फासीवाद के खिलाफ संघर्ष वाहिनी समन्वय समिति ने किया आनलाइन संवाद

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20 मई। विगत कुछ महीनों से पूरे देश में अशांति फैलाने का अभियान चल रहा है। जगह जगह लगे ‘भगवा क्रांति’ के पोस्टर इसके राष्ट्रव्यापी सुनियोजित अभियान होने की पुष्टि कर रहे हैं। काशी, मथुरा, औरंगाबाद से लेकर गोवा तक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य सिर्फ राजनीतिक लाभ उठाना नहीं है। देश के संवैधानिक ढांचे में परिवर्तन लाना तथा मनुवाद को स्थापित करना इसका मूल उद्देश्य है। इसके अलावा महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी जैसे मूल मुद्दों से जनता का ध्यान हटाना भी इसका उद्देश्य है। देश के सारे संसाधनों को पूँजीपतियों के हाथ सौंप देना इसका लक्ष्य है। असल में अल्पतंत्री निरंकुशता वाले इस कथित बहुसंख्यकवाद से देश की एकता, लोकतंत्र और विकास खतरे में है। दुर्योग की बात है कि विपक्षी दल चुनाव में हानि के डर से मुंह चुराकर बैठे हैं। ऐसे में संघर्ष वाहिनी समन्वय समिति की पहल पर भारत के जनसंगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक वर्चुअल बैठक विगत 18 मई 2022 को आयोजित की गयी थी।

उपरोक्त बैठक में सर्वश्री राम पुनियानी, आनंद कुमार, सुनीलम, आशा बोथरा, प्रदीप खेलूलकर, सुरेश खैरनार, सतीश गिरिजा, फिरोज मिठीबोरवाला, फादर एन्टो जोसेफ, जागृति राही, रजिया पटेल, सत्यप्रकाश भारत, शेखर सोनालकर, शाहिद कमाल, एन.डी.पंचोली, आशुतोष, विजय प्रताप, लिंगराज आजाद, रामकिशोर, किशोरदास, मणिमाला, गुड्डी, सुशील कुमार, श्रीकांत, अरविन्द अंजुम, वासंती दीघे, किरण निशान्त, कंचनबाला, मदन, ज्ञानेंद्र, रामधीरज, रामशरण और मंथन ने विचार रखे। इनके अलावा योगेंद्र, पुतुल, नूरुद्दीन नायक, घनश्याम, अमित श्रीवास्तव आदि ने भी भाग लिया।

बैठक में यह आम राय थी कि वर्तमान संकट में सबके लिए अपना अपना काम करते हुए भी, मिलकर काम करना जरूरी है। इस संदर्भ में  निम्नलिखित सुझाव आए जिन पर सहमति थी-

1. जल्द से जल्द लेकिन पूरी पूर्वतैयारी करने के बाद बनारस में एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जाए।

2. राष्ट्रीय एकता को मजबूत करनेवाली उपलब्ध प्रचार सामग्री जमा की जाय, नयी सामग्री तैयार की जाए और सब मिलकर इसका वितरण करें।

3. समता मार्ग, बहुजन संवाद आदि चैनलों का सामूहिक उपयोग किया जाए।

4. राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर व्हाट्सऐप ग्रुप बनाकर नियमित संवाद किया जाए।

5. इस काम के लिए पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में जिम्मेदारी लेने की जरूरत है ।

6. संविधान और भारतीय झंडे के साथ धर्मनिरपेक्ष शाखाओं को चलाने का समांतर अभियान चलाने की कोशिश हो ।

7. मिलजुलकर युवाओं के प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाएं।

8. गांवों में संपर्क के लिए पदयात्रा आदि का आयोजन किया जाए।

9. राजनीतिक दलों पर एकता और लोकतंत्र के लिए दबाव बनाया जाए।

10. हिन्दू मुस्लिम और अन्य सभी धर्मों की कट्टरता का विरोध किया जाए।

11. देश में मनुवादी संस्कृति लादने तथा दलितों पर अत्याचार का सामूहिक विरोध किया जाए।

12. महान विचारकों जैसे गांधी, आंबेडकर, फुले आदि के विचारों का प्रचार प्रसार किया जाए।

13. मंहगाई, बेरोजगारी आदि के सवालों पर युवाओं को संगठित किया जाए और आंदोलन बनाने की कोशिश की जाए।

इसके अलावा कई अन्य उपयोगी सुझाव आये जिनपर सम्मेलन में विस्तार से चर्चा होगी।

– रामशरण

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