान की पहल की गयी है और इसके लिए 29 अगस्त को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब के डिप्टी स्पीकर हॉल में 29 अगस्त को एक सम्मेलन आयोजित किया गया है। एक न्यूनतम कार्यक्रम (जन घोषणापत्र) तैयार करना भी इस सम्मेलन का एक मकसद है। सम्मेलन की तैयारी बैठक में जस्टिस कोलसे पाटिल, अरुण श्रीवास्तव, शशि शेखर प्रसाद सिंह, कर्नाटक के पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष बी आर पाटिल, पूर्व सांसद अरुण कुमार, बिहार से पूर्व कैबिनेट मंत्री श्याम रजक, तेलंगाना से पूर्व एमएलसी के. यादव रेड्डी के अलावा शंकर आजाद, अजय अलमस्त, संजय कनौजिया, कमल किशोर कठेरिया, डॉ एसएन गौतम, शिवांशु, विजेंद्र कसाना, एमएस एंथोनी श्रीमंता राय, प्रशांत कनौजिया, सागर यादव, किशन सिंह तोमर, धर्मेन्द्र, शशि भूषण, वी आर गौतम, अभिमन्यु, अरुण माझी, अनिल शर्मा, उदयभान भी शामिल थे।
सम्मेलन में उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भी रणनीति पर चर्चा की जाएगी।