23 मार्च। जो तीन कृषि कानून किसान आंदोलन के कारण मजबूर होकर केंद्र सरकार को रद्द करने पड़े उनकी बाबत सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी की रिपोर्ट अब जाकर आयी है। जब कमेटी का गठन किया गया था तभी से यह जाहिर था कि उसमें ऐसे लोग हैं जो कृषि के क्षेत्र में कारपोरेट को घुसाने और उन कृषि कानूनों के समर्थक हैं। इसी आधार पर संयुक्त किसान मोर्चा ने कमेटी का बहिष्कार किया था। उसे कमेटी को लेकर जो शंका थी वह सही साबित हुई है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में उन कृषि कानूनों का खूब बखान किया है। यही नहीं, उसने लगभग सत्तर कथित किसान संगठनों का हवाला देकर यह भी कहा है कि किसान तो ऐसे कानून चाहते हैं। लेकिन कमेटी ने ऐसे एक भी किसान संगठन से बात नहीं की, जो आंदोलन में शामिल था।
लगे हाथ कमेटी ने एमएसपी पर भी हमला बोल दिया है। हालांकि कमेटी को सिर्फ कृषि कानूनों पर राय देनी थी लेकिन कमेटी ने सिफारिश की है कि अनाज की सरकारी खरीद घटा दी जाए।
जय किसान आंदोलन के नेता और संयुक्त किसान मोर्चा की समन्वय समिति के सदस्य योगेंद्र यादव ने कहा है कि कमेटी की रिपोर्ट एक बड़ी साजिश का हिस्सा है। इस रिपोर्ट के जरिए रद्द किए गए कृषि कानूनों को फिर से लाने का माहौल बनाया जा रहा है। सुनिए यह वीडियो-
सुप्रीम कोर्ट कमेटी की कृषि कानून पर रिपोर्ट सिर्फ़ मज़ाक नहीं है, बल्कि एक बहुत बड़ी साजिश का हिस्सा है जिसके ज़रिए आने वाले समय में कृषि कानूनों को किसी रुप में दुबारा लाने की कोशिश की जाएगी
असल में यह मरे हुए कानूनों की बड़ाई करती रिपोर्ट है#FarmersProtest | @_YogendraYadav pic.twitter.com/M7zxmftgYK
— Deepak Lamba (@dlambahry) March 23, 2022
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