22 जुलाई। केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में पेश किए गए आँकड़ों के मुताबिक देश में 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे आते हैं। ग्रामीण इलाके में रहने वाला जो व्यक्ति हर दिन 26 रुपये और शहर में रहने वाला व्यक्ति 32 रुपये भी खर्च नहीं कर पा रहा है तो वह गरीबी रेखा से नीचे माना जाएगा। राज्यों की बात करें तो छत्तीसगढ़ सबसे ज्यादा गरीब है। जबकि यूपी, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश में 10 में से हर तीसरा व्यक्ति गरीबी रेखा से नीचे है।
आँकड़ों के मुताबिक, गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करनेवाली आबादी का अनुपात सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ में है। इस राज्य की 40 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर कर रही है। झारखंड, मणिपुर, अरुणाचल, बिहार, ओड़िशा, असम, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश ऐसे राज्य हैं, जहाँ की 30 फीसदी या उससे ज्यादा आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन बिता रही है। इन राज्यों में हर 10 में से तीसरा व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे आता है।
लोकसभा में गरीबी रेखा से जुड़े सवाल पर ग्रामीण विकास मंत्रालय ने जानकारी देते हुए बताया कि देश की 21.9 फीसद आबादी गरीबी रेखा से नीचे है। यह आँकड़े 2011-12 के हैं। उसके बाद से गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करनेवाले लोगों का हिसाब नहीं लगाया गया। सरकार की गरीबी रेखा की परिभाषा के अनुसार, गाँव में अगर कोई हर महीने 816 रुपये और शहर में 1000 रुपये खर्च कर रहा है, तो ऐसी स्थिति में वो शख्स गरीबी रेखा के नीचे नहीं आएगा।
भारत जब आजाद हुआ था, तब देश की करीब 80 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे आती थी। आजादी के 75 साल बाद गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करनेवाली आबादी घटकर 22 फीसदी पर आ गई। हालांकि, अगर इसे संख्या के आधार पर देखा जाए तो कोई खास अंतर नहीं आया। देश की आजादी के वक्त 25 करोड़ जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे थी, अब 26.9 करोड़ जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे है।