22 मई। स्वराज इंडिया ने दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर डॉ रतन लाल की गिरफ्तारी की निंदा की है। बयान में कहा गया है कि ज्ञानव्यापी मस्जिद के मुद्दे पर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट को लेकर प्रोफेसर लाल पर प्राथमिकी दर्ज कर गिरफ्तारी की गई है। इसी तरह की एक घटना में कुछ दिन पहले लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रविकांत चंदन के खिलाफ भी एक समाचार कार्यक्रम पर उनके बयान को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इनके बयान से किसी की असहमति हो सकती है, आपत्ति भी हो सकती है, लेकिन इस अभिव्यक्ति के खिलाफ सांप्रदायिक नफरत फैलाने के लिए प्राथमिकी और गिरफ्तारी का कोई औचित्य नहीं है। यह स्पष्ट रूप से विचारों की अभिव्यक्ति के खिलाफ दमन है, और विभिन्न विचारों के प्रति सरकार की असहिष्णुता का सबूत है। संविधान के मूल्यों को ध्वस्त करते हुए विशेष जाति, धर्म, विचार के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है।
इस बीच यति नरसिंहानंद और सुरेश चव्हाणके जैसे लोगों को सार्वजनिक मंच से नफरत फैलाने और हिंसा भड़काने की खुली अनुमति दी जाती है। स्वराज इंडिया ने माँग की है, कि प्रोफेसर डॉ. रतन लाल के खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए जाएँ, और सत्ताधारी दल द्वारा शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों व एक्टिविस्टों का ही नहीं बल्कि हर नागरिक के उत्पीड़न को रोका जाए।
– आशुतोष