क्या झारखंड पुलिस स्टेट बनता जा रहा है?

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4 मई। झारखंड होमगार्ड वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव राजीव तिवारी ने एक दरोगा और दो होमगार्ड जवान पर आरोप लगाया है। राजीव ने बताया, कि पुलिस ने मोटरसाइकिल में गांजा और हथियार प्लांट का झूठा आरोप लगाया है। यह पहला मामला नहीं है, जब झारखंड पुलिस के ऊपर निर्दोष को जेल भेजने का आरोप लगा है। इससे पहले भी झारखंड पुलिस के ऊपर हथियार और नशीला पदार्थ प्लांट कर निर्दोष को जेल भेजने का आरोप लग चुका है।

रामगढ़ जिले के पतरातू पुलिस ने दो जून 2021 को बालू कारोबारी राजेश राम को मोरहाबादी स्थित बोड़ेया रोड के एक फ्लैट में छापेमारी कर पकड़ा था। जब इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की तो पतरातू थाने के जेएसआइ मुराद हसन ने लिखवाया, कि पतरातू में नलकारी पुल के पास वाहन चेकिंग के दौरान भाग रहे एक वाहन को पकड़ा था। वाहन से दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तार लोगों में राजेश राम व शिवा महली शामिल है। दोनों ही आरोपितों के पास से छापेमारी में रिवाल्वर मिला था। आ‌र्म्स एक्ट में प्राथमिकी दर्ज कर राजेश राम को जेल भेजा गया था। राजेश के परिजन को पतरातू पुलिस के फर्जीवाड़े की जानकारी मिली, वे पुलिस मुख्यालय पहुँच गये। परिजन ने पुलिस मुख्यालय में शिकायत की, और बताया कि राजेश की गिरफ्तारी मोरहाबादी से हुई थी। जिसका सीसीटीवी फुटेज भी पुलिस मुख्यालय को सौंपा। इसके बाद पूरे मामले की जाँच करायी गयी, तो हथियार प्लांट कर झूठा केस बनाने और जेल भेजने के मामले में पतरातू थानेदार सहित चार पुलिसकर्मी निलंबित हो गये थे।

25 अगस्त, 2019 को धनबाद के निरसा में पुलिस ने एक सेवरले गाड़ी से 39.300 किलो गांजा बरामद किया था। इस मामले में धनबाद पुलिस ने ईसीएल कर्मी चिरंजित घोष को गांजा तस्करी का किंगपिन बताते हुए आरोपी बनाया था। धनबाद पुलिस ने इस मामले में चिरंजीत को गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया था। चिरंजीत के जेल भेजे जाने के बाद उसकी पत्नी ने तत्कालीन डीजीपी केएन चौबे समेत राज्य पुलिस के अन्य अधिकारियों से मुलाकात कर इंसाफ की गुहार लगाई थी। तब मुख्यालय स्तर से मामले की जाँच कराए जाने के बाद यह साबित हुआ था, कि चिरंजीत को गलत तरीके से फंसा कर जेल भेजा गया था। पुलिस की पोल खुलने के बाद कोर्ट में तथ्यों की भूल बताते हुए चिरंजीत को 25 दिन बाद रिहा कराया था।

रांची के चुटिया थाने की पुलिस ने प्रीति नामक लड़की के फर्जी अपहरण व हत्या के बाद जला देने की झूठी कहानी गढ़कर तीन निर्दोष छात्रों को जेल भेजा था। इस केस में पुलिस ने प्रीति के अपहरण के बाद हत्या कर जलाने का मामला दर्ज किया, और धुर्वा के तीन युवक अजित कुमार, अमरजीत कुमार व अभिमन्यु उर्फ मोनू को जेल भेज दिया था। इसी दौरान अपने प्रेमी के साथ फरार हुई प्रीति करीब चार महीने बाद 14 जून 2014 को जिंदा वापस लौटी थी। जिसके पाँच महीने बाद तीनों युवक जेल से रिहा हुए।

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