कोल इंडिया के मजदूर वेतन बढ़ाने की माँग को लेकर हड़ताल पर जाने की तैयारी में

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8 जुलाई। कोल इंडिया के मजदूर वेतन में बढ़ोतरी की माँग को लेकर हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं, जिससे कोयला बाजार और बिजली उत्पादकों में खलबली मची हुई है। ‘आउटलुक इंडिया’ की खबर के मुताबिक कोल इंडिया लिमिटेड के 2,52,000 कर्मचारी वेतन वृद्धि को आगे बढ़ाने के लिए हड़ताल कर रहे हैं। अब तक भारतीय मजदूर संघ, हिंद मजदूर संघ, सेंटर ऑफ ट्रेड यूनियन्स और अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस जैसे ट्रेड यूनियनों ने एक साल में सरकार के साथ पाँच दौर में बैठकें की हैं।

कोल इंडिया के कर्मचारियों की माँग वेतन में 50 फीसदी की बढ़त के रूप में शुरू हुई लेकिन केंद्र सरकार की इस कंपनी द्वारा 3 फीसदी की बढ़ोत्तरी की पेशकश के बाद अब माँग को 47 प्रतिशत कर दिया गया है। लेकिन 1 जुलाई को हुई ताजा बैठक का कोई ठोस नतीजा नहीं निकलने के बाद भाजपा समर्थित भारतीय मजदूर संघ ( BMS ) ने आगे और देरी होने पर हड़ताल की चेतावनी दी है। पिछली बार कोल इंडिया के कर्मचारियों के वेतन में पाँच साल पहले 10वें वेतन समझौते के लागू होने के साथ बढ़ोत्तरी की गई थी।

बीएमएस के महासचिव सुधीर घुरडे का कहना है, कि जुलाई 2021 में लागू हुए 11वें वेतन समझौते के बाद कर्मचारी वैसे भी बढ़ोत्तरी के पात्र थे, लेकिन इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है। अधिकारियों के साथ असफल बातचीत के बाद यूनियनों ने कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी को पत्र लिखने का फैसला किया। घुरडे कहते हैं, “कोरोना के दौरान भी, जब पूरे देश को बंद कर दिया गया था, कोल इंडिया के कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर हमेशा की तरह अपना कर्तव्य निभा रहे थे।”

यह बताते हुए, कि कोल इंडिया ने 36 फीसदी की बढ़त कैसे दर्ज की। घुरडे पूछते हैं, “जब कोल इंडिया ने हमारे (मजदूरों के) काम से लाभ उठाया है, तो क्या इसे अपने कर्मचारियों के बीच बांटना नहीं चाहिए?” हिंद मजदूर सभा ( HMS) से संबद्ध कोल फील्ड मजदूर यूनियन के महासचिव, राघवन रघुनंदन कहते हैं, लोग हमसे पूछेंगे, “क्या मजदूरों के पास खाने के लिए खाना नहीं है? क्या अडानी और अंबानी के पास खाने के लिए खाना नहीं है? फिर उन्हें अपने व्यवसाय का विस्तार करने की जरूरत क्यों है? जब हर कोई कर सकता है तो कोल इंडिया के कर्मचारी वेतन बढ़ाने की माँग क्यों नहीं कर सकते?”

संघ के नेताओं ने कहा, कि हड़ताल आखरी उपाय है क्योंकि वे देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित नहीं करना चाहते हैं। “समझौते कभी आसान नहीं होते। मजदूरों ने हमेशा अपने हक के लिए सम्मानपूर्वक लड़ाई लड़ी है, और इस बार भी हम सम्मानजनक लड़ाई लड़ेंगे। अगर जरूरत पड़ी तो हम प्रदर्शन भी करेंगे,” रघुनंदन ने कहा। सरकार ने स्थिति का जायजा लेते हुए कहा, कि कोल इंडिया का लक्ष्य आपसी सहमति से अपने गैर-कार्यकारी कर्मचारियों के वेतन समझौते को जल्द से जल्द पूरा करना है।

सरकार ने बुधवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, CIL अपनी यूनियनों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखता है और देश में कोयला क्षेत्र के महत्व को देखते हुए किसी भी मतभेद या हड़ताल से बचने का प्रयास करता है। बातचीत चल रही है और आमतौर पर समझौते को पूरा करने में समय लगता है। सरकार ने इस बात की ओर भी ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया, कि CIL देश की पहला केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी थी जिसने पिछले तीन वेतन समझौतों को सफलतापूर्वक पूरा किया था। विज्ञप्ति में कहा गया कि, “इस परंपरा को बनाए रखते हुए, CIL को उम्मीद है कि इस बार भी वेतन समझौते को जल्दी से सील कर दिया जाएगा।” 2020 में, कोयला मजदूरों ने कमर्शियल खनन की अनुमति देने के सरकार के कदम के विरोध में तीन दिवसीय हड़ताल शुरू की थी। ट्रेड यूनियन के एक नेता के अनुसार, हड़ताल ने तीनों दिनों में कोयला उत्पादन को बाधित कर दिया था।

(‘वर्कर्स यूनिटी’ से साभार)

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