विभिन्न दलों और सामाजिक संगठनों ने की बजट की आलोचना

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1 फरवरी। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार 1 फरवरी को साल 2023-24 का वार्षिक बजट पेश किया। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट है। देश के आम बजट का आम से लेकर खास तक हर शख्स को इंतजार रहता है, और देश की जनता की नजर भी वित्तमंत्री के बजट-भाषण पर टिकी रहती है। वित्तमंत्री के भाषण शुरू करने के साथ ही लोगों को सबसे ज्यादा इस बात का इंतजार रहता है कि उनपर आर्थिक बोझ कम हुआ या फिर बढ़ गया। इस बजट को लेकर विभिन्न राजनीतिक पार्टियों और सामाजिक संगठनों ने भी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर कहा कि देश में पहले की तरह पिछले 9 वर्षों में भी केन्द्र सरकार के बजट आते-जाते रहे, जिसमें घोषणाओं, वादों, दावों और उम्मीदों की बरसात की जाती रही, लेकिन वे सब बेमानी हो गए, जब भारत का मिडिल क्लास महंगाई, गरीबी व बेरोजगारी आदि की मार के कारण लोअर मिडिल क्लास बन गया, अति-दुखद। इस साल का बजट ज्यादा अलग नहीं है। पिछले साल की कमियां कोई सरकार नहीं बताती, और नये वादों की फिर से झड़ी लगा देती है, जबकि जमीनी हकीकत में 100 करोड़ से अधिक जनता का जीवन वैसे ही दांव पर लगा रहता है जैसे पहले था। लोग उम्मीदों के सहारे जीते हैं, लेकिन झूठी उम्मीदें क्यों?

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि भाजपा अपने बजट का दशक पूरा कर रही है, पर जब जनता को पहले कुछ न दिया तो अब क्या देगी। भाजपाई बजट महंगाई और बेरोजगारी को और बढ़ाता है। किसान, मजदूर, युवा, महिला, नौकरीपेशा, व्यापारी वर्ग में इससे आशा नहीं निराशा बढ़ती है, क्योंकि ये चंद बड़े लोगों को ही लाभ पहुँचाने के लिए बनता है। बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा, कि 2014 में केंद्र की भाजपा सरकार ने कहा कि, 2022 में किसानों की आय दुगुनी करेंगे, 2022 में सबको आवास देंगे, 2022 तक 80 करोड़ लोगों को नौकरी-रोजगार देंगे। अब 2023 भी आ गया, लेकिन इनकी जुमलेबाजी की आदत नहीं गयी। बीजेपी को 100% सांसद देने वाले बिहार को भाजपाइयों ने बजट में फिर ठगा।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करते हुए कहा कि इस बजट में महंगाई से कोई राहत नहीं है, बल्कि इस बजट से महंगाई और बढ़ेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि इस बजट में बेरोजगारी दूर करने की कोई ठोस योजना नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा, शिक्षा बजट 2.64 % से घटाकर 2.5 % करना दुर्भाग्यपूर्ण है। स्वास्थ्य बजट भी 2.2 % से 1.98 % करना हानिकारक है। यह दिल्लीवासियों के साथ घोर अन्याय है। अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा, कि दिल्लीवालों के साथ एक बार फिर से सौतेला बर्ताव किया गया है। दिल्लीवालों ने पिछले साल 1.75 लाख करोड़ से ज्यादा इनकम टैक्स दिया था, जिसमें से मात्र 325 करोड़ रुपये ही दिल्ली के विकास के लिए दिए गए हैं। ये दिल्लीवालों के साथ घोर अन्याय है।

गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने ट्वीट कर कहा कि हिंदुस्तान के गाँवों में बस रहे करोड़ों लोग अपने रोजगार के लिए जिस मनरेगा योजना पर निर्भर है, उस योजना के लिए सरकार ने केवल 60 हजार करोड़ रुपया का आवंटन किया हैं। यह फैसला इसलिए लिया गया, ताकि गाँवों से शहरों की ओर पलायन बढ़े, और मोदी जी के उद्योगपतियों के लिए सस्ते मजदूर उपलब्ध हों। संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा, कि केंद्र सरकार ने केंद्रीय बजट 2023 में भारत के किसानों के प्रति अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली है। स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव ने कहा, कि यह देश का अब तक का सर्वाधिक किसान-विरोधी बजट है। विंध्याचल जन आंदोलन के अध्यक्ष अजय खरे ने कहा,श कि यह आर्थिक गुलामी की ओर ले जाने वाला बजट है। देश में बढ़ती जा रही आर्थिक गैरबराबरी को रोकने के लिए बजट में कहीं कोई पहल नहीं की गयी है। यह बजट पूंजीपतियों की अथाह दौलत बढ़ाने में मददगार है। यह बजट देश में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और गैरबराबरी पर लगाम लगा पाने में असमर्थ है।

ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस.आर. दारापुरी ने कहा कि इस बजट ने सारा फायदा कार्पोरेट और अपर मिडिल क्लास को दिया है। इस बजट में वर्णित नया आयकर ढांचा मुख्य रूप से कर्मचारियों और आम मध्यम वर्ग के बजाय उच्च मध्यम वर्ग की मदद करने वाला है। राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने शायराना अंदाज में बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि “तुम्हारी फाइलों में गॉंव का मौसम गुलाबी है, मगर ये ऑंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है।” भारत राष्ट्र समिति की नेता कविता कलावकुंतला ने कहा कि ये बजट मोदी सरकार की नाकामी की गणितीय पुष्टि करता है। हमें लगता है, कि ये बजट कुछ चुनिंदा राज्यों के लिए है। हमने दस लाख तक की आय पर टैक्स छूट की उम्मीद की थी। तेलंगाना में हम लोगों को अच्छा वेतन देते हैं, ऐसे में उनके लिए ये छूट किसी काम की नहीं है।

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