3 अप्रैल। पंजाब में आंदोलन कर रहे किसानों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया है। इस दौरान 7 किसान घायल हो गए हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इनमें से 6 किसानों की हालत गंभीर बताई जा रही है। राज्य में आम आदमी पार्टी की सरकार आने के बाद पहली बार किसानों पर लाठीचार्ज हुआ है। ये किसान ‘भारतीय किसान यूनियन’ के बैनर तले तबाह हो चुकी कपास की फसल के मुआवजे की माँग कर रहे थे। बीकेयू उगराहां ने आरोप लगाया है कि लांबी में हुए लाठीचार्ज के दौरान सात किसान घायल हो गए हैं।
खबरों के मुताबिक, भारतीय किसान यूनियन की अगुआई में किसानों ने लांबी के नायब तहसीलदार समेत अन्य स्टाफ को दफ्तर में बंधक बना लिया था। पुलिस ने सोमवार (28 मार्च, 2022) देर रात 12 बजे किसानों पर लाठीचार्ज कर नायब तहसीलदार और स्टॉफ को छुड़ाया। नायब तहसीलदार अरजिंदर सिंह और स्टाफ के बाहर आने के बाद अब पूरे प्रदेश के तहसीलदार हड़ताल पर चले गए हैं।
मलोट के एसडीएम प्रमोद सिंगला ने किसानों की माँग को गलत ठहराते हुए कहा कि 10 गाँवों के लोग यहाँ आकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनके द्वारा 50 फीसदी कपास खराब होने का झूठा दावा किया जा रहा है।
वहीं, बीकेयू उगराहां के नेता गुरपक्ष का कहना है कि पुलिस के लाठीचार्ज में सात किसानों को चोटें आयी हैं और उन्हें लांबी के सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। गुरपक्ष ने यह भी दावा किया है कि किसानों की फसल गुलाबी सुंडी की वजह से खराब हो गयी थी। किसानों का आरोप है कि गुलाबी सुंडी से खराब हुई नरमा की फसल के मुआवजे के मामले में मुक्तसर जिले को नजरअंदाज किया गया है। मुक्तसर जिले में अधिकतर नरमा की खेती लांबी ब्लॉक में ही होती है। गिरदावरी में लांबी ब्लॉक के केवल छह गाँवों को ही शामिल किया गया और उन्हें भी अभी तक मुआवजा नहीं दिया गया, जबकि अन्य करीब 30 गाँवों को गिरदावरी में शामिल ही नहीं किया।
Discover more from समता मार्ग
Subscribe to get the latest posts sent to your email.