मप्र में न फसल का भुगतान हो रहा न ही किसान सम्मान निधि का

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22 फरवरी, इंदौर। मध्यप्रदेश सरकार किसान हितैषी होने का दम भरते नहीं थकती है, दूसरी ओर किसानों का फसल बकाये का करीब ढाई करोड़ रुपए का भुगतान नहीं हो रहा है। मंडी में बेचे गए अनाज के करीब ढाई करोड़ रुपए लेकर व्यापारी फरार हो चुके हैं और उनके भुगतान के लिए दो बार इंदौर कलेक्टर ने मंडी संचालक और आयुक्त को लिखा भी है, लेकिन आज तक मंडी निधि से इन किसानों का भुगतान नहीं हुआ है। इससे ‘अपराधी व्यापारियों’ के हौसले बुलंद हैं और वे फिर व्यापारियों से माल खरीदकर फरार हो रहे हैं।

इस संबंध में संयुक्त किसान मोर्चा और इंदौर के अन्य किसान संगठनों ने मंडी बोर्ड के संचालक और आयुक्त तथा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर 8 दिन में किसानों का भुगतान कराने की मांग की है अन्यथा मंडी बोर्ड के भोपाल कार्यालय के समक्ष किसान आंदोलन करने की चेतावनी दी है ।

श्री मंत्री एवं जाधव ने बताया कि हाल ही में 200 किसानों का आलू व प्याज खरीद कर एक फर्म फरार हो चुकी है। संयुक्त किसान मोर्चा के इंदौर के संयोजक रामस्वरूप मंत्री, किसान संघर्ष समिति के प्रदेश सचिव दिनेश सिंह कुशवाहा, किसान मजदूर सेना के प्रदेश अध्यक्ष बबलू जाधव ने उक्त जानकारी देते हुए कहा है कि मंडी के अंदर बेची गयी फसल का भुगतान कराने की जिम्मेदारी मंडी बोर्ड की है और यदि वह व्यापारी से भुगतान नहीं करा पाता है तो उन्हें मंडी निधि से भुगतान किया जाना चाहिए। लेकिन पिछले तीन साल से इंदौर जिले के 186 से अधिक किसान अपने ढाई करोड़ रुपए से अधिक की राशि के भुगतान के लिए भटक रहे हैं।

इंदौर कलेक्टर ने इन किसानों के आंदोलन करने और ज्ञापन देने के बाद मंडी बोर्ड के आयुक्त को लिखित में निर्देश दिए थे कि मंडी निधि से इन किसानों का भुगतान किया जाए। इंदौर के भार साधक पदाधिकारी और मंडी के अधिकारी भी चाहते हैं कि मंडी निधि से किसानों का भुगतान कर दिया जाए । हालांकि व्यापारियों की संपत्ति मंडी समिति ने जब्त की है और उनकी नीलामी होना है उससे भी राशि प्राप्त होगी वह मंडी निधि के नुकसान को पूरा कर देगी। लेकिन आज जो किसान अपने भुगतान के लिए परेशान हैं उन्हें मंडी निधि से भुगतान किया जाना चाहिए।

इस संबंध में संयुक्त किसान मोर्चा, किसान संघर्ष समिति और भारतीय किसान मजदूर सेना ने संयुक्त रूप से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री, कृषि मंत्री, प्रधानमंत्री और मंडी बोर्ड के आयुक्त तथा संचालक को ज्ञापन और पत्र भेजकर मांग की है कि तत्काल मंडी निधि से भुगतान के आदेश दिए जाएं।

इस संबंध में मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में किसान नेताओं ने कहा है कि इंदौर तथा आसपास के सैकड़ों किसानों से उनकी उपज खरीदने के बाद कई फर्जी व्यापारी फर्मों ने उन्हें बोगस चेक दिए हैं तथा करोड़ों रुपए का भुगतान न करते हुए ऐसे धोखेबाज व्यापारी फरार हो गए हैं। ताजा घटना इंदौर की है। यहां 200 से ज्यादा किसानों से आलू और प्याज खरीदने के बाद उन्हें भुगतान न करते हुए अपने ऑफिस पर ताला डालकर व्यापारी फरार हो गए हैं और किसानों का करोड़ों रुपया बकाया हो गया है। इंदौर के भांबोरी क्षेत्र में ट्रेडिंग कंपनी खोलकर 200 से ज्यादा किसानों के डेढ़ करोड़ रुपए से अधिक के आलू और प्याज खरीदें और फिर कंपनी के दो संचालक दफ्तर बंद कर भाग गए।

ठगाए किसानों ने विजय नगर थाने में शिकायत भी की है, लेकिन अभी तक उन धोखेबाज व्यापारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अंकित विश्वकर्मा और उसके साथ ही सचिन सिंह ने मुकाती ट्रेडिंग कंपनी के नाम से इंदौर के भंंभोरी में ऑफिस खोला और 200 से ज्यादा किसानों से आलू और प्याज खरीदा। इन किसानों में शिप्रा, सांवेर, मांगलिया, देवास के किसान भी शामिल हैं। लेकिन आलू और प्याज का भुगतान करने के बजाए वे व्यापारी अपनी फर्म को बंद कर फरार हो गए।

गौरतलब है कि किसानों के साथ इस तरह की ठगी का यह पहला मामला नहीं है। इसके पूर्व भी इंदौर, कुक्षि, धामनोद सहित आसपास की कई मंडियों में मंडी के लाइसेंसी व्यापारियों द्वारा किसानों की उपज खरीदने के बाद उनका भुगतान नहीं करने की अनेकों घटनाएं हुई हैं। इंदौर में ही 3 वर्ष पूर्व मंडी समिति की लाइसेंसी फर्म ने करीब 186 किसानों से करोड़ों रुपए का अनाज खरीदा और बाद में उन्हें भुगतान नहीं किया गया। किसानों ने अपने भुगतान के लिए मंडी समिति से लेकर कलेक्टर तक कई बार गुहार लगायी। अंतत: यह फैसला हुआ था कि व्यापारियों की जब्त संंपत्ति नीलाम की जाए तथा जब तक संपत्ति नीलाम ना हो तब तक किसानों को राहत देते हुए मंडी निधि से उनका भुगतान किया जाए। इस संबंध में इंदौर कलेक्टर ने मंडी बोर्ड के चेयरमैन को तथा संचालक को प्रस्ताव बनाकर भी भेजा है। इस प्रस्ताव को वैसे भी कई माह बीत चुके हैं। लेकिन अभी तक किसानों का भुगतान नहीं हुआ है।

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