भारतीय संसद इजराइल से तत्काल युद्ध रोकने का प्रस्ताव पारित करे, भारत इजराइल को हथियारों की आपूर्ति बंद करे।
दिल्ली के ग़ालिब ऑडिटोरियम में फिलिस्तीन एकजुटता राष्ट्रीय सम्मेलन सम्पन्न हुआ। सम्मेलन में इजराइल द्वारा फिलिस्तीनियों का नरसंहार करने वाले युद्ध को तत्काल रोकने, भारत की संसद से इजराइल को युद्ध समाप्त करने का प्रस्ताव पारित करने , भारत से इजराइल को हथियारों की आपूर्ति बंद करने , संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्ताव के अनुसार फिलिस्तीन राष्ट्र निर्माण करने, इजराइली कंपनियों द्वारा बने सामान का बहिष्कार करने तथा 7 अक्टूबर को पूरे देश भर में फिलीस्तीन एकजुटता दिवस मनाने संबंधी प्रस्ताव पारित किए गए।
फिलिस्तीन दूतावास के काउंसलर बसीम एफ हेलीस ने मुख्य वक्ता के तौर पर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि फिलिस्तीन का प्रश्न धार्मिक मुद्दा नही है। यह इजराइल द्वारा साम्राज्यवादी क़ब्ज़े से मुक्ति का संघर्ष है। उन्होंने कहा कि मेरे परिवार-कुनबे के 200 सदस्य मारे जा चुके हैं।
उन्होंने भारत और फिलीस्तीन के प्रगाढ़ मैत्रीपूर्ण रिश्ते का जिक्र भी किया। उन्होंने भारतीयों को फिलीस्तीन मुक्ति संग्राम का समर्थन करने के लिए धन्यवाद दिया। इंडिया फिलिस्तीन सॉलिडेरिटी फोरम (आईपीएसएफ) के अध्यक्ष डॉ सुनीलम ने इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू को नरसंहार का दोषी बताते हुए उन्हें युद्ध अपराधी घोषित किए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिलिस्तीनियों के साथ एकजुटता जताने की बजाय इजराइल को हथियार मुहैया कराए हैं।
उन्होंने कहा कि अधिकांश भारतीय फिलिस्तीनियों के नरसंहार के खिलाफ है। उन्होंने 7 अक्टूबर को इजराइल द्वारा बमबारी से फिलिस्तीनियों के नरसंहार के 1 वर्ष पूरा होने पर राष्ट्रव्यापी प्रतिरोध के कार्यक्रम आयोजित करने कीअपील की। उन्होंने कहा कि हर भारतीय को इजराइल की हैवानियत के खिलाफ फिलिस्तीन में इंसानियत को बचाने के लिए आगे आना चाहिए।
इंडिया-फिलिस्तीन सॉलिडेरिटी फोरम के महामंत्री फिरोज़ मीठीबोरवाला ने कहा कि 7 अक्टूबर असल में गाज़ा घेट्टो अपराईजिंग ( विद्रोह) है। असल में यह जेल तोड़ने के समान है। 17 वर्षों तक गाज़ा में फिलिस्तीनियों को जिस तरह जेल में कड़ी पाबंदियों के साथ रखा गया, उससे फिलिस्तीनियों ने निकलने का प्रयास किया है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने यह युद्ध इसलिए शुरू किया ताकि वह भ्रष्टाचार के आरोपों से बच सकें। उन्होंने कहा कि 10,000 से अधिक फिलिस्तीनी इजराइली जेल में कैद है तथा इजराइल के यहूदी ज़ोइनिस्ट नेताओं द्वारा अल अक्सा मस्जिद को तोड़ने तथा सोलोमन का मंदिर बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
ऑल इंडिया तंजीम उलेमा- ई -इस्लाम के अध्यक्ष मुफ़्ती अशफ़ाक एच कादरी ने युवाओं को ऐतिहासिक भारत- फिलिस्तीन के रिश्तों की विस्तृत जानकारी दी। इंडियन्स फॉर फिलिस्तीन के एम जी विजयन ने कहा कि फिलिस्तीन का मुद्दा विश्व स्तर पर मानवता से जुड़ा मुद्दा है। उन्होंने बताया कि 11 प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में अडानी एलबीट और दो सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा इजराइल को हथियार बेचे जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
इंडिया- फिलिस्तीन सॉलिडेरिटी फोरम के उपाध्यक्ष और मुस्लिम स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन के अध्यक्ष डॉ शुजात अली कादरी ने कहा कि अमरीका, इजराइल और पश्चिम के साम्राज्यवादी प्रदेशों को अब कड़ी चुनौती मिल रही है। उन्होंने कहा कि लेनसेट नामक पत्रिका के मुताबिक इजराइल द्वारा अब तक दो लाख फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि अगले कुछ वर्षों में फिलीस्तीन इजराइली कब्ज़े से मुक्त होगा।
ऑल इंडिया तंजीम उलेमा-ई-इस्लाम के सचिव सैयद ज़ावेद नक्शबंदी क़ारी सगीर ऱजवी ने सभी भारतीयों से धार्मिक संकीर्णताओं से ऊपर उठकर फिलिस्तीन के मुद्दे को लेकर एकजुट होने की अपील की। राष्ट्रीय सम्मेलन में फिलीस्तीन के समर्थन में राष्ट्रीय जन आंदोलन खड़ा करने तथा राष्ट्र के सभी सामाजिक-धार्मिक समूहों को एकजुट करने का संकल्प लिया गया।