19 नवंबर। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि तीन किसान-विरोधी, लोक-विरोधी और कॉरपोरेट-समर्थक काले कानूनों को निरस्त करने के भारत सरकार के निर्णय के संबंध में प्रधानमंत्री द्वारा शुक्रवार सुबह की गयी घोषणा स्वागतयोग्य है और भारत के किसानों की एकजुटता की पहली बड़ी जीत है। कानूनों को निरस्त करने के लिए मजबूर कर किसानों के संघर्ष ने देश में लोकतंत्र और भारत में संघीय राज्य व्यवस्था को बहाल किया है। हालाँकि, अभी भी कई मांगें लंबित हैं और प्रधानमंत्री श्री मोदी को इन लंबित मामलों के बारे में जानकारी है।
एसकेएम ने उम्मीद जताई है कि भारत सरकार 3 किसान विरोधी कानूनों को निरस्त करने की घोषणा करके झुकी है, वह घोषणा को बेकार नहीं जाने देगी, और विरोध कर रहे लाभकारी एमएसपी की गारंटी के लिए कानून सहित किसानों की सभी जायज मांगों को पूरा करेगी। एसकेएम भी सभी घटनाक्रमों का आकलन करेगा और अपनी अगली बैठक में आगे के लिए आवश्यक निर्णय लेगा। इस अवसर पर एसकेएम ने अब तक इस आंदोलन में शहीद हुए लगभग 675 किसानों को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। पंजाब सरकार ने घोषणा की है कि वह इन साहसी शहीदों के लिए एक उपयुक्त स्मारक बनाएगी।
हांसी में एसपी दफ्तर का घेराव
हरियाणा के हांसी में पुलिस अधीक्षक कार्यालय के बाहर, घेराव के किसान संगठनों के आह्वान पर आज भारी संख्या में किसान घेराव कार्यक्रम में शामिल हुए। 5 नवंबर को राज्यसभा भाजपा सांसद रामचंदर जांगड़ा के खिलाफ काले झंडे के जरिए प्रदर्शन कर रहे तीन किसानों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी वापस लेने की मांग की जा रही है। उस विरोध कार्यक्रम में, किसान कुलदीप राणा गंभीर रूप से घायल हो गए थे और बाद में उन्हें दो सर्जरी करानी पड़ी। किसान इस प्रकरण के लिए भाजपा नेता और उनके पीएसओ के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग कर रहे हैं। जांगड़ा ने मीडिया साक्षात्कारों में विरोध कर रहे किसानों को विभिन्न प्रकार के अपमानजनक और अपत्तिजनक नामों जैसे बेरोजगार शराबी, नशेड़ी आदि कहा था और अब तक अपनी टिप्पणियों को वापस नहीं लिया है, न इसके लिए माफी मांगी है।
एसआईटी के स्वरूप पर सवाल
उत्तर प्रदेश के किसान संगठनों और एसकेएम ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आईपीएस अधिकारी पद्मजा चौहान को लखीमपुर खीरी हत्याकांड की जांच के लिए यूपी सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल में शामिल किए जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की है। यूपी के विभिन्न जिलों में उनके कार्यकाल की एसकेएम के संज्ञान में आयी विभिन्न रिपोर्टों के अवलोकन से पता चलता है कि इस अधिकारी का रिकॉर्ड किसानों के संघर्ष के खिलाफ और मीडिया का मुंह बंद करने के इर्द-गिर्द भी रहा है। गुरुवार को एसकेएम ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कुछ विशिष्ट विवरण साझा किए थे। एसकेएम ने उम्मीद जताई है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले को देखेगा, क्योंकि एसआईटी के पुनर्गठन और जांच की निगरानी के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आरके जैन को नियुक्त करने का उद्देश्य निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच को सुनिश्चित करना है।
26 नवंबर की तैयारी तेज
26 नवंबर को किसान आंदोलन की पहली वर्षगांठ के अवसर पर बड़ी संख्या में किसानों के मोर्चा स्थलों पर पहुंचने का सिलसिला तेज हो रहा है। इसी तरह लखनऊ किसान महापंचायत को सफल बनाने के लिए भी जोरदार लामबंदी चल रही है।
किसानों ने मनायी नानक जयंती
शुक्रवार को गुरुपरब- बाबा गुरु नानक देव की जयंती – पर संयुक्त किसान मोर्चा ने सभी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए गुरु नानक जी द्वारा बताए गए मूल्यों से प्रेरणा लेने और आगे बढ़ने का संकल्प लेने का यह दिन है। दिल्ली के आसपास के सभी मोर्चा स्थलों पर और अन्य राज्यों में यह दिन श्रद्धा के साथ मनाया गया। तीन किसान विरोधी कानूनों की वापसी की खबर ने जश्न को और गहरा कर दिया है। प्रदर्शनकारियों में नया जोश और उत्साह देखने को मिला। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि सामाजिक कुरीतियों और अत्याचार के खिलाफ बाबा नानक की सीख आंदोलन का मार्गदर्शन करती रहेगी।