कानपुर में रिक्शाचालक पर बजरंग दल ने ढाया कहर, नागरिक संगठनों ने की जांच

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फोटो 'द हिंदू' से साभार

22 अगस्त। कुछ दिनों से सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल रहा है जिसमें कानपुर में एक रिक्शाचालक को कुछ लोग मारते-पीटते और उससे जबर्दस्ती जय श्रीराम बोलवाते दिखाई दे रहे हैं। कुछ जन सरोकारी तथा सौहार्दप्रिय समूहों के प्रतिनिधियों ने इस मामले की जांच की, घटनास्थल का दौरा किया, पीड़ित परिवार और आसपास के लोगों तथा पुलिस अफसरों से भी बातचीत की। जांच के बाद उन्होंने जो रिपोर्ट जारी की वह इस प्रकार है-     

निर्दोष मुस्लिम रिक्शा चालक के साथ बजरंग दल के कार्यकर्ताओं द्वारा धार्मिक अत्याचार और मार-पीट के संदर्भ में तथ्यात्मक जांच आख्या –

दिनांक – 19.08.2021

दिनांक 11 अगस्त 2021 को कानपुर के बर्रा थाना के चौधरी रामगोपाल चौराहा के नजदीक झुग्गी बस्ती में रहनेवाले अफ़सार अहमद को बजरंगदल के कार्यकर्ताओं ने मारा-पीटा और उनसे धार्मिक नारे लगवाये जबकि अफ़सार अहमद का विवाद से कोई संबंध नही था। वो तो सिर्फ एक साधारण ई-रिक्शा चालक है जो रिक्शा चलाकर अपने परिवार का पेट पालता है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में साफ-साफ देखा जा सकता है कि किस तरह गले में लाल रंग का गमछा डाले हुए युवकों की भीड़ अफ़सार अहमद के साथ मार-पीट कर रही है और उनसे जय श्रीराम का नारा जबरदस्ती लगवा रहे हैं।

इस पूरे घटनाक्रम की जांच हेतु सोशलिस्ट पार्टी एवं जन संगठनों का एक संयुक्त जांच दल दिनांक 18 अगस्त 2021 को पीड़ित परिवार से मिला और पूरे मामले की तथ्यात्मक जांच की। जांच दल में मुख्य रूप से कानपुर नागरिक मंच से डॉ मिनहाज जाफ़री, इंडियन मुस्लिम लीग अध्यक्ष के मो. सुलेमान, सीपीएम से कामरेड प्रताप साहनी, सोशलिस्ट पार्टी से केएम यादव एवं सामाजिक कार्यकर्ता भारत कुमार शामिल रहे।

जांच दल द्वारा मौके का मुआयना करने पर पाये गये तथ्यों के आधार पर तैयार एक संक्षिप्त जांच आख्या इस प्रकार से है –

चौधरी रामगोपाल चौराहे से एक रास्ता महेरबानसिंह पुरवा की ओर जाता है इसी रास्ते की शुरुआत में एक झुग्गी बस्ती है जिसमें लगभग 80-90 परिवार होंगे। पूरी बस्ती में लगभग 15-20 घर मुस्लिम परिवारों के होंगे। जो दैनिक मजदूरी करके अपना परिवार चलाते हैं। इसी बस्ती में घुसते ही तीसरे या चौथे नंबर का घर अफ़सार अहमद का है। घर पर टट्टर का दरवाजा और छत के रूप में पॉलिथीन की तिरपाल डली हुई है। घर के बाहर पुलिस का पहरा है और हर आने-जाने वाले का रिकार्ड रखा जाता है, हमारे भी नाम-पते नोट किये गये। जब हम अफ़सार के घर पहुंचे तो उस समय अफ़सार भाई घर पर मौजूद नहीं थे, उनकी पत्नी रुबीना बेगम से हमारी मुलाकात हुई। उन्होंने बताया कि अफ़सार भाई सुबाह 9 बजे पुलिसवालों के साथ मेडिकल के लिए हैलेट गये हैं, अभी आए नहीं हैं, कब आएंगे यह भी नहीं पता।

वहाँ मौजूद एक पुलिसकर्मी ने बताया कि उनको आने में समय लगेगा, कुछ पूछताछ संबंधी मामला भी है। ऐसे में हमने रुबीना बेगम जी से पूरे मामले के बारे में बताने के लिए अनुरोध किया। उनके अनुसार 11 अगस्त को दोपहर के 3 बजे के आसपास उनके पति (अफ़सार अहमद) सवारी छोड़कर घर आ रहे थे खाना खाने के लिए, उसी समय बजरंग दल की रैली भी बस्ती में आ रही थी, तभी बस्ती की रहनेवाली रानी गौतम (रानी गौतम अफ़सार अहमद के घर के सामने रहती हैं, विवाद का मुख्य कारण भी उन्हें ही माना जा रहा है) के इशारे पर बजरंग दल वालों ने उनके पति को पकड़ लिया और मारने-पीटने लगे, {रैली वालों ने ही उनके घर के बाहर लगा हरे रंग का झण्डा,“जिसे बरावफ़ात के दौरान लगाया गया था” भी उखाड़कर जला दिया} और उनसे जबरदस्ती जय श्रीराम का नारा लगाने के लिए कहने लगे और पीटते-पीटते चौराहे की ओर ले गये, वहाँ पर किसी ने उनकी दाढ़ी नोची, किसी ने हेलमेट से मारा, किसी ने लात से मारा, उनकी 7 वर्षीय बच्ची रोते हुए पापा को छोड़ देने की मिन्नतें करती रही पर किसी का दिल नहीं पसीजा और उनकी बच्ची को भी धक्का देकर जमीन पर गिरा दिया।

काफी देर के बाद पुलिसवालों ने अफ़सार को बचाया और जीप में बैठाकर थाने ले गये। रुबीना बेगम से जब हमने उनसे यह पूछा कि सिर्फ उन्हीं के पति को क्यों मारा, क्या उनका किसी से कोई विवाद या लड़ाई-झगड़ा हुआ था तो रुबीना बेगम ने बताया कि हमारा किसी से कोई विवाद नहीं है और न हम किसी से लड़ते-झगड़ते हैं, हम लोग कमाने-खाने वाले आदमी हैं, हमारे पास इतना समय ही नहीं है कि किसी से लड़ाई-झगड़ा करें,  हमारे घर के सामने रानी गौतम रहती हैं जिनका पड़ोस की ही रहनेवाली कुरैशा बेगम (सलमान और सद्दाम उनके बेटे हैं) के परिवार से कुछ विवाद चल रहा है उसी की खुन्नस हमारे पति से निकाली गयी है, न हम किसी के रिश्तेदार हैं और न किसी के दुश्मन, हमें तो बस बस्ती में दहशत पैदा करने के उद्देश्य से बलि का बकरा बनाया गया है। जब हमने उनसे पूछा कि क्या कोई धर्मांतरण का मामला है तो उन्होंने बतया कि ऐसा तो कुछ नहीं है, जहां तक उन्हें जानकारी है कि काफी दिन पहले सलमान के रिक्शे से रानी गौतम के घर के दरवाजे में थोड़ी टक्कर लग गयी थी, बस वहीं से पूरा विवाद शुरू हुआ है। अहं की लड़ाई को धर्मांतरण का रूप दिया जा रहा है।

जब हमने उनसे पूछा कि पुलिस द्वारा उनके मामले में कुछ कार्रवाई की गयी है तो उन्होंने बताया कि हाँ पुलिस ने कुछ लोगों को पकड़ा था पर उसी दिन उन्हें जमानत भी मिल गयी। गिरफ्तार लोगों में डॉन, अजय, राहुल, नेता पासवान आदि के नाम उन्होंने बताये। अंत में हमने उनसे पूछा कि वो सरकार से क्या मांग चाहती हैं तो उन्होंने बताया कि वो चाहती हैं कि इस पूरे मामले की कोर्ट में सुनवाई हो और दोषी लोगों को सख्त से सख्त सजा दी जाए।

पीड़ित परिवार से मिलने के बाद हमने स्थानीय लोगों से भी बातचीत की। कई लोगों ने तो इस मुद्दे पर बात करने से ही मना कर दिया पर कुछ महिलाओं ने नाम न लिखने की शर्त पर बताया कि धर्मांतरण जैसा कोई मामला नहीं है, यहाँ पर सभी लोग कमाने-खाने वाले लोग हैं, किसी के पास इतना पैसा नहीं है कि वो धर्मांतरण के लिए पैसे बांटते फिरे। जान-बूझ कर दहशत फैलाने के उद्देश्य से यह सब किया गया है।

पुलिस के साथ बातचीत में भी हमें धर्मांतरण से जुड़े कोई तथ्य नहीं मिले। उन्होंने कहा कि अभी जांच चल रही है, जैसे ही सच सामने आएगा, आप लोगों को बताया जाएगा। माहौल खराब करनेवाले सभी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

निष्कर्ष  

हमारी जांच के अनुसार पूरा मामला आपसी विवाद का है जिसका राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास किया गया है। अफ़सार अहमद एक बेहद साधारण गरीब व्यक्ति है जिसका इस विवाद से कोई लेना-देना नहीं था। उसे सिर्फ बलि का बकरा बनाया गया है। बजरंग दल जैसे संगठन समाज की फिज़ा खराब करने का प्रयास कर रहे हैं, ऐसे संगठनों पर प्रतिबंध लगना चाहिए।

हम सरकार से मांग करते हैं कि –

# इस पूरे मामले की न्यायिक जांच की जाए एवं घटनाक्रम में शामिल सभी अभियुक्तों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।

# इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए और अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ भी एक्शन लिया जाए।

# अफ़सार अहमद के परिवार को हुए आर्थिक एवं मानसिक नुकसान की क्षतिपूर्ति के साथ सुरक्षा एवं संरक्षा प्रदान की जाए।

प्रस्तुतकर्ता

संयुक्त जांच दल

कानपुर नागरिक मंच- 9415130822

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