एमएसपी नहीं तो आंदोलन वहीं : जय किसान आंदोलन

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7 दिसंबर। देश के तेरह राज्यों में फैला किसान संगठन जय किसान आंदोलन ने द्वारा 7 दिसम्बर 2021 से पूर्वी उत्तर प्रदेश में किसान महापंचायतों का आगाज किया। इसके तहत मंगलवार को जौनपुर के गुलाबी देवी महाविद्यालय, सिद्दीकपुर में पहली महापंचायत का आयोजन किया गया। इसके बाद अगली महापंचायत का आयोजन 8 और 9 दिसम्बर को क्रमशः आजमगढ़ और बलिया में किया जाएगा।

मंगलवार को हुई महापंचायत में पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों को दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन की स्थिति से अवगत कराते हुए उन्हें किसान संघर्ष की आगामी दिशा और कार्यक्रमों के बारे में बताया गया। साथ ही, इन महापंचायतों के द्वारा फलों और सब्जियों जैसी स्थायी फसलों के लिए राज्य स्तरीय एमएसपी गारंटी और इस बार धान की खरीद में सभी किसानों को एमएसपी दिलाने जैसे किसानों के ज्वलंत मुद्दे रेखांकित किए जाएंगे।

जय किसान आंदोलन के संस्थापक योगेंद्र यादव सिंघु बॉर्डर पर अति महत्वपूर्ण बैठक होने के कारण जौनपुर नहीं आ सके पर उन्होंने फोन के जरिए सभा को सम्बोधित किया। योगेंद्र यादव ने सभा को सूचित किया कि सरकार से पहली बार लिखित आधिकारिक जवाब आया है और संयुक्त किसान मोर्चा आज उसपर चर्चा कर रहा है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन की सबसे बड़ी ताकत उसकी एकता है। किसान जब तक एकजुट रहेंगे, सरकारों को उनके सामने झुकना पड़ेगा। योगेंद्र यादव ने सभा में शामिल न होने के माफी माँगी और मौका मिलते ही जौनपुर आने का वादा किया।

जय किसान आंदोलन के जौनपुर जिलाअध्यक्ष अश्विनी कुमार यादव ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा, “किसानों को संघर्ष अब एमएसपी गारंटी कानून बनाने की माँग को मजबूती देने के लिए करना होगा। बिना एमएसपी गारंटी के किसान आंदोलन अधूरा है।”

जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अविक साहा ने कहा : “किसान आंदोलन में कानून-वापसी के बाद जीत के जश्न के दौरान हमें काफी सजग रहना होगा। हमें ध्यान रखना होगा कि हम किसान आंदोलन की अन्य अधूरी माँगों पर लगातार संघर्षरत हैं।

सभा के अंत में जय किसान आंदोलन जौनपुर के जिलाध्यक्ष अश्विनी यादव ने राष्ट्रीय अध्यक्ष को हल प्रस्तुत कर वचन दिया कि पूर्वांचल में किसान आंदोलन को मजबूत करने में जौनपुर अग्रणी भूमिका निभाएगा।

गौरतलब है कि जय किसान आंदोलन, संयुक्त किसान मोर्चे और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संस्थापक सदस्यों में से एक है और 2015 से किसानों के मुद्दों पर यात्रा, रैली, प्रदर्शन और अन्य जमीनी गतिविधियों द्वारा लड़ाई लड़ रहा है।

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