पुष्पिता अवस्थी की कविता

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अहिंसा का ईश्वर – सुब्बाराव भाई जी

 

तुम्हारी अतिम सांस की प्राणवायु ने

संप्रेषित किया है संदेश –

 

कलम बनी हुई पवन की प्राणवायु ने

संपूर्ण पृथ्वी की वनस्पतियों पर

लिखा है –

“पृथ्वी-प्रकृति बचाओ का अभियान”

 

तुम्हारी अंतिम सांस की प्राणवायु ने

कलम बनी हुई पवन की प्राणवायु से

लिखा है – मानवता के संरक्षण का

अक्षय संदेश

     और

सिद्ध करने के कारगर उपाय

 

भाई सुब्बाराव जी ने

सात्विक समर्पण से अर्जित की है

अक्षय संजीवनी शक्ति –

“प्रकृति से तादात्म्य रचकर

तुम्हारी प्रार्थनाएँ

गुनगुना रही हैं – विश्व में

अंतरिक्ष के मौन का प्रशांत संगीत”

 

गौतम के बुद्धत्व वैभव ने

किया था – एक अंगुलिमाल का हृदय परिवर्तन

भाई ने 1970 में

चंबल घाटी के नृशंस डकैती समुदाय को

डकैत से बनाया – मनुष्य।

भाई की निर्भीकता के आलोक में

ईश्वरीय प्रेम के विश्वास में

गल गयी – निर्दयता की क्रूर

     अमानवीय पहल

हिंचक चेतना के

हथियारों ने किया – आत्म समर्पण

साक्षी हुए – आचार्य विनोबा

           लोकनायक जयप्रकाश जी सहित पूरा देश

संपूर्ण क्रांति को मिली –

अहिंसा की रचनात्मक शक्ति

स्वराज की नयी दिशा।

 

डॉ सलेम नंजुन्दैया सुब्बाराव के चित्त में

स्वदेश के लिए

पिघल रहा था – गांधीत्व की योजनाओं का

प्रासंगिक अमृत सत्त्व

 

चेन्नई में जन्मे जे. कृष्णमूर्ति हुए –

वैश्विक दार्शनिक चिंतक

7 फरवरी 1929 को बैंगलोर में जन्मे

डॉ एस.एन. सुब्बाराव जी

सिद्ध हुए प्रकृति के सांस्कृतिक पुरुष

जिन्होंने आत्मसात की

स्वाधीनता और स्वराज की

अक्षय शक्ति।

प्रार्थनाओं के अनुबंधों में

बाँधा – मानव चित्त के विभेद रहित संविधान को

किया साकार।

 

स्वाधीन भारत के

अमृत महोत्सव के 75 वर्षों में

हवन कर दिये अपने जीवन के युवा 75 वर्ष

समाज सेवा में।

जिसमें करते रहे उपासना – मानवीय मूल्यों की

और कराते रहे अभ्यास – राष्ट्र निर्माण का

जिसमें सदैव शामिल रही

विश्व चिंता

और

जय जगत

 

मतभेदों से परे

स्वराजी संविधान के आराधक भाई जी

युवा चित्त और चेतना पर

लिखते रहे अहर्निश – सजगता का सजल अभिलेखन

 

स्वाधीनता संघर्ष में

जितने गांधी के हुए भक्त

स्वराज्य के सृजन में हैं –

भाई सुब्बाराव जी के निष्पक्ष, निर्भय और

निर्वैर चेतना की अनुयायी युवा शक्ति

 

भाई सुब्बाराव ने

तैयार किया है – युवाओं का जन सैलाब

युवामित्रों की अटूट संघर्षवाहिनी

जिन्हें बनाया है – गांधी की वैचारिकी का चिंतक

             विनोबा जी का सजल उर शिष्य

             और जयप्रकाश जी की

             संपूर्ण क्रांति का सजग सदस्य

 

9 अगस्त 1942 को

सहपाठी मित्रों के साथ किया प्रथम बार

कक्षा का बहिष्कार

ब्रिटिश पुलिस गिरफ्तारी से पहले तक

दौड़ते-भागते दीवारों और सड़कों पर

लिखते रहे – ‘अंग्रेजो भारत छोड़ो’

स्वाधीनता की कक्षा के नागरिक बन

अपनी अंतिम सांस तक रहे – स्वतंत्रता के नागरिक

स्वाधीनता के अमृत महोत्सव पर्व में

शामिल है – उनके जीवन की अमरता

जिसको दर्ज किया है – नियति ने

अपने उज्ज्वल अभिलेख के साथ।

 

दक्षिण से उत्तर

पश्चिम से पूर्व

स्वदेश और विश्व में

भौगोलिक और हार्दिक मतभेदों की

दिशा भेद से परे

शांति से ही साधते रहे

विश्व मानवता का मंगल

 

अपनी सेवाओं को देते रहे

महात्मा गांधी जी के दर्शन के

नेतृत्व का तमगा –

स्वराज्य में स्थापित की युवाओं की संस्थाएँ

संस्थाओं को किया आपस में संगठित

और उन्हें बनाया

गांधी के विचारों का घर

 

सेवाग्राम से सेवाधाम तक

तय की विलक्षण यात्राएँ

 

भाई जी की वैचारिक चेतना की

प्रायोगिक – व्यावहारिक साधना का उदाहरण है – उनका जीवन।

 

जिस तरह

गांधी जी के लिए गौतम बुद्ध

सदैव स्वदेश में रहे

जिस तरह

विनोबा जी के लिए गीता

सर्वदा शक्ति और आत्मज्ञान का स्रोत रही

वैसे ही

डॉ. सुब्बाराव जी के लिए

सभी महापुरुष हमेशा इनकी ‘चेतना के स्वदेश’ में रहे

वैसे ही – भाई सुब्बाराव जी

           गये नहीं

           बल्कि हैं और सदैव रहेंगे।

 

गांधी, विनोबा और जयप्रकाश जी –

और स्वाधीनता के महापुरुषों की

वैश्विक विचारणा से

हम लोगों को सदैव जोड़े हुए

जुड़े रहेंगे

हम सबकी चेतना से।

 

“अपने विचारों का

सचेतन पुरुष

सिद्ध पुरुष

स्वयं की साधना से ही

संभव है।”

 

सुब्बाराव जी की अंतिम प्राणवायु का

यही अमित ऐतिहासिक अभिलेख है।

3 COMMENTS

  1. समता मार्ग
    समानता की ऐतिहासिक आख्यायिका है।
    सत्य और अहिंसा से हीविश्व मे समता का अक्षत दस्तावेजी मार्ग प्रशस्त होगा।जिसका प्रकाश-पथ समता मार्ग पोर्टल में अनुभव हो रहा है।
    यह “अभियानी जन-आंदोलन “जन-मन के संकल्पी आयोजनों का आधार और कीर्ति
    स्तम्भ सिद्ध हो।इसी महती कामना के साथ

  2. प्रसिद्ध गाँधीवादी, सामाजिक कार्यकर्ता, भारत के गवर्नर, अपने दर्शन तथा सुधारवादी कार्यों के लिए अनेक पुरस्कारों से सम्मानित डॉ.एस. एन. सुब्बाराव के सम्पूर्ण जीवन को रूपायित करती डॉ. पुष्पिता अवस्थी जी की यह कविता अपने आप में अनोखी है।चंद शब्दों में बड़ी सहजता के साथ सुब्बाराव जी के जीवन चरित
    एवं कार्यों को प्रस्तुत कर देना कवयित्री की प्रतिभा का जीवंत उदाहरण है।

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