16 सितंबर। संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने ताजा बयान में कहा है कि किसानों की स्थिति के आकलन पर एनएसओ के 77वें दौर के सर्वेक्षण (2019 के आंकड़ों) स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि मोदी सरकार द्वारा किसानों की आय दोगुनी करने के खोखले दावों और वायदों के बावजूद, खेती (फसल उत्पादन और पशुपालन) से होने वाली औसतन ₹ 5380 प्रति माह आय, मजदूरी और गैर-कृषि व्यवसाय (₹ 4838 प्रति माह) जैसे अन्य स्रोतों से होने वाली आय से कम है। यह इस तथ्य के बावजूद कि खरीफ सीजन के दौरान 92.7% किसान परिवार फसल उत्पादन में लगे हुए हैं।
2019 में, अखिल भारतीय स्तर पर किसानों के लिए फसल उत्पादन से ₹ 3798प्रति माह शुद्ध प्राप्ति वास्तव में ₹ 4063प्रति माह मजदूरी से औसतन आय से कम थी।
एनएसएसओ के सर्वेक्षण के अनुसार 2013 में, खेती से शुद्ध प्राप्तियां ₹ 3081/माह, जबकि मजदूरी ₹ 2071 रुपये प्रति माह थी। देश के पंद्रह राज्यों में, फसल उत्पादन से शुद्ध प्राप्तियां राष्ट्रीय औसत ₹ 3798/माह से कम थीं, जो अपने आप में लगभग ₹ 125 प्रति कृषक परिवार प्रति दिन आता है। स्पष्ट है कि देश के किसानों को, जब उनकी आय के मुख्य स्रोत की बात करें तो उन्हें खेतिहर मजदूर बनाया जा रहा है। आश्चर्यजनक रूप से, किसानों के लिए सबसे अधिक फसल उत्पादन आय मेघालय में है, जिसके बाद पंजाब और हरियाणा का नंबर आता है।
हरियाणा भाजपा अध्यक्ष के बयान की निंदा
संयुक्त किसान मोर्चा की विज्ञप्ति के मुताबिक के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष ओपी धनखड़ ने प्रदर्शन कर रहे किसानों पर हास्यास्पद और बेहद निंदनीय आरोप लगाते हुए कहा है कि हरियाणा में किसानों के विरोध के कारण नशीली दवाओं का खतरा बढ़ गया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि यह निंदनीय है और एक बार फिर भाजपा के किसान विरोधी रवैये को दर्शाता है। एसकेएम ने कहा, “हम हरियाणा भाजपा नेता के इस बयान की निंदा करते हैं और उनसे इसे वापस लेने के लिए कहते हैं।”
किला रायपुर में अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स का परिचालन बंद
जैसा कि ज्ञात है, अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स को पंजाब में किसानों के विरोध के बाद किला रायपुर में अपने सूखे बंदरगाह में अपना परिचालन बंद करना पड़ा था। किसान शुरू से ही इशारा करते रहे हैं कि तथाकथित “सुधार”, जिसके लिए मोदी सरकार द्वारा 3 काले कानून अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक रूप से लाए गए थे, मुख्य रूप से सरकार के कॉर्पोरेट मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए थे। देश के किसान समझ चुके हैं कि मोदी सरकार किसानों और अन्य आम नागरिकों के हितों का त्याग कर कॉरपोरेट को फायदा पहुंचाने के लिए निकली है। यह सिर्फ दिल्ली के आसपास के किसान ही नहीं, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी लोग जानते हैं। असम में, किसान अडानी हवाई अड्डे के लिए भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं। वहां किसान अपनी जमीन से बेदखली का विरोध तो कर ही रहे हैं, अडानी समूह द्वारा हवाई अड्डे के प्रबंधन के अधिग्रहण का भी विरोध कर रहे हैं।
तरह तरह से समर्थन और एकजुटता
इस बीच देश भर में चल रहे आंदोलन को मजबूत करने के लिए किसान तरह-तरह के समर्थन और एकजुटता के तरीके अपना रहे हैं। महाराष्ट्र में आज नंदुरबार के बिसारबाड़ी में शेतकारी संवाद यात्रा शुरू हुई। प्रहार किसान संगठन के 38 किसान, जो 9 सितंबर को महाराष्ट्र से रवाना हुए थे, साइकिल यात्रा के 9वें दिन मध्य प्रदेश के मुरैना और राजस्थान के धौलपुर पहुंचे। वे मथुरा और पलवल से होकर गाजीपुर मोर्चा पहुंचेंगे।
नागराज कलकुटागर की पदयात्रा
संयुक्त किसान मोर्चा को प्रतिबद्ध और प्रेरित नागरिकों द्वारा किसान आंदोलन को आकार दिए जाने पर गर्व है। ऐसे ही एक व्यक्ति हैं नागराज कलकुटागर जो कर्नाटक के चामराजनगर जिले के एमएम हिल्स से सिंघू बॉर्डर तक पदयात्रा पर हैं। भू-स्थानिक प्रौद्योगिकीविद् नागराज ने 11 फरवरी 2021 को अपनी पदयात्रा शुरू की और पिछले 127 दिनों में अब तक 3250 किलोमीटर पैदल चल चुके हैं। उनका 26 नवंबर 2021 को सिंघू मोर्चा पर पहुंचने का कार्यक्रम है, जब आंदोलन दिल्ली की सीमाओं पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के 12 महीने पूरा कर लेगा। तब तक नागराज 7 महीने में किसानों और उनकी मांगों के समर्थन में 7000 किलोमीटर की दूरी तय कर चुके होंगे।
कामरेड कंचन को श्रद्धांजलि
संयुक्त किसान मोर्चा ने इंकलाबी मजदूर केंद्र के कामरेड कंचन (52) के आकस्मिक निधन के बाद उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। वह पिछले 8 महीनों से गाजीपुर मोर्चा पर आंदोलन का हिस्सा थे और अपने गानों और नाटकों से लोगों को प्रेरित करते थे।
भारत बंद की तैयारी बैठकें
27 सितंबर को भारत बंद को सफल बनाने के लिए विभिन्न स्थानों पर तैयारी बैठकें की जा रही हैं। आज इंदौर, मध्य प्रदेश और सीतामढ़ी, बिहार में व्यापारियों सहित योजना बैठकें आयोजित की गयीं। इंदौर में अखिल भारतीय किसान सभा की अध्यक्षता में हुई तैयारी बैठक में आल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन, किसान संघर्ष समिति, किसान मजदूर सेना, किसान सभा (अजय भवन), मप्र आदिवासी एकता परिषद समेत विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।