लोकतंत्र पर विश्वास करनेवाले, प्रतिरोध का व्यापक मंच बनाएं- डॉ सुनीलम

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21 मई। किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष, पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने प्रोफेसर रतनलाल की दिल्ली पुलिस द्वारा सोशल मीडिया पोस्ट की आड़ में रातोरात की गयी गिरफ्तारी के राष्ट्रव्यापी विरोध को बहुजन समाज में बढ़ती हुई चेतना का प्रमाण बताते हुए प्रोफ़ेसर रतनलाल पर दर्ज फर्जी मुकदमा रद्द करने की मांग की है।

डॉ सुनीलम ने कहा कि देश के किसी भी नागरिक को किसी भी विषय पर अपनी राय रखने का अधिकार है। लेकिन सरकार इतना भयभीत है कि वह हर वैचारिक मतभेद को चुनौती मानकर उसे कुचलने का प्रयास करती है।

डॉ सुनीलम ने कहा है कि ट्वीट के आधार पर पहले विधायक जिग्नेश मेवानी को असम पुलिस ने गुजरात से गिरफ्तार किया, बाद में उन पर फर्जी मुकदमें लाद दिए गए। न्यायपालिका के दखल के चलते वे रिहा हुए। पिछले सप्ताह एक चैनल पर ज्ञानवापी को लेकर अपने विचार रखने के कारण प्रोफ़ेसर रविकांत पर लखनऊ में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के गुंडों ने हमला किया। एफआईआर होने के बावजूद गुंडों को गिरफ्तार नहीं किया गया। अब प्रोफेसर रतनलाल को ट्वीट के आधार पर गिरफ्तार करना भारतीय जनता पार्टी की दलित विरोधी मानसिकता को तो दर्शाता ही है, साथ ही सरकार की दमनात्मक कार्रवाइयों से यह साफ हो रहा है कि वह संविधान प्रदत्त स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकार पर विश्वास नहीं रखती तथा जो बुद्धिजीवी मनुवाद और कारपोरेट लूट को चुनौती दे रहे हैं, उनकी आवाज सरकार कुचलने पर आमादा है।

डॉ सुनीलम ने कहा कि विभिन्न अंधविश्वासों, कुरीतियों तथा अत्याचारी एवं भेदभावपूर्ण परंपराओं और सामाजिक व्यवस्थाओं को चुनौती देनेवालों को चुन-चुन कर निशाना बनाया जाना यह दर्शाता है कि भारत में लोकतंत्र लगातार सिकुड़ता जा रहा है।

डॉ सुनीलम ने कहा कि वैचारिक स्तर पर अंधविश्वास और कट्टरता को चुनौती देनेवाले डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर, कामरेड गोविंद पानसरे, प्रोफेसर कलबुर्गी एवं पत्रकार गौरी लंकेश की कट्टरपंथियों द्वारा हत्या और हाल ही में हुई तीनों बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की आवाज दबाने की कोशिश संघ परिवार के हिंदू राष्ट्र बनाने के एजेंडा से जुड़ी हुई कार्रवाइयां हैं जिसे संघ से जुड़े संगठनों का प्रत्यक्ष और केंद्र सरकार का अप्रत्यक्ष समर्थन प्राप्त है।

डॉ सुनीलम ने देश के संविधान में विश्वास रखनेवाले सभी व्यक्तियों और संगठनों से अपील की है कि वे इन घटनाओं को गंभीरता से लेकर हर स्तर पर इनका विरोध करें ताकि देश में लोकतंत्र को बचाया जा सके।

– भागवत परिहार

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