27 सितंबर। देश के अन्नदाताओं की उचित मांगों के लिए शांतिपूर्ण विरोध के 10 महीने पूरे होने पर संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा किए गए भारत बंद के आह्वान को उत्साहवर्धक शानदार और अभूतपूर्व जनसमर्थन मिला। अधिकांश स्थानों पर समाज के विभिन्न वर्गों की सहज भागीदारी देखी गई। भारत के 23 से अधिक राज्यों से, कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की सूचना के बिना, बंद को शांतिपूर्ण ढंग से आयोजित किया गया। एसकेएम ने देशवासियों को बधाई देते हुए कहा है कि जिन्होंने आज के भारत बंद को पूरे दिल से और शांतिपूर्ण तरीके से सफल बनाया, और कुछ राज्य सरकारों, कई सह-संगठनों और अन्य संगठनों और कई राजनीतिक दलों ने समर्थन दिया वह सराहनीय है।
भारत बंद और इसके साथ होनेवाले कई कार्यक्रम के बारे में, आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पांडिचेरी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल से सैकड़ों स्थानों से रिपोर्टें आयी हैं। अकेले पंजाब में, 500 से अधिक स्थानों पर लोग बंद को समर्थन देने और किसान आंदोलन में अपनी भागीदारी व्यक्त करने के लिए एकत्र हुए। इसी तरह, बंद में कई गैर-किसान संगठनों को किसानों के साथ एकजुटता में, और अपने स्वयं के मुद्दों को भी उठाते हुए देखा गया। आज बंद के हज़ारों कार्यक्रमों में करोड़ों नागरिकों ने हिस्सा लिया।
केरल, पंजाब, हरियाणा, झारखंड और बिहार जैसे कई राज्यों में जनजीवन लगभग ठप हो गया। रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि दक्षिणी असम, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तराखंड के कई हिस्सों में भी यही स्थिति थी। तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में अनेकों विरोध प्रदर्शन हुए। जयपुर और बैंगलोर में, हजारों प्रदर्शनकारी शहरों में निकाली गई विरोध रैलियों में शामिल हुए।
मोदी सरकार द्वारा लागू की जा रही भाजपा-आरएसएस की नीतियों, बुनियादी स्वतंत्रता और लोकतंत्र पर अंकुश लगाने, और अधिकांश नागरिकों के जीवनयापन को खतरे में डालने से पूरे देश में असंतोष है। एसकेएम ने कहा, “यह स्पष्ट है कि भारतवासी किसानों की जायज मांगों और कई क्षेत्रों में जनविरोधी नीतियों के विरोध में मोदी सरकार के अड़ियल, अनुचित और अहंकारी रुख से त्रस्त हो चुके हैं।”
संयुक्त किसान मोर्चा इसके पहले भी भारत बंद आयोजित कर चुका है। इस बार के बंद के आह्वान को पहले की तुलना में अधिक व्यापक जनसमर्थन मिला है। लगभग सभी विपक्षी राजनीतिक दलों ने बंद को बिना शर्त समर्थन दिया, और वास्तव में वे साथ आने के लिए उत्सुक थे। श्रमिक संगठन एक बार फिर किसानों और श्रमिकों की एकता का प्रदर्शन करते हुए किसानों के साथ थे। विभिन्न व्यापारी और ट्रांसपोर्टर संघ, छात्र और युवा संगठन, महिला संगठन, टैक्सी और ऑटो यूनियन, शिक्षक और वकील संघ, पत्रकार संघ, लेखक और कलाकार, महिला संगठन और अन्य प्रगतिशील समूह इस बंद में देश के किसानों के साथ मजबूती से खड़े थे।
अन्य देशों में भी प्रवासी भारतीयों द्वारा समर्थन में कार्यक्रम आयोजित किए गए। विभिन्न किसान संगठनों को एक साथ लाने वाली ताकतों ने 25 सितंबर 2020 को भी भारत बंद किया था, जिसे संसद द्वारा 3 किसान विरोधी क़ानून पारित किए जाने के बाद, और उस पर राष्ट्रपति की सहमति से पहले बुलाया गया था। पिछले साल इसी समय के आसपास अखिल भारतीय लामबंदी हुई थी। बाद में, 8 दिसंबर 2020 को सरकार के साथ विभिन्न दौर की बातचीत के दौरान, एसकेएम द्वारा एक और बंद का आह्वान किया गया। जनवरी 2021 के अंत में वार्ता पूरी तरह से टूट जाने के बाद, 26 मार्च 2021 को एसकेएम द्वारा फिर से एक बंद का आह्वान किया गया, जिसके बाद यह 27 सितंबर 2021 का भारत बंद था।
योगी सरकार को अल्टीमेटम
गन्ना किसानों ने भाजपा की उत्तर प्रदेश सरकार को गन्ने की कीमत में मामूली बढ़ोतरी के बारे में एक अल्टीमेटम जारी किया है और घोषणा की है कि यह सरकार द्वारा धोखा है। किसानों का कहना है कि भाजपा सरकार ने उनका अपमान किया है। महज 25 रुपये की बढ़ोतरी से प्रति क्विंटल गन्ना उत्पादन की आधिकारिक रूप से स्वीकृत लागत भी नहीं आती है और इस तरह से अनुचित कीमतों की घोषणा करना पूरी तरह से तर्कहीन है। किसानों ने घोषणा की है कि वे ₹ 425 प्रति क्विंटल गन्ना से कम की किसी भी चीज के लिए समझौता करने को तैयार नहीं हैं, और यह भाजपा ने अपने घोषणापत्र में जो वादा किया था, उसके आधार पर तय किया गया है, लेकिन इसे लागू नहीं किया, और फिर बढ़ी हुई लागत!
शहीद भगत सिंह की 114वीं जयंती आज 28 सितंबर को एसकेएम और किसान आंदोलन द्वारा मनाई जाएगी।
मंगलवार को छत्तीसगढ़ के राजिम में किसान महापंचायत का आयोजन किया गया है। किसानों की इस सभा में एसकेएम के कई नेता शामिल होंगे।
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