स्वराज इंडिया ने हिजाब पर प्रतिबंध पर पुनर्विचार की अपील की

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17 मार्च। स्वराज इंडिया ने भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय से हिजाब पहनने वाले छात्राओं के अधिकारों की रक्षा करने और हिजाब पर प्रतिबंध पर पुनर्विचार करने की अपील की है।

स्वराज इंडिया की ओर से जारी ताजा बयान में कहा गया है कि कर्नाटक उच्च न्यायालय के हिजाब पर प्रतिबंध को बरकरार रखने के हालिया फैसले, जो पूरे भारत में स्कूलों और कॉलेजों में यूनिफार्म का हिस्सा रहा है, के परिणामस्वरूप न केवल प्रभावित छात्राओं को शिक्षा से वंचित किया जाएगा, बल्कि उन्हें भेदभाव, सामाजिक बहिष्कार और सामान्य रूप से घेटोआइजेशन का भी सामना करना पड़ेगा।

धर्मनिरपेक्षता का विचार, जैसा कि महात्मा गांधी ने माना था, और भारत के संविधान में निहित है, एकरूपता थोपने की कोशिश नहीं करता, बल्कि धार्मिक परंपराओं और विविधता का सम्मान करता है। इसके अलावा, इस तरह की एकरूपता छात्राओं को शिक्षा से वंचित करने की एक बड़ी कीमत पर आएगी।

बयान में आगे कहा गया है कि स्वराज इंडिया सत्तारूढ़ दल के प्रयासों, और उसकी घृणा और भेदभाव की नीति के खिलाफ खड़ा है, जो छात्र-छात्राओं के बीच वैमनस्य पैदा करना चाहता है, और उन्हें शिक्षा के साथ-साथ धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित करता है।

स्वराज इंडिया की ताजा प्रेस विज्ञप्ति में सर्वोच्च न्यायालय से अपील की गयी है कि है हिजाब पहनने वाली छात्राओं को नफरत की नीति का शिकार न होने दें।

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