आदमी कहाँ-कहाँ पीड़ित नहीं है
यह बार-बार, हर बार, हर बात
क्यों टिक जाती है
सिर्फ रोटी पर?
या बार-बार, हर बार, हर रोटी
फैलकर क्यों हो जाती है
एक व्यवस्था?
यह बार-बार, हर बार, हर व्यवस्था
क्यों हो जाती है एक राक्षस?
क्यों लील जाती है
लोगों की सुख सुविधाएं?
क्यों लगा दिया जाता है
किसी नए सूरज के उगने पर प्रतिबंध?
आदमी
कहाँ-कहाँ पीड़ित नहीं है?
अपने होने से
नहीं होने के बीच
आदमी कहाँ-कहाँ पीड़ित नहीं है?