यूक्रेन पर हमले के खिलाफ रूस के दर्जनों शहरों में प्रदर्शन

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25 फरवरी। रूस में युद्ध-विरोधी रैलियों में हिस्सा लेने के चलते 53 शहरों में लगभग 1700 लोग हिरासत में लिये गए। 700 प्रदर्शनकारी राजधानी मॉस्को और 400 सेंट पीटर्सबर्ग में पकड़े गए। रूस में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के खिलाफ सख्त कानून हैं।

रूस में यूक्रेन पर हुए हमले के खिलाफ दर्जनों शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं। पुलिस ने 1700 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है। रूसी राष्ट्रपति के दफ्तर क्रेमलिन ने कहा कि यूक्रेन को ‘आजाद’ करवाने और ‘नाजियों से खाली करवाने’ की जरूरत है। और, उसे भरोसा है कि रूसी जनता इस युद्ध का समर्थन करेगी।

मगर जैसे-जैसे यूक्रेन से हमले की तस्वीरें आने लगीं और वहां हो रही मौतों के बारे में पता चला, कई जानी-मानी हस्तियों ने युद्ध के खिलाफ सार्वजनिक बयान दिए। शाम होते-होते खबरें आने लगीं कि रूस के कई शहरों में हजारों की संख्या में लोग एंटी-प्रोटेस्ट कानून तोड़कर युद्ध का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं।

प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों को चेतावनी दी थी

रूसी प्रशासन ने युद्ध का विरोध करनेवालों को प्रदर्शनों में शामिल ना होने की चेतावनी दी थी। गंभीर अपराधों की जांच करनेवाली सरकारी एजेंसी ‘दी इन्वेस्टिगेटिव कमेटी’ ने रूसी जनता को चेताते हुए कहा कि प्रदर्शनों में शामिल होने के कानूनी नतीजे भुगतने होंगे। कमेटी ने कहा, “लोगों को पता होना चाहिए कि ऐसी गतिविधियों का कानूनी नतीजा क्या हो सकता है।”

चेतावनियों के बावजूद मॉस्को के पुश्किन स्क्वेयर के पास हजारों प्रदर्शनकारी जमा हुए। वे ‘नो टु वॉर’ के नारे लगा रहे थे। रूसी संसद के निचले सदन ‘स्टेट डुमा’ के मुख्य दरवाजे पर भी प्रदर्शनकारियों ने स्प्रे पेंट से ‘नो टू वॉर’ लिख दिया। प्रदर्शन करनेवाली 23 साल की अनास्तासिया नेस्तुल्या ने न्यूज एजेंसी एएफपी से बात करते हुए कहा, “मैं सदमे में हूं। मेरे रिश्तेदार और करीबी लोग यूक्रेन में रहते हैं। मैं फोन पर उनसे क्या कहूं?” अनास्तासिया ने बताया कि लोग प्रोटेस्ट में शामिल होने से डर रहे हैं।

पूर्व राजधानी सेंट पीटर्सबर्ग में भी करीब एक हजार प्रदर्शनकारियों ने युद्ध-विरोधी प्रदर्शन में हिस्सा लिया। यहां 27 साल की प्रदर्शनकारी स्वेत्लाना वोल्कोवा ने कहा, “मुझे महसूस हो रहा है कि प्रशासन पागल हो गया है। दुष्प्रचार के सहारे लोगों को मूर्ख बनाया गया है।” यहां तीन पुलिसकर्मी एक युवा प्रदर्शनकारी को घसीटकर ले जाते दिखे। घसीटे जाते समय वह चीख रहा था, “किससे लड़ रहे हो तुम लोग? पुतिन को गिरफ्तार करो।”

जेल से नवाल्नी का बयान

रूस के दर्जनों दूसरे शहरों में भी रैलियां निकाली गयीं। यूक्रेन पर हमला ऐसे समय में हुआ है, जब रूस में विपक्ष पर काफी सख्ती है। पुतिन के खिलाफ बड़ी रैलियां आयोजित करनेवाले मुख्य विपक्षी नेता आलेक्सी नवाल्नी जेल में हैं। एक स्वतंत्र टीवी चैनल ने 24 फरवरी को उनका एक वीडियो प्रसारित किया। इसमें नवाल्नी यूक्रेन युद्ध का विरोध करते दिखे। उन्होंने कहा, “मैं इस जंग के खिलाफ हूं। रूसी जनता से की गयी चोरी को ढंकने के लिए रूस और यूक्रेन के बीच यह युद्ध शुरू किया गया है। यह देश में मौजूद दिक्कतों से जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश है।”

रूस में ओवीडी-इंफो नाम का एक मानवाधिकार मीडिया प्रोजेक्ट विपक्षी रैलियों में हुई गिरफ्तारियों के आंकड़े जमा करता है। उसके मुताबिक, 24 फरवरी को युद्ध-विरोधी रैलियों में हिस्सा लेने के चलते 53 शहरों में लगभग 1700 लोगों को हिरासत में लिया गया। इनमें सबसे ज्यादा 700 प्रदर्शनकारी राजधानी मॉस्को और 400 प्रदर्शनकारी सेंट पीटर्सबर्ग में पकड़े गए। हालिया सालों में रूस ने विरोध प्रदर्शनों के खिलाफ सख्ती बढ़ा दी हैं। प्रोटेस्ट के खिलाफ कानून कड़े कर दिए गए हैं। विरोध प्रदर्शनों में अक्सर ही बड़े स्तर पर गिरफ्तारियां होती हैं।

क्या कह रहे हैं लोग?

न्यूज एजेंसी एएफपी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला शुरू होने के बाद उसने मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग में जितने भी लोगों से बात की, उनमें तकरीबन सभी युद्ध और खून-खराबे के खिलाफ थे। हालांकि कुछ लोगों ने इस संकट के लिए यूक्रेन को भी जिम्मेदार ठहराया। 48 साल की यूलिया अंतोनोवा सेंट पीटर्सबर्ग में अंग्रेजी की शिक्षिका हैं। उन्होंने कहा, “मैं युद्ध नहीं चाहती। मैं नहीं चाहती कि लोग मरें।”

54 साल के विक्टर एंतिपोव भी सेंट पीटर्सबर्ग में ही रहते हैं। उन्होंने कहा कि वह पुतिन के तौर-तरीकों का समर्थन नहीं करते हैं। क्रेमलिन की योजना पर टिप्पणी करते हुए विक्टर बोले, “कोई भी समझदार इंसान युद्ध नहीं चाहता। पुतिन आगे की नहीं सोच रहे हैं।” 20 साल के आर्किटेक्चर छात्र इगोर खारितोनोव ने रूसी प्रशासन को ‘विकृत’ बताते हुए कहा, “मुझे युद्ध से घिन आती है।” मगर पुतिन की पीढ़ी के कई रूसी नागरिक राष्ट्रपति के समर्थन में भी हैं। 70 साल की गलिना सम्योलेनको ने यूक्रेन में अलगाववादियों के कब्जेवाले इलाकों- डोनेत्स्क और लुहांस्क का जिक्र करते हुए कहा, “पुतिन रूसी जनता और उन दोनों गणराज्यों की मदद करना चाहते हैं।”

(dw.com से साभार)

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