वे कौन होते हैं यह कहनेवाले कि हलाल का मांस किसे खाना चाहिए किसे नहीं – देवानूर महादेव

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6 अप्रैल। कन्नड़ के सुविख्यात लेखक देवानूर महादेव ने दक्षिणपंथी तत्त्वों की कड़ी आलोचना की है, जो हिंदुओं को मुसलमानों के साथ व्यापार नहीं करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। वह मैसूर के शांति नगर क्षेत्र में कर्नाटक राज्य रैयत संघ औ दलित संघर्ष समिति द्वारा आयोजित सद्भाव मार्च में बोल रहे थे।

उन्होंने दक्षिणपंथी तत्त्वों के रवैए के विरोध के प्रतीक के तौर पर मुस्लिम दुकानों से मटन खरीदा, जो हिंदुओं से मुस्लिम दुकानों से हलाल मीट नहीं खरीदने के लिए कह रहे हैं।

देवानूर महादेव ने इस मौके पर कहा कि धर्म के नाम पर धर्म विरोधी गतिविधियाँ द्रुत गति से बढ़ रही हैं। लोगों का एक समूह आम लोगों की विवेकाधिकार पर कठोर प्रहार कर रहा है। उन्होंने कहा, “जब यह सब हो रहा है, जहाँ कानून-व्यवस्था की स्थिति खतरे में है, सरकार मूकदर्शक बनी हुई है।” अगर कानून-व्यवस्थ्या बनी रहती, तो आम लोगों को विरोध करने के लिए सड़क पर उतरने की जरूरत ही नहीं पड़ती। महादेव ने सवाल उठाया कि आखिर भाजपा सरकार क्यों लोगों को असामाजिक कार्यों में शामिल होने के लिए प्रेरित कर रही है।

मरम्मा मंदिर जात्रा के दौरान मुसलमानों को व्यवसाय न करने का निर्देश कौन दे रहा है? यह मुस्लिम थे, जिन्होंने मंदिर का निर्माण किया था। मुसलमानों को उस मंदिर के पास व्यापार करने के लिए मना करना, गरीबों से भोजन छीनने जैसा एक निंदनीय कृत्य है। इसे कतई धर्म नहीं कहा जा सकता।

हिजाब पर कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश के विरोध में राज्यव्यापी बंद का आह्वान करते हुए मुस्लिम संघों द्वारा वितरित किए गए पर्चे को पढ़ते हुए, उन्होंने धरने का विरोध करनेवालों से पूछा, अगर मुसलमान इसके लिए धरना करते हैं, तो उन्हें क्या समस्या है?

समाज को धार्मिक और साम्प्रदायिक आधार पर बाँटने के लगातार प्रयास किए जाने पर अफसोस व्यक्त करते हुए देवानूर महादेव ने कहा कि भाजपा सरकार केवल सत्ता हथियाने के लिए ऐसे अमानवीय कृत्यों में लिप्त है। उन्होंने उच्च जाति के कुछ लोगों से इस तरह के कृत्य के खिलाफ आवाज उठाने की पुरजोर अपील की। यदि उच्च जाति के लोग थोड़ा सा सक्रिय हो जाते हैं, तो समस्या आसानी से हल हो जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रतीकात्मक विरोध पूरे राज्य में फैल जाना चाहिए।

उन्होंने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि ये दल भी चुप्पी साधे हुए बैठे हैं। वहीं दूसरी तरफ लोगों का एक तबका समाज में सांप्रदायिक नफरत फैलाने की साजिशें रच रहा है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल सांप्रदायिक विभाजन करके वोट बैंक बनाने की कोशिश कर रहे हैं, नफरत ही उनकी ऊर्जा है, प्यार नहीं।

उन्होंने कहा कि किसी को यह सवाल करने का अधिकार नहीं है कि हलाल मांस किसे खाना चाहिए और किसे नहीं? इसका निर्णय लोगों पर छोड़ देना चाहिए।

इस सद्भाव मार्च में सुमित्राबाई, पी. मल्लेश, बडगलापुरा नागेंद्र, गुरुप्रसाद, शिवकुमार आदि कई और जाने-माने एक्टिविस्ट भी शामिल थे।


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