24 सितंबर। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 27 सितंबर को भारत बंद की अपील का युवाओं ने भी समर्थन किया है। ‘पढ़ाई कमाई दवाई’ जैसे मुद्दों पर मजबूती से संघर्ष कर रहे ‘युवा हल्ला बोल’ आंदोलन ने इस बाबत बयान जारी किया है। मालूम हो कि यह संगठन बेरोजगारी और निजीकरण के मद्देनजर युवाओं को लामबंद करने का अभियान चला रहा है। इसके अलावा एसएससी, यूपीएससी, रेलवे, बैंक से लेकर पुलिस और शिक्षक भर्ती को लेकर भी आंदोलन चलाया है।
बेरोजगारी को राष्ट्रीय बहस का विषय बनाने में अहम भूमिका निभा रहे ‘युवा हल्ला बोल’ अध्यक्ष अनुपम ने कहा कि जिस तरह इस सरकार ने किसानों के साथ धोखा किया, उसी तरह युवाओं के साथ भी रोजगार जैसे गंभीर सवाल पर जुमलेबाजी की है। मोदी सरकार की विफलताओं के कारण आज बेरोजगारी एक भीषण संकट ही नहीं राष्ट्रीय आपदा का रूप ले चुकी है। आगामी उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान ‘युवा हल्ला बोल’ के अभियान में खेती किसानी के साथ हुई बदहाली पर भी बात होगी। क्योंकि भारत में रोजगार और खेती का मुद्दा मजबूती से आपस में जुड़े हैं। फसल का उचित दाम मिलता और खेतीबाड़ी फायदेमंद होती तो एक बड़ा वर्ग आज रोजगार के लिए भटक नहीं रहा होता। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि खेती किसानी को लाभदायक बनाने की बजाय मोदी सरकार अपने चंद पूंजीपति मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए इसे नष्ट कर रही है। तीन कृषि कानूनों के विरोध में खड़ा हुआ ऐतिहासिक आंदोलन भारतीय कृषि क्षेत्र की दिशा और दशा तय करेगा।
अनुपम ने अपील की है कि देश को बचाने और बनाने के लिए अब हर देशप्रेमी को एकजुट होकर आवाज बुलंद करनी होगी। इसी क्रम में 27 सितंबर के भारत बंद को ‘युवा हल्ला बोल’ ने अपना समर्थन दिया है और बेरोजगार युवाओं से भी बढ़-चढ़कर ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ के नेतृत्व में हिस्सा लेने की अपील की है।
– ऋषव रंजन
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