2 मार्च। देश के विभिन्न जन संगठनों, रचनात्मक कार्यों में लगी संस्थाओं और अनेक अमन-प्रेमी नागरिकों ने पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक खुला पत्र लिखकर पिछले कुछ समय से देश के विभिन्न हिस्सों में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा को खंडित करने और उन्हें तरह-तरह से अपमानित करने की घटनाओं पर विरोध जताया है और इस मामले में न्याय करने की माँग की है। पत्र में महात्मा गांधी की प्रतिमाओं को तोड़ने और उन्हें अपमानित करनेवाली प्रमुख घटनाओं का जिक्र किया गया है।
हस्ताक्षरकर्ताओं का मानना है कि देश का मुखिया होने के नाते आजादी आंदोलन के शहीदों का सम्मान और संवैधानिक मूल्यों तथा अधिकारों की रक्षा करना प्रधानमंत्री का फर्ज है। पत्र में माँग की गयी है कि इस तरह की दुखद घटनाओं को रोकने के लिए प्रधानमंत्री तत्काल कदम उठाएं।
पत्र में बताया गया है कि महात्मा गांधी की कर्मभूमि चंपारण जिले के मुख्यालय मोतीहारी (बिहार) में गांधीजी की आदमकद प्रतिमा को कुछ दिन पहले (फरवरी में) तोड़ दिया गया। इस तरह की सिर्फ यही एक घटना नहीं है। पिछले कुछ वर्षों से इस तरह की घटनाएँ लगातार हो रही हैं। वहीं मार्च 2018 में केरल के कन्नूर में गांधी प्रतिमा तोड़ी गयी। अक्तूबर 2018 में आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम, मधुरवांगा में गांधीजी की 150वीं जयंती के अवसर पर भी गांधीजी की प्रतिमा को खंडित किया गया। 2019 में उत्तर प्रदेश के जालौन में गांधी प्रतिमा को तोड़ा गया। फरवरी 2020 में झारखंड के हजारीबाग में गांधी प्रतिमा को क्षतिग्रस्त किया गया। मार्च 2021 में मध्यप्रदेश के मंदसौर में गुर्जर माध्यमिक विद्यालय में गांधी प्रतिमा को क्षतिग्रस्त किया गया।
हाल के वर्षों में गांधीजी की प्रतिमा को तोड़ना, उनके बारे में अपशब्द कहना और उनके खिलाफ दुष्प्रचार करने की घटनाएँ, विशेष रूप से हिन्दुत्ववादी कट्टरपंथी संगठनों द्वारा, निरंतर जारी हैं। इसके अलावा गांधीजी की मूर्ति बनाकर उसे गोली मारने और गांधीजी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का महिमामंडन करनेवाली घटनाएँ भी रोज- ब-रोज सामने आती ही रहती हैं।
आजादी की लड़ाई में नेतृत्वकारी भूमिका निभानेवाले, हिन्दू-मुसलिम एकता के लिए जान अर्पित करनेवाले राष्ट्रपिता का यह अपमान देश की बड़ी आबादी को शर्मसार और व्यथित कर रहा है। पत्र में कहा गया है कि आपकी तरफ से (प्रधानमंत्री की तरफ से) कभी भी इन घटनाओं की साफ निंदा नहीं की गयी और न ही इस मानसिकता के लोगों को कार्रवाई का स्पष्ट संदेश दिया जा रहा है। यह बहुत ही दुखद है।
पत्र पर हस्ताक्षर करनेवालों में शामिल हैं-
भारत ज्ञान विज्ञान समिति
गांधी शांति प्रतिष्ठान
राइट टु फूड कैंपेन
सर्व सेवा संघ
गुजरात लोक समिति
नेशनल मुस्लिम वूमन वेलफेयर सोसायटी, जयपुर
आजादी बचाओ आंदोलन
नर्मदा बचाओ आंदोलन
नेशनल एलायंस आफ पीपुल्स मूवमेंट (एनएपीएम)
स्वास्थ्य अधिकार मंच
नर्मदा बचाओ आंदोलन
एकता परिषद
तथा अन्य सौ से अधिक संस्थाओं के प्रतिनिधि एवं व्यक्ति।
(सप्रेस)