18 मार्च। नेतरहाट फायरिंग रेंज के अंतर्गत 1471 किलोमीटर भौगोलिक क्षेत्र और 245 गाँव को चिन्हित किया गया। उस वक्त के हिसाब से 2.5 लाख लोग जिसमें 90 से 95 प्रतिशत आदिवासी थे, उन्हें विस्थापित होना था। 22 -23 मार्च 1994 को सेना की टुकड़ी अभ्यास के लिए अधिसूचित क्षेत्र में प्रवेश करने वाली थी। इसके विरोध में प्रभावित क्षेत्र के लाखों आदिवासी टूटूवापानी में एकत्रित हुए और सेना की गाड़ियों को रोकते हुए सड़कों पर लेट गये। तब से नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज का विरोध जारी है। इसी क्रम में 22-23 मार्च 2022 को संकल्प दिवस मनाया जा रहा है जिसमे आप सभी आमंत्रित हैं। आप सभी से आग्रह है की अपने संगी, साथियों को भी केन्द्रीय जनसंघर्ष समिति की ओर से इस आमंत्रण को जरुर से साझा करें। ताकि आन्दोलन को मजबूती मिले।
ज्ञात रहे कि 1956 में अधिसूचना जारी कर तत्कालीन बिहार सरकार ने इस फायरिंग रेंज की बुनियाद रखी थी। अधिसूचना अवधि समाप्त होने के पूर्व ही बिहार सरकार ने 1991 एवं 1992 में पुन: अधिसूचना जारी कर क्षेत्र विस्तार कर दिया। फायरिंग रेंज बढ़कर 1471 वर्ग किलोमीटर हो गया। इसके तहत 245 गांवों को अधिसूचित किया गया। कुल 200 वर्ग किलोमीटर की भूमि का अर्जन करने का प्रस्ताव सामने आया।
(संघर्ष संवाद से साभार)
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