खरगोन की घटनाओं पर संयुक्त जॉंच दल की रिपोर्ट

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27 अप्रैल। रामनवमी के अवसर पर खरगोन में हुए साम्प्रदायिक दंगे और स्थिति का जायजा लेने के लिए 25 अप्रैल को एक संयुक्त जांच दल ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर पीड़ितों और आम जनता से बात की ताकि इस घटना के पीछे की साजिश का पता लगाकर समाज का साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वालों को बेनकाब किया जा सके। जांच दल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह, सचिव मंडल सदस्य कैलाश लिंबोदिया, इंदौर सचिव सी एल सरावत, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के इंदौर सचिव रुद्रपाल यादव और राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश सचिव स्वरूप नायक शामिल थे।

जांच दल के अनुसार दंगे की पृष्ठभूमि इस प्रकार है :

1. पिछले एक साल से विभिन्न अवसरों पर खरगोन में दोनों समुदायों में तनाव पैदा करने की साजिश हो रही है। 10 मार्च को जब भाजपा उत्तर प्रदेश सहित चार राज्यों में विधानसभा चुनाव जीती तब खरगोन में निकाले गए विजय जुलूस में भी न केवल मस्जिद के बाहर उत्पात मचाते हुए आपत्तिजनक नारे लगाए गए थे, मस्जिद प्रांगण में भी पटाखे फेंक कर उत्तेजना पैदा करने की कोशिश की गयी।

2. रामनवमी पर आमतौर पर एक जुलूस निकलता है। इस बार भी जब पहला जुलूस निकला तो अल्पसंख्यक समुदाय ने भी उसका स्वागत किया। जगह जगह पर प्याऊ की व्यवस्था की। तालाब चौक पर उस जुलूस का शांतिपूर्वक समापन हो जाने के बाद भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष श्याम महाजन ने न केवल जुलूस को अल्पसंख्यक बस्ती में ले जाने की जिद की, बल्कि एडीशनल एसपी नीरज चौरसिया को देख लेने की धमकी भी दी और तुरंत तबादला करवा देने का डर भी बताया।

3. वहीं से सबको 2 बजे तालाब चौक पर एकत्रित होने के उत्तेजक आह्वान किये गए। वहां पर शाम 5.30 बजे तक भीड़ को एकत्रित होने दिया गया। भीड़ के पास धारदार हथियार भी थे। वे एक समुदाय विशेष के खिलाफ उत्तेजक और आपत्तिजनक नारे लगा रहे थे। इसी भीड़ ने मस्जिद के बाहर जब नमाज के लिए लोग एकत्रित हो चुके थे, आपत्तिजनक नारे और गाने बजाए। जिससे विवाद पैदा हुआ। यह जुलूस बिना अनुमति निकाला गया और प्रशासन मूकदर्शक बना रहा।

4. यह जुलूस दंगे का कारण बना। इसका नेतृत्व अनिल कंट्रोल वाला और राहुल दूध डेयरी वाला कर रहे थे। जिनके आरएसएस और उनके विभिन्न संगठनों से रिश्ते हैं। भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष श्याम महाजन तो जुलूस में थे ही, दिल्ली के भाजपा नेता कपिल मिश्रा भी खरगोन में थे और खतरनाक ट्वीट कर रहे थे। जो साबित करता है कि भाजपा-संघ परिवार हर कीमत पर दंगा करना चाहता था।

5. सूत्रों के अनुसार इंटेलीजेंस रिपोर्ट में आठ दिन पहले ही प्रशासन को हर स्तर पर सूचना दे दी गयी थी कि रामनवमी पर साम्प्रदायिक टकराव हो सकता है। इस सूचना के आधार पर अगर उचित कदम उठाए गए होते तो इस दंगे को टाला जा सकता था। मगर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी स्वीकार किया है कि तालाब चौक पर पर्याप्त पुलिस बल नहीं था।

6. रामनवमी पर हुए विवाद में पुलिस अधीक्षक सहित पांच लोगों को गोली लगना बताया जाता है। इस घटना के बाद गृहमंत्री के बयान कि पत्थरबाजों के घरों को पत्थरों का ढेर कर दिया जाएगा, के बाद तो प्रशासन और पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई की मुहिम ही चला डाली, जो अभी भी जारी है।

7. प्रशासन की ओर से तोड़े गए सभी मकान और दुकानें अल्पसंख्यक समुदाय की हैं। वहां मकान दंगाग्रस्त क्षेत्र से डेढ़ दो किलोमीटर दूर की बस्तियों में भी तोड़े गए हैं, जहां दंगा हुआ ही नहीं।

यह कार्रवाई इसलिए भी एकतरफा दिखाई पड़ती है कि तालाब चौक की मस्जिद की 9 दुकानों को तोड़ा गया। तीन हिंदू दुकानदारों को तो दुकान तोड़ने से पहले अपना सामान निकालने के लिए कहा गया, जबकि मुस्लिम दुकानदारों का सामान भी दुकानों के साथ ही नष्ट कर दिया गया। सारी कार्रवाई बिना सूचना और बिना किसी आदेश के की गयी है। अब न तो जिला प्रशासन और न ही कलेक्टर इसकी जिम्मेदारी ले रहे हैं।

8. ऐसे ऐसे घरों को तोड़ा गया है, जो तीस साल पहले के बने हुए थे, जिनके पास पानी, बिजली के बिल भी हैं और हाउस टैक्स की रिपोर्ट भी। इसमें हसीना फाखरू का मकान भी तोड़ दिया गया जो प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बना था। दोनों हाथ कटे होने के बाद भी पत्थर फेंकने के आरोप में वसीम शेख की गुमटी भी तोड़ दी गयी। अयूब ख़ान की 70 साल पुरानी 7 दुकानों को तोड़ दिया गया, जबकि उसके पास पूरे कागजात भी हैं। वह किसी दंगे में भी शामिल नहीं था। उसकी दुकानें इसलिए तोड़ी गयी हैं क्योंकि उसके पीछे भाजपा नेता श्याम महाजन की जमीन है। वह उसे बार बार इन दुकानों को उसे बेचने को कहता था, मगर अब दंगे का बहाना बनाकर उसकी दुकानों को तोड़ दिया गया।

9. प्रशासन की सारी कार्रवाई एकतरफा है। जिस प्रकार अल्पसंख्यक समुदाय को आरोपी बनाया गया है, ऐसा लगता है जैसे वोटरलिस्ट को सामने रखकर नाम लिखे गए हों। अल्ताफ अस्पताल में भर्ती था, मगर उसका नाम भी दंगाइयों में है और उसका मकान भी तोड़ दिया गया। आजम 8 अप्रैल से 14 अप्रैल तक कर्नाटक में था, उसका मकान भी तोड़ दिया गया है।

10. शिवम शुक्ला घायल हैं। पहले उन्हें गोली लगने की बात कही गयी, अब पत्थर लगने की बात कही जा रही है। एसपी सहित जिन पांच लोगों को गोली लगी है, उनकी फोरेंसिक रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की जा रही है?

11. रमजान के महीने में भी शहर की सारी मस्जिदों को बंद कर रखा गया है। उन्हें क्यों नहीं खोला जा रहा है। यदि धार्मिक स्थल बंद करना है तो दोनों ही तरफ के होने चाहिए थे। मगर ऐसा नहीं किया गया है।

इदरीश की मौत

इस दंगे में सबसे महत्त्वपूर्ण पहलू इदरीस उर्फ सद्दाम की मौत का है। जिसके बारे में विस्तार से बात की जाएगी। प्रश्न यह है कि जब 11 अप्रैल को ही उसकी मौत हो गयी थी तो उसे 18 अपैल तक क्यों छिपाया गया?

यह सब क्यों हुआ?

खरगोन और बड़वानी में 10 विधानसभा सीटें हैं। यदि पिछले चार विधानसभा चुनावों पर नजर डाली जाए तो 2003, 2008 और 2013 में भाजपा 6 या 7 सीटों पर जीत दर्ज करती रही है। मगर 2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा 10 में से 9 विधानसभा सीटें हारी है। इसी हार को वह नहीं पचा पा रही है और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण कर चुनाव जीतने की साजिश कर रही है।

हमारी मांग

1. बिना अनुमति के निकले जलूस में जो लोग धारदार हथियार और तीन बंदूक लेकर चल रहे थे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। एकतरफा कार्रवाई को रोका जाए।

2. जिन मकानों और दुकानों को बिना अदालती आदेश या बिना कलेक्टर के आदेश के गिराया गया है उन सबके नुकसान का आकलन कर तुरंत पूर्ण मुआवजा दिया जाए। यह अवैधानिक कार्रवाई करनेवालों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाए।

3. सभी धार्मिक स्थलों को खोला जाए और वहां इबादत करने की अनुमति दी जाए।

4. इदरीस की मौत की सीबीआई जांच की जाए।


▪️जसविंदर सिंह
राज्य सचिव
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी

▪️शैलेंद्र कुमार शैली,
राज्य सचिव मंडल सदस्य
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी

▪️स्वरूप नायक
सचिव
राष्ट्रीय जनता दल

▪️राजू भटनागर
प्रदेशाध्यक्ष
राष्ट्रवादी कांग्रेस

▪️प्रदीप कुशवाह
प्रदेश महासचिव
समानता दल

▪️अजय श्रीवास्तव
महासचिव
लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी

▪️देवेंद्र सिंह चौहान
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले )

– जसविंदर सिंह
9425009909


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