8 जून। बिहार के वैशाली जिला में अतिक्रमण के नाम पर अल्पकालिक नोटिस देकर पुनर्वास का विकल्प दिए बिना दलितों की करीब तीन सौ झोपड़ियों को ढहा देने का मामला सामने आया है। इससे तीन हजार की आबादी अपने बच्चों और महिलाओं समेत बेघर हो गई है। ऐसे मौसम में इन लोगों के घरों की तोड़ फोड़ की गई है जब मानसून राज्य में दस्तक दे रहा है। इस तरह ये कार्रवाई इन गरीब लोगों की जान पर बन आई है। वे बच्चों समेत खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। सभी लोग आसपास के इलाके में मजदूरी करके अपने बच्चों और परिवार का भरण-पोषण करते हैं। ऐसे में उनके सामने कई तरह का संकट खड़ा हो गया है। ये मामला वैशाली जिला के सहदेई बुजुर्ग ब्लॉक के चकफैज पंचायत का है।
सीपीआइएम जिला सचिव राजेंद्र पटेल ने न्यूजक्लिक से बात करते हुए कहा कि, “जिन दलितों के घरों को तोड़ा गया है, वे सभी भूमिहीन हैं। वे मजदूर वर्ग हैं जो रोज कमाते और रोज खाते हैं। प्रशासन की इस कार्रवाई को लेकर 6 जून को महनार अनुमंडल पदाधिकारी के समक्ष पीड़ितों ने अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन किया था। एसडीओ ने अपने राजस्व पदाधिकारी तथा सीओ महनार को हमलोगों से वार्ता करने के लिए नियुक्त किया और उन्होंने कहा, कि वार्ता में जो भी निर्णय लिया जाएगा उसे लागू कर दिया जाएगा। इन पदाधिकारियों ने स्वीकार भी किया कि जो कार्रवाई हुई वह सही नहीं थी। इन्होंने यह स्वीकार भी किया, कि जब तक भूमिहीनों की सूची तैयार नहीं की जाती है और उनके लिए दूसरे जगह वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की जाती है तब तक उन्हें उक्त स्थान से नहीं हटाया जाएगा। करीब 15 वर्ष पूर्व इन लोगों को कृषि फार्म की जमीन पर बसाया गया था। हम लोगों को प्रशासनिक अधिकारियों से कई बार इन लोगों को दूसरी जगह बसाने का आश्वासन दिया गया लेकिन उस पर किसी प्रकार का कोई कदम नहीं उठाया गया। हम लोगों की माँग वाजिब है, क्योंकि उनके पास घर बनाने के लिए एक टुकड़ा जमीन तक नहीं है। शासन-प्रशासन जितना जल्द हो उन सभी लोगों के आवास की वैकल्पिक व्यवस्था करे। ये सभी लोग गंगा कटाव के चलते इस स्थान पर बसे हुए थे।”
प्रशासन की ओर से की गई इस कार्रवाई को लेकर राजापाकर विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस पार्टी की विधायक प्रतिमा कुमारी ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव के नाम इस महीने की छह तारीख को पत्र लिखा और कार्रवाई रोकने की माँग की। साथ ही उन्होंने इस पत्र में सभी परिवार के लिए पुनर्वास की व्यवस्था करने की माँग की है।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता हेत कुमार पासवान बताते हैं कि, “कृषि फार्म की जमीन पर बसे महादलितों को प्रशासन की ओर से जमीन खाली कराने के लिए 31मई को शाम पाँच बजे नोटिस दिया गया और 1 जून को सुबह दस बजे प्रशासनिक अमला बुलडोजर के साथ यहाँ पहुँचा और इनके झोपड़ियों को तोड़ने लगा। इन्हें नोटिस के बाद कोई मौका नहीं दिया गया कि वे अपनी झोपड़ी हटा सके। इन लोगों का बड़ा नुकसान हुआ है। ये मजदूरी करके अपना परिवार चलाते हैं। अब वे खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं। बरसात का मौसम आनेवाला है जिसको लेकर वे परेशान हैं। इनमें से कुछ लोगों के पास मवेशी भी थे जिसके लिए उन्होंने भूसा इकट्ठा कर रखा था। इस कार्रवाई में वह सब नष्ट हो गया है।”
(‘न्यूजक्लिक’ से साभार)