27 सितंबर। आज संयुक्त किसान मोर्चा का भारत बंद का आह्वान एक ऐतिहासिक सफलता बन गया, जिसका प्रभाव देश के हर हिस्से में देखा गया। एकता और एकजुटता के इस प्रदर्शन में देश भर से करोड़ों लोग एक साथ आए।
ऐतिहासिक भारत बंद ने एक बार फिर किसान आंदोलन की ताकत और संकल्प का प्रदर्शन किया। किसानों के दिल्ली की ओर कूच करने के दस महीने पूरे होने के बाद, यह आंदोलन ताकत से ताक़तवर हो गया है और हर गुज़रते पल के साथ अधिक तीव्र और लोकप्रिय दिख रहा है।
जय किसान आंदोलन शुरू से ही किसान आंदोलन में बढ़-चढ़कर शामिल रहा है, जब यह आंदोलन 26 नवंबर, 2020 से पहले पंजाब और हरियाणा तक ही सीमित था। और इसने आंदोलन को बढ़ने और भारत के हर हिस्से तक पहुंचने में अहम भूमिका निभायी। जय किसान आंदोलन के सदस्यों ने किसान आंदोलन का संदेश दूर-दराज के गांवों के छोटे किसानों तक पहुँचाया।
सोमवार को जय किसान आंदोलन ने 12 राज्यों में कई स्थानों पर भारत बंद किया। गाजीपुर सीमा पर बंद के आयोजन में योगेंद्र यादव भी किसानों के साथ शामिल हुए। हरियाणा और पंजाब में, जय किसान आंदोलन ने दर्जनों स्थानों पर, विशेष रूप से भिवानी, रेवाड़ी, मनसा, मोहाली, आदि में बंद का आयोजन किया। तमिलनाडु के करूर जिले के सीतावलाई गांव में, सुश्री क्रिस्टीना सामी को रेल रोको कार्यक्रम में भाग लेने के दौरान हिरासत में लिया गया। राज्य भर में कई स्थानों पर बंद का आयोजन किया गया।
जय किसान आंदोलन के अध्यक्ष अविक साहा के नेतृत्व में, पश्चिम बंगाल के हर जिले में, विशेष रूप से कुलतली (दक्षिण 24 परगना), पांडुआ (हुगली), मौलाली (कोलकाता), आदि में बंद का आयोजन किया गया, और इसे किसानों और आम लोगों से लोकप्रिय समर्थन प्राप्त हुआ। अविक साहा खुद कोलकाता में किसानों के साथ जुड़े। बिहार में जय किसान आंदोलन ने पटना, सीतामढ़ी, रोहतास, सीवान, खगड़िया, बेगूसराय, नालंदा, मधुबनी में बंद का आयोजन किया। जय किसान आंदोलन और उसके सहयोगी संगठनों ने बेंगलुरु (कर्नाटक), बोकारो (झारखंड), हरदा (मध्य प्रदेश) में भी बंद का आयोजन किया।
इस अवसर पर, जय किसान आंदोलन के अध्यक्ष अविक साहा ने कहा, “मैं जय किसान आंदोलन के उन हजारों सदस्यों को बधाई देता हूं जिन्होंने इस भारत बंद को ऐतिहासिक सफलता दिलाई। हम तीन किसान विरोधी कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग दुहराते हैं और सरकार से किसानों के साथ तुरंत बातचीत शुरू करने का आह्वान करते हैं।”