31 जुलाई। संयुक्त किसान मोर्चा ने मीडिया के एक वर्ग (जिसे “गोदी मीडिया” कहा जाता है) द्वारा किसान आंदोलन को नए तरीकों से बदनाम करने के प्रयासों की कड़ी निंदा की है। एक टेलीविजन चैनल द्वारा विरोध कर रहे किसानों को “अय्याशजीवी” के रूप में चित्रित करने के प्रयासों में सिवाय झूठ के एक भी फुटेज नहीं था जो चैनल द्वारा लगाए जा रहे आरोप को साबित कर सके। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि कॉर्पोरेट मीडिया और भाजपा सरकार के इन हताशा और बौखलाहट भरे प्रयासों को वह अच्छी तरह से समझता है। इन हमलों से आंदोलन केवल मजबूत होगा, कमजोर नहीं होगा।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि बीजेपी-आरएसएस और उसके साथ गठबंधन करनेवाली किसान विरोधी ताकतों ने अब तक प्रदर्शन कर रहे किसानों पर कई तरह के इल्जाम थोपने की कोशिश की है। उन्हें आतंकवादी, अलगाववादी, विपक्षी राजनीतिक दलों द्वारा प्रायोजित प्रदर्शनकारी, असामाजिक तत्व, राष्ट्र-विरोधी आदि कहा गया। एसकेएम ने आज जोर देकर कहा, “अपने मूल अधिकारों के लिए विरोध कर रहे लाखों मेहनती, शांतिपूर्ण और दृढ़ किसानों की सच्चाई को इन घिनौने प्रयासों से दबाया नहीं जा सकता है। यह आंदोलन किसानों के सत्य के आधार पर संघर्ष जीतेगा।” एसकेएम ने कहा, “यह केवल किसान-विरोधी ताकतों का डर और कमजोरी है जो ऐसे निंदनीय और दुर्भावनापूर्ण प्रयास में झलक रहा है।”
एसकेएम ने कुछ दिनों पहले भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई द्वारा सोशल मीडिया पर साझा किये गए कार्टूनों का भी कड़ा विरोध किया। एसकेएम ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का किसान-विरोधी चरित्र सोशल मीडिया कार्टून पोस्ट के रूप में एक बार फिर उजागर हो गया। सत्तारूढ़ दल द्वारा शांतिपूर्वक विरोध कर रहे किसानों को बाल पकड़ कर घसीटे जाने और “बक्काल तार” देने की धमकी, वह भी मुख्यमंत्री के नाम पर, चौंकाने वाली और अत्यधिक आपत्तिजनक है। एसकेएम ने इसकी कड़ी निंदा की है, और इस प्रकरण पर मुख्यमंत्री की चुप्पी को संज्ञान में लिया है। इस तरह की अनैतिक और हिंसक धमकियां एक मजबूत जन-आंदोलन के सामने भाजपा की शक्तिहीनता का परिचायक है। जाहिर है कि पार्टी लोकतंत्र को बिल्कुल भी नहीं समझती है।
शहीद उधम सिंह के शहादत दिवस को आज सम्मान के साथ ‘साम्राज्यवाद विरोधी दिवस’ के रूप में मनाया गया। कई मोर्चों पर, क्रांतिकारी गीतों ने प्रदर्शनकारियों को प्रेरणा प्रदान की, और वक्ताओं ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शहीद उधम सिंह के जीवन संघर्ष और बलिदान, और साम्राज्यवाद और मानव शोषण के खिलाफ संघर्ष पर प्रकाश डाला।
एसकेएम ने कहा कि दिल्ली विधानसभा के द्वारा तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग करते हुए पारित प्रस्ताव को संज्ञान में लेता है। प्रस्ताव में इतने महीनों के शांतिपूर्ण विरोध के बावजूद अब तक किसानों की मांग को न मानने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की गई है और प्रधानमंत्री से विरोध कर रहे किसान संगठनों के साथ बातचीत शुरू करने को कहा गया है।
एसकेएम ने यह भी संज्ञान लिया कि विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद से मुलाकात की, जिसमें किसानों के संघर्ष के दौरान सैकड़ों मौतों के मामले की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय पैनल बनाने के लिए उनके हस्तक्षेप की मांग की गई है। ये पार्टियां भारत सरकार के इस दावे का विरोध कर रही हैं कि उसके पास चल रहे आंदोलन में किसी भी किसान की मौत का कोई रिकॉर्ड नहीं है। विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति से केंद्र से संसद में कृषि कानूनों पर चर्चा की अनुमति देने की भी अपील की।
उत्तर प्रदेश में किसानों द्वारा यमुना एक्सप्रेस-वे पर मथुरा के पास एक टोल प्लाजा के कई गेट मुक्त कर दिए गए।
हरियाणा के किसानों से अपील –