23, अगस्त। सिंघू बॉर्डर पर 26-27 अगस्त को संयुक्त किसान मोर्चा के होनेवाले अखिल भारतीय सम्मेलन की तैयारी चल रही है। एसकेएम का दावा है कि उसे अपने घटकों से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है और इस सम्मेलन में सैकड़ों किसान संगठनों के भाग लेने की उम्मीद है।
26 अगस्त किसान आंदोलन के लिए एक बहुत अहम तारीख होगी। 26 अगस्त 2021 को, पूरे भारत में विरोध प्रदर्शनों तथा दिल्ली की सीमाओं पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों के नौ महीने हो जाएंगे, और पंजाब के कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शनों के नौ महीने से तीन महीने अधिक हो गए होंगे (यहाँ बहुत जल्द विरोध का एक वर्ष पूरा होगा)।
भाजपा-जजपा ने दिखाया किसान विरोधी रुख
इस ऐतिहासिक किसान आंदोलन की शुरुआत से ही हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार किसान विरोधी रही है। यह हरियाणा सरकार थी जिसने 25 नवंबर 2020 को, केंद्र सरकार के सामने अपनी समस्याओं और मांगों को प्रस्तुत करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी की ओर जा रहे प्रदर्शनकारी किसानों के काफिले को, रोकने के लिए रास्ते में कई बाधाएं खड़ी की थीं। दिल्ली की ओर जानेवाले किसानों पर की गई हिंसा के अलावा, सरकार द्वारा हरियाणा में कई अवैध गिरफ्तारियां की गईं। राज्य सरकार ने किसानों को डराने के लिए नए नए कानून बनाए, और लगभग 40,000 किसानों पर फर्जी मामले दर्ज किए, जिससे ऐसा लगा जैसे कि उसने अपने ही नागरिकों के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा हो। खट्टर सरकार की घबराहट कई मायनों में स्पष्ट है, जब राज्य में किसानों का आंदोलन जोर पकड़ रहा है। स्पष्ट है कि प्रदेश में भाजपा और जजपा नेता जनता का सामना करने और अपने किसान विरोधी कार्यों के लिए जवाबदेह बनाए जाने से डरे हुए हैं।
उप्र सरकार की बौखलाहट
उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार अपने जनविरोधी रुख में और आगे है। राज्य में जैसे-जैसे किसानों का आंदोलन तेज होता जा रहा है, योगी आदित्यनाथ सरकार और ज्यादा परेशान होती जा रही है। हाल के दिनों में यूपी में प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। पीलीभीत में मंत्री बलदेव सिंह औलख के खिलाफ शांतिपूर्ण काले झंडों के विरोध प्रदर्शन में भाग लेनेवाले 58 किसानों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है। राज्य के किसान संगठन इन मामलों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। यह नागरिकों के शांतिपूर्ण विरोध के मूल अधिकार का उल्लंघन है।
विधायक ने माफी मांगी
हरियाणा में, जजपा विधायक जोगी राम सिहाग कल बडोपट्टी टोल प्लाजा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों से माफी मांगने के लिए पहुंचे, और किसानों द्वारा पहले जारी किये गये अल्टीमेटम का पालन किया। हिसार जिले के सरसौद गांव में 14 अगस्त को विधायक के अनुयायियों द्वारा की गयी हिंसा को लेकर 58 से अधिक गांवों के किसानों ने कड़ी आपत्ति जतायी थी।