पश्चिमी उप्र में सांप्रदायिकता को रोकने के लिए भाईचारा मंच का गठन

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1 जुलाई। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 14 जिलों के प्रगतिशील नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सांप्रदायिकता को रोकने के उद्देश्य से भाईचारा मंच का गठन किया है। यह मंच देश के संविधान की मूल भावना में विश्वास रखनेवाले नागरिकों को एकजुट करेगा। इसके साथ ही मंच धार्मिक और जातिगत आधार पर नागरिकों के उत्पीड़न के खिलाफ भी लड़ेगा। मंच की इकाइयाँ गौतमबुद्धनगर और बुलंदशहर में बनाई गयी हैं। नेतृत्व पूरे उत्तर प्रदेश में मंच के विस्तार की योजना पर काम कर रहा है। 5 जून 2022 को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के विभिन्न जन संगठनों, पार्टियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने पूर्वी कोर्ट रोड, मेरठ के बाल सदन हॉल में एक बैठक की थी। देश में बढ़ती सांप्रदायिकता पर चिंता व्यक्त करते हुए वक्ताओं ने कहा, “दुर्भाग्य से देश की गद्दी पर एक ऐसे राजनीतिक दल का कब्जा है, जो भारत की विविधता में एकता में विश्वास नहीं करता है, जो संविधान की शपथ लेते हैं, लेकिन धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक न्याय और लोकतांत्रिक चरित्र में विश्वास नहीं करते, जिनका नारा धर्म के नाम पर राष्ट्र निर्माण करना है।

मुख्य रूप से यह मंच सांप्रदायिक ताकतों की साजिश और अर्थव्यवस्था पर हमलों के खिलाफ व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाएगा। यह देश में भाईचारे को बनाए रखने के लिए सभी धर्मों और जातियों के लोगों के साथ एक आम आंदोलन शुरू करने का आह्वान करता है। जहाँ धर्म और जाति के आधार पर लोगों के साथ अन्याय होगा, वहाँ भाईचारा मंच की विभिन्न स्तरों की समितियों का सीधा हस्तक्षेप होगा। इसके साथ ही मंच देश के संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को लागू करने पर भी जोर देगा। मंच सदस्य गंगेश्वर दत्त शर्मा ने कहा, “साम्प्रदायिकता की राजनीति को समाप्त करने के लिए लोगों की एकता के लिए मंच बनाया गया है। समाज के प्रगतिशील वर्ग ने लंबे समय से इस तरह के मंच की आवश्यकता महसूस की है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश भाईचारा मंच की समिति ने मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली, सहारनपर, बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, हापुड़, गजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा सहित 14 जिलों के प्रतिनिधियों को सम्मिलित किया। 19 जून 2022 को गौतमबुद्धनगर के अधिवक्ताओं, समाजसेवियों, कार्यकर्ताओं, किसानों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों द्वारा एक सम्मेलन का आयोजन किया गया और भाईचारा मंच की जिला इकाई का गठन किया गया। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के भाईचारा मंच के संरक्षक कर्नल जयवीर सिंह ने कहा, “देश में फैल रही नफरत के खिलाफ जनता को जागरूक करने के लिए मंच का गठन किया गया है। पश्चिमी यूपी के 14 जिलों में मंच की गतिविधियाँ शुरू हो गयी हैं। समितियों का गठन किया गया है।

मंच की सदस्यता के लिए पात्रता के सवाल पर उन्होंने कहा, “जो कोई भी भाईचारा मंच के उद्देश्यों से सहमत है, और लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास रखता है, वह इसका सदस्य बन सकता है। लेकिन मंच धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव करनेवाले व्यक्ति को अपनी सदस्यता नहीं देगा। मंगलवार को गौतमबुद्धनगर जिले के सूरजपुर के समाहरणालय परिसर में भाईचारा मंच के बैनर तले बड़ी संख्या में लोगों ने एकजुट होकर अग्निपथ योजना के खिलाफ प्रदर्शन किया। मंच के सदस्यों ने योजना और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और सिर्फ चार साल के लिए सैनिकों की भर्ती का विरोध किया। डीएम कार्यालय के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपकर भाईचारा मंच के सदस्यों ने माँग की कि केंद्र सरकार तत्काल प्रभाव से अग्निपथ योजना को रद्द करे, अन्यथा मंच एक बड़ा आंदोलन शुरू करने के लिए मजबूर होगा।

राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन में कहा गया है, कि सरकार ने अग्निपथ योजना की घोषणा करके वर्षों से सेना में भर्ती होने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे युवाओं के सपनों को तोड़ दिया है। भारत सरकार ने न केवल बेरोजगार युवाओं के साथ धोखा किया है, बल्कि देश की सुरक्षा से भी समझौता किया है। वर्तमान सरकार सभी प्रकार के संगठित रोजगार को समाप्त कर ठेका मजदूरों को रख रही है, जो देश के युवाओं और नागरिकों के हितों के खिलाफ है। भाईचारा मंच के जिला संयोजक डॉ रूपेश ने कहा, ”देश के करोड़ों युवा सेना में भर्ती होने के लिए सालों से तैयारी कर रहे हैं। तीन साल से भर्ती न होने से युवा पहले से ही परेशान थे, सरकार ने उनके भविष्य का गला घोंट दिया। किसान और मजदूर सेना में जाते हैं। सरकार ने लाखों युवाओं को बेरोजगारी के दलदल में धकेल दिया है।”

ज्ञापन सौंपने से पहले सभा को संबोधित करते हुए सह संयोजक राजकुमार भाटी ने कहा, “पूर्व जनरल वीके सिंह, जो भाजपा के एक नेता भी हैं, अग्निपथ योजना का पुरजोर समर्थन कर रहे हैं, लेकिन वह 6 महीने का अपना कार्यकाल बढ़वाने के लिए अदालत गए थे। एक तरफ भाजपा संगठित रोजगार को खत्म कर पूंजीपतियों की सेवा में लगे सरकारी संस्थानों का निजीकरण कर रही है, तो दूसरी तरफ साम्प्रदायिकता फैलाकर समाज में जहर घोल रही है, ताकि देश की जनता आपस में बॅंटी रहे।

(Gaurilankeshnews.com से साभार)

अनुवाद – अंकित निगम

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