जेएनयू में नॉन वेज खाने को लेकर एबीवीपी का हमला

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12 अप्रैल। मामला जेएनयू के कावेरी होस्टल का है, जहाँ रामनवमी के दिन होस्टल में नॉनवेज बनाने को लेकर हुआ। हालाँकि मेस में खाना सर्वसम्मति से मेन्यु बनाकर तय किया जाता है जो सामान्य रूप से खान-पान का हिस्सा होता है। एक साथ नॉनवेज और वेज दोनों तरह का खाना परोसा जाता है ताकि किसी भी वर्ग के लोगों को शिकायत न हो।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ ने आरोप लगाया है कि एबीवीपी के सदस्यों ने मेस के सचिव के साथ मारपीट की और कर्मचारियों को होस्टल में नॉनवेज खाना परोसे जाने के लिए मना किया है। वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा एबीवीपी ने दावा किया है कि उनके द्वारा आयोजित की जा रही पूजा को बाधित करने की कोशिश की गयी जिससे झड़प की स्थिति बनी।

जेएनयू में सभी वर्गों के लोग रहते हैं और सभी धर्मों का उत्सव समानता और सौहार्द के साथ मनाया जाता है। अप्रैल का यह महीना हिन्दू, मुसलमान दोनों के लिए पाक महीना है। जब रामनवमी और रमजान एकसाथ मनाया जा रहा था। वर्षों से चली आ रही इस गंगा जमुनी परंपरा पर खाने और पहनावे के द्वारा चोट करना संघ की पुरानी आदत रही है, जिसे विद्यार्थी परिषद के छात्रों ने आगे बढ़ाया है।

सौहार्द की इसी सोच को जेएनयू मजबूती के साथ समाज में स्थापित करने की कोशिश करता रहा है। जाहिर है ऐसी सोच उन पर भारी पड़ेगी जो धर्म को ही हथियार बनाकर राजनीति करते रहे हैं। एकता और प्यार के इस माहौल को खत्म करने के लिए वर्षों से संघ राजनीति कर रहा है जिसमें जेएनयू का सर्वधर्म समभाव बड़ा खतरा बनकर खड़ा होता रहा है और जिसे तोड़ने की तैयारी सत्ता में आने के बाद से ही संघ और भाजपा कर रहे हैं।

देश के अलग-अलग हिस्सों में नफरत का बाजार सजाया जा रहा है। कहीं हिजाब को लेकर, कहीं मुसलमान सब्जी और फल बेचने वाले, कहीं लव जिहाद, कहीं गौ हत्या तो कहीं भड़काऊ धार्मिक बयानबाजी से भविष्य की हिंसक सेना को तैयार किया जा रहा है। यह हिंसक सेना सिर्फ फरमान का इन्तजार करेगी और देश जलाने को तैयार हो जाएगी। ऐसे कई उदाहरण कई बार देखे जा चुके हैं। दिल्ली दंगों में बनी स्थिति हमारे सामने है।

जेएनयू में विद्यार्थी परिषद के लोगों का यह व्यवहार एकबारगी सामने नहीं आया है और न ही यह इस तरह की पहली घटना है। सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार द्वारा लोगों के खाने पीने, कपड़ा पहनने, कहीं आने जाने को लेकर लगातार विवाद होता रहा है।

देश के अन्य हिस्सों से उठ रही नफरती आवाज के खिलाफ जेएनयू मजबूती से खड़ा रहा है इसलिए भी इस विश्वविद्यालय के वातावरण पर हमले हो रहे हैं ताकि इसे संस्कृति की आड़ में मनुवाद का चोला पहनाया जा सके। सड़कों पर नफरत परोसते भड़काऊ हिंसक बयानबाजी करते लोग और उसके पक्ष में खड़ा प्रशासन देश के वर्तमान हालात को बयाँ करता है। इस तरह की घटनाएँ जेएनयू प्रशासन, पुलिस और सत्ता की शह पर ही सामने आती हैं। लोकतान्त्रिक धर्मनिरपेक्ष भारत के भविष्य के लिए यह अच्छा संकेत नहीं है।

(Sabrang India से साभार)

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