बलदेव वंशी की कविता

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पेंटिंग : प्रयाग शुक्ल
बलदेव वंशी (1 जून 1938 – 7 जनवरी 2018)

फिर से देखना सीखो

वह पहाड़ बहुत बड़ा है
यह कंकड़ बहुत छोटा

तुम धोखा खा गए हो !

पहाड़ तो केवल पहाड़ है
बड़ा या बहुत बड़ा नहीं
और कंकड़ भी महज कंकड़ है
छोटा या बहुत छोटा नहीं

सोचना छोड़ो ! केवल ! देखना सीखो अभी
पहाड़ और कंकड़ को
सिर्फ़ देखो । ठीक से देखना सीखो
पहले
इसे भावना में घुलाकर देखो
यह तुम्हें अपना पुरखा नजर आएगा

सिर्फ सोचना नहीं
होना जानो
स्थूल तथ्य बिला जाएगा

अब पहाड़ के और कंकड़ के
सत्य को इतिहास को
पहचानो !

पहाड़ और कंकड़ ही नहीं
सारा जगत
अपना हो जाएगा !

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