29 मई। पुलिस दबिश के दौरान जहर खाने से माँ और दो बेटियों की मौत के मामले में आरोपी दारोगा को निलंबित कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के छपरौली क्षेत्र के बाछौड़ गाँव की यह घटना है। इस घटना का खुद संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी करके चार हफ्ते में रिपोर्ट माँगी है। बागपत के पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार जादौन ने शुक्रवार को बताया कि जाँच में यह तथ्य सामने आया है, कि दबिश के दौरान दारोगा नरेशपाल की मौजूदगी में ही माँ और बेटियों ने जहर खाया था। उस वक्त दारोगा ने सूझबूझ का परिचय देने के बजाय लापरवाही बरती, इसके मद्देनजर उन्हें निलंबित कर दिया गया। जादौन ने यह भी बताया कि मामले में आगे की जाँच के लिए तीन-सदस्यीय एसआईटी गठित की गयी है।
इससे पहले मृतकाओं के परिवार की तहरीर के आधार पर छपरौली थाने के दारोगा नरेशपाल समेत छह लोगों के खिलाफ उत्पीड़न और आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज किया गया था, तथा उसकी जाँच अपराध शाखा को सौंपी गयी थी। वहीं एनएचआरसी ने मामले का खुद संज्ञान लेते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी करके चार हफ्ते के अंदर विस्तृत रिपोर्ट माँगी है। आयोग ने माना कि मामले की मीडिया रिपोर्टों पर गौर करने से ऐसा लगता है कि कानून लागू कराने वाली एजेंसियां हालात को संभालने में विफल रहीं, जिसकी वजह से मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ।
गौरतलब है, कि पिछली तीन मई को छपरौली थाना क्षेत्र के बाछौड़ गाँव निवासी कांतिलाल नामक व्यक्ति ने पुलिस को तहरीर दी थी, कि उसकी पुत्री को गाँव का ही युवक प्रिंस लेकर चला गया है। इसके बाद पुलिस आरोपी को पकड़ने उसके घर गई थी। इस कार्रवाई के दौरान आरोपी की माँ और दो बहनों ने कथित रूप से जहरीला पदार्थ खा लिया। तीनों को मेरठ के अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ बुधवार को स्वाति और गुरुवार को अनुराधा और प्रीति ने दम तोड़ दिया। मृत महिला और उसकी छोटी बेटी प्रीति का शव पोस्टमार्टम के बाद गाँव में लाया गया तो महिलाओं ने सड़क पर ही एंबुलेंस रोक ली और धरने पर बैठ गयीं। बाद में वरिष्ठ अधिकारियों ने पीड़ित परिवार को उचित मदद करने का आश्वासन देकर शवों का अंतिम संस्कार किया गया।
अनुराधा के पति महक सिंह ने संवाददाताओं से कहा, उसका बेटा प्रिंस यदि किसी युवती को लेकर चला गया तो बेटे के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए थी, लेकिन पुलिस ने परिवार के सदस्यों को परेशान करना शुरू कर दिया। पुलिस कई बार घर आयी और परेशान किया, आए दिन पुलिस परिवार के सदस्यों को थाने ले जाकर मारपीट करती थी।
मालूम हो कि मई महीने में यह चौथी घटना है, जिसमें पुलिस की दबिश के दौरान महिलाओं की जान गयी है।
इससे पहले बीते 14 मई को सिद्धार्थनगर जिले के सदर थाना क्षेत्र के एक गाँव में पुलिस की दबिश के दौरान एक महिला की गोली लगने से मौत हो गयी थी। सात मई को फिरोजाबाद जिले के पचोखरा क्षेत्र में कथित रूप से पुलिस द्वारा धक्का दिए जाने से गिरी एक बुजुर्ग महिला की मौत का मामला सामने आया था। एक मई को चंदौली जिले के सैयदराजा क्षेत्र के मनराजपुर गाँव में पुलिस की दबिश के दौरान संदिग्ध परिस्थितियों में एक युवती की मौत हो गयी थी। पुलिस का एक दल एक बालू कारोबारी कन्हैया यादव को पकड़ने के लिए उसके घर पहुँचा था। पीड़ित परिवार का आरोप है, कि इस दौरान एक पुलिसकर्मी ने कारोबारी की 24 साल की बेटी से बलात्कार किया तथा मारपीट और जोर-जबरदस्ती के कारण उसकी मौत हो गयी।
उत्तर प्रदेश में दोबारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी तो कानून व्यवस्था भी एक अहम मुद्दा था। हालांकि, पुलिस ही जब मनमानी करने लगे तो पब्लिक खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करती। योगी के 25 मार्च को शपथ लेने के बाद से प्रदेश भर में कई ऐसी छोटी-बड़ी घटनाएँ हुई हैं जब खुद पुलिसकर्मियों ने ही खाकी को कलंकित किया है।
(MN News से साभार)