चर्मशोधन की इकाइयों पर चला बुलडोजर, विरोध करने पर लाठीचार्ज

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12 मई। अनुसूचित जाति के पुश्तैनी कार्य चर्मशोधन की इकाइयों पर प्रशासन ने बिना किसी पूर्व सूचना के बुलडोजर चलाकर जमींदोज कर दिया। कार्रवाई का विरोध करने पर पुलिस ने अनु.जाति के लोगों पर लाठीचार्ज कर दिया। जिसमें करीब 22 लोगों के घायल होने की खबर भी है। यह घटना बागपत जिले के भड़ल गाँव की है। प्रशासन की इस कार्रवाई से इलाके के अनु.जाति समुदाय में आक्रोश हैं।

घटना का संज्ञान लेते हुए शोषित क्रांति दल ने प्रदेश के राज्यपाल और मुख्यमंत्री को शिकायत भेजकर न्याय की गुहार लगाई है। शोषित क्रांति दल के अध्यक्ष रविकांत ने बागपत में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बताया, कि भड़ल गाँव के दलित सैकड़ों वर्षों से अपना पुश्तैनी चर्म शोधन का काम कर रहे थे, और अपने परिवारों का भरण-पोषण कर रहे थे। उन्होंने अपने खून पसीने की कमाई से जमीन खरीद कर इकाइयों का निर्माण किया था।

शोषित क्रान्ति दल का मानना है कि प्रशासन की इस कार्रवाई में 100 से अधिक परिवार प्रभावित हुए हैं। विरोध करने पर सात लोगों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है। गिरफ्तार सात लोगों में नाबालिग बच्चे भी थे, जिन्हें न्यायालय ने सोमवार शाम को जमानत पर रिहा कर दिया।

ज्ञात रहे, कि सन 2018 में एनजीटी ने कोई एकपक्षीय आदेश दिया था, कि चर्म शोधन का कार्य बंद किया जाए, जिस पर अनु.जाति के लोगों का कहना था, कि वे गाँव में काम बंद करने को तैयार हैं बशर्ते, उनके लिए कहीं और जरूरी सुविधाओं के साथ इकाइयाँ बना कर दी जाएँ, जिसके लिए उन्होंने शोषित क्रांति दल के नेतृत्व में कई बार आंदोलन किये और जिला प्रशासन को ज्ञापन दिए हैं। परंतु प्रशासन ने कोई सुनवाई नहीं की, और लगातार उन पर काम बंद करने का दबाव बनाते रहे। अंत में 7 मई को बागपत प्रशासन ने बिना किसी पूर्व सूचना के और बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के समस्त चर्म शोधन इकाइयों को बुलडोजर चलाकर जमींदोज कर दिया, विरोध करने पर पुलिस ने दलित बच्चों महिलाओं पुरुषों पर जमकर लाठीचार्ज किया और कई लोगों को हिरासत में लेकर जेल में डाल दिया।

न्यूजक्लिक के अनुसार, कहा जा रहा है कि यह उनकी कमाई से बनाई हुई निजी संपत्ति थी। जिसे गिराने का अधिकार किसी के पास नहीं है। रविकान्त ने कहा, बुलडोज़र चलाए जाने की सूचना मिलने पर शोषित क्रांति दल ने जिलाधिकारी को कई बार फोन पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने या तो फोन नहीं उठाया या फिर फोन उठानेवाले ने जरूरी मीटिंग का हवाला देते हुए बात कराने से इनकार कर दिया। इसके बाद उन्होंने मेरठ के मंडल आयुक्त को फोन कर पूरे प्रकरण से अवगत कराया। बावजूद इसके देर शाम तक बुलडोजर अनु.जाति के लोगों की इकाइयों पर चलता रहा और प्रशासन की तरफ से इसे रोकने की कोई कार्रवाई नहीं हुई।

रविकांत ने आगे बताया कि, ‘‘गाँव में पुलिस का पहरा है और लोग डरे हुए हैं, और कुछ तो गाँव छोड़कर चले गए हैं। अधिकारियों पर सामंतवादी सोच इस कदर हावी थी, कि उन्होंने जोश-जोश में कई लोगों के घर भी गिरा दिए। जिसका घर गिराया गया है उसे परिवार सहित जेल भेज दिया है, जो कि घोर निंदनीय है।

शोषित क्रांति दल ने माँग की है कि बिना किसी आदेश और पूर्व सूचना के बुलडोजर चलानेवाले अधिकारियों और लाठीचार्ज करनेवाले पुलिस अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई की जाए, अनु.जाति के लोगों की तोड़ी गयी निजी संपत्ति का उचित मुआवजा दिया जाए, जेल में बंद सभी लोगों को बिना शर्त रिहा कर मुकदमे वापस लिये जाएँ। साथ ही चर्म शोधन से जुड़े सभी लोगों को वैकल्पिक इकाइयों के निर्माण के लिए भूमि उपलब्ध कराई जाए, वित्तीय सहता प्रदान की जाए और आर्थिक मुआवजा दिया जाए।

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