16 अप्रैल। रायपुर से ‘ढाई आखर प्रेम’ के नाम से एक सांस्कृतिक यात्रा निकली है। इसका संदेश स्वतः स्पष्ट है। यह बड़ा ही सराहनीय है।
इप्टा की ‘ढाई आखर प्रेम‘ नामक सांस्कृतिक यात्रा 18 अप्रैल को बिहार पहुंचेगी। 9 अप्रैल को रायपुर, छत्तीसगढ़ से शुरू हुई यह यात्रा झारखण्ड होते नवादा से बिहार में प्रवेश करेगी। 20 दिनों तक बिहार के 22 जिलों में 104 स्थानों पर सांस्कृतिक आयोजन करने के बाद 8 मई को यात्रा उत्तर प्रदेश के चंदौली के लिए रवाना हो जाएगी।
देश की जैसी चिंताजनक दशा है, अकेली राजनीति से कुछ नहीं होगा। हिंदी क्षेत्रों में ‘प्रेम, सद्भाव और आत्मविवेक’ की ऐसी सांस्कृतिक यात्राएं जगह-जगह निकालनी चाहिए।
हमारे अपने नायक सूर, कबीर, मीरा, तुलसी, रहीम, ग़ालिब, भारतेंदु, प्रेमचंद, निराला-प्रसाद-महादेवी, नागार्जुन-रेणु , सफदर हाशमी के अलावा लक्ष्मीबाई, गांधी, चंद्रशेखर आजाद, अबुल कलाम आजाद, जयप्रकाश, लोहिया आदि हैं। कुछ और नाम हो सकते हैं।
नीचे कोलकाता की एक सांस्कृतिक यात्रा का वीडियो देखें, इसमें राजा राममोहन राय, विद्यासागर आदि से लेकर रवींद्रनाथ, काज़ी नजरुल इस्लाम, सत्यजित राय आदि के पोस्टर-बैनर लेकर कैसी एक जागरण यात्रा है।
हिंदी की भी अपनी एक महान मानवतावादी-लोकतांत्रिक राष्ट्रीय विरासत है और करोड़ों जागरूक नौजवान हैं!
– शंभुनाथ, कोलकाता