एमनेस्टी ने मुस्लिमों पर हो रही दमनात्मक कार्रवाई रोकने को कहा

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19 जून। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद विरोध प्रदर्शन कर रहे मुसलमानों के खिलाफ दमनात्मक कार्रवाई को तुरंत रोकने को कहा है। एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने इस मामले में एक बयान जारी कर कहा है, ‘‘जो मुसलमान अपने पर हो रहे भेदभाव के खिलाफ बोलने की हिम्मत कर रहे हैं, उन्हें चुनकर, उनके खिलाफ निर्दयतापूर्वक कार्रवाई की जा रही है।“

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया कहा, ‘‘प्रदर्शन में शामिल लोगों के खिलाफ बल प्रयोग किया जा रहा है, उनके घर तोड़े जा रहे हैं। जिसे चाहे उसे हिरासत में ले लिया जा रहा है और अपने लिए आवाज उठानेवाले प्रदर्शनकारियों का इस तरह दमन करना, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के तहत भारत की प्रतिबद्धताओं का सीधा उल्लंघन है।’’

गौरतलब है, कि बीते शुक्रवार जुमे की नमाज के बाद देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए जिसके बाद प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए सैकड़ों गिरफ्तारियां कीं। अकेले यूपी में 300 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई बार अपने बयानों में बुलडोजर कार्रवाई को उचित बताया है, और इसे आगे भी जारी रखने की बात कही है। कहा जा रहा है, कि यह संवैधानिक और मानवाधिकार कानून का उल्लंघन है। एमनेस्टी ने हिरासत में लिये गए प्रदर्शनकारियों की तुरंत और बिना शर्त रिहाई की माँग की है।

बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल की पैगंबर मोहम्मद को लेकर विवादित टिप्पणियों के बाद से ही देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन हो रहे हैं। इन टिप्पणियों के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में पिछले सप्ताह दो लोगों की मौत भी हो गयी। वहीं अलग-अलग राज्यों की पुलिस ने कार्रवाई करते हुए सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया है।

बता दें कि एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाकर भारत में अपना कामकाज रोक दिया था। एमनेस्टी इंटरेशनल इंडिया ने सरकार पर पीछे पड़ जाने का आरोप लगाया था। संस्था का कहना था, कि सरकार ने एक कार्रवाई के तहत उसके बैंक अकाउंट फ्रीज कर दिए थे, जिस वजह से संस्था का कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया। संस्था ने आरोप लगाया था, कि सरकार की कार्रवाई करने की वजह संस्था द्वारा दिल्ली दंगों में दिल्ली पुलिस और भारत सरकार की भूमिका की जवाबदेही तय करने की माँग और जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ आवाज उठाना है।

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