जिग्नेश मेवानी पर दर्ज फर्जी मुकदमे रद्द कर तुरंत रिहा करने की माँग

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21 अप्रैल। दलित नेता जिग्नेश मेवानी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ और साम्प्रदायिक सद्भाव स्थापित करने की माँग को लेकर बयान देने और ट्वीट करने के कारण भारतीय दंड संहिता 153A, 295A, 120B और आई.टी एक्ट के अनुच्छेद 66 के तहत असम पुलिस द्वारा पालमपुर, गुजरात से गिरफ्तार किया गया है।

जिग्नेश मेवानी की गिरफ्तारी को लेकर विभिन्न दलों और संगठनों के नेताओं ने सवाल उठाए हैं।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि ‘‘मोदी जी, आप असहमति की स्थिति में सत्ता का दुरुपयोग करके राज्य मशीनरी को कुचलने की कोशिश कर सकते हैं लेकिन सच को नही बाँध सकते।

कांग्रेस के एक अन्य नेता वेणुगोपाल ने भी ट्वीट किया ” असम पुलिस द्वारा आधी रात को जिग्नेश मेवानी की गैरकानूनी और असंवैधानिक गिरफ्तारी भाजपा के सत्तावाद का ताजा सबूत है। जनप्रतिनिधि की यह गिरफ्तारी न केवल आलोचना के प्रति भाजपा के डर को दर्शाता है बल्कि हमारे लोकतंत्र की नींव पर भी हमला है।”

किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम ने गुजरात के विधायक एवं दलितों, वंचितों और युवाओं के संघर्ष के प्रतीक जिग्नेश मेवानी की गिरफ्तारी को भारतीय जनता पार्टी के द्वारा दलितों की आवाज कुचलने की साजिश बताया है। डॉ. सुनीलम ने कहा कि गुजरात में जो राजनीतिक वातावरण बन रहा है उससे भाजपा में घबराहट है, इस कारण सरकार के खिलाफ आवाज उठानेवालों को भयभीत करने के लिए जिग्नेश मेवानी को गिरफ्तार किया गया है। डॉ. सुनीलम ने यह भी कहा, कि जिग्नेश मेवानी को देश के युवाओं के साथ-साथ जनसंगठनों का समर्थन प्राप्त है तथा भाजपा इस गलतफहमी में है कि वह विपक्ष की आवाज को कुचलकर तथा दलितों, अल्पसंख्यक वर्गों एवं वंचित तबकों की आवाज का गला घोंटकर चुनाव जीत सकती है। आनेवाले विधानसभा चुनाव में गुजरात की जनता भाजपा की यह गलतफहमी दूर कर देगी।

स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव ने एफआईआर की कॉपी को साझा करते हुए कहा कि क्या यह वही एफआईआर है, जिस पर जिग्नेश मेवानी को गिरफ्तार किया गया है? क्या इस पर असम पुलिस ने पूरे गुजरात का दौरा किया? इस मजाक को कौन रोकेगा?

– अंकित कुमार निगम

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