— उपेन्द्र शंकर —
अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने 1 जून 2022, को वैश्विक जल सुरक्षा पर वाइट हाउस की कार्य योजना की घोषणा की, जिसमें पानी की कमी और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच सीधा संबंध बताया गया, और पहली बार जल सुरक्षा को विदेश नीति की प्राथमिकता में मुख्य तौर पर शामिल किया गया।
उपराष्ट्रपति ने कहा “जल असुरक्षा भी हमारी दुनिया को कम सुरक्षित बनाती है, सीमित जल संसाधनों को लेकर देशों या समुदायों के बीच विवाद, झगड़ों का अनुमान से ज्यादा उग्र और विस्तार, समय के साथ सशस्त्र संघर्ष को भड़का सकते हैं।” और इससे दुनिया भर में अमेरिका के हितों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि “हमारे सबसे मौलिक राष्ट्रीय सुरक्षा हित जल सुरक्षा पर निर्भर करते हैं।”
हैरिस ने यह भी बताया, “यह कार्य योजना हमारे देश को राष्ट्रों के बीच संघर्ष को रोकने और सहयोग को आगे बढ़ाने, समानता और आर्थिक विकास को बढ़ाने और हमारी दुनिया को अधिक समावेशी और लचीला बनाने में मदद करेगी।” “पानी की कमी एक वैश्विक समस्या है, और इसे वैश्विक समाधान के साथ पूरा किया जाना चाहिए।”
वाइट हाउस से जारी तथ्य पत्रक में जो कहा गया है वो है : ‘उपराष्ट्रपति हैरिस वैश्विक जल सुरक्षा पर अपनी तरह की पहली व्हाइट हाउस कार्य योजना शुरू करने की घोषणा कर रही हैं, जो देश और विदेश में जल सुरक्षा को आगे बढ़ाने के लिए एक अभिनव दृष्टिकोण की रूपरेखा तैयार करती है। यह योजना पानी और अमेरिकन राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच सीधे संबंधों की पहचान करती है, और यह अमेरिकी सरकार के संसाधनों का उपयोग- विज्ञान और प्रौद्योगिकी का लाभ लेते हुए तथा हमारी कूटनीति, रक्षा और विकास प्रयासों को ध्यान में रखते हुए- वैश्विक जल सुरक्षा और विदेश नीति के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए करेगी। लैंगिक समानता और आर्थिक विकास में वृद्धि के अलावा, जल सुरक्षा संघर्ष को रोकने और वैश्विक शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने का एक केंद्रीय तत्त्व इसमें मौजूद है।”
पिछले अक्टूबर (2021) में, राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के कार्यालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को रेखांकित करते हुए एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें चेतावनी दी गई थी कि बढ़ते तापमान के साथ, “पानी और पलायन पर संघर्ष का खतरा बढ़ रहा है और इस रिपोर्ट के अंत में, अमेरिकी राजनयिक, आर्थिक, मानवीय और सैन्य संस्थाओं के लिए अतिरिक्त संसाधनों की मांग की गयी।
तीन स्तम्भ
वैश्विक जल सुरक्षा कार्य योजना में तीन स्तंभ शामिल हैं- (1) पानी, स्वच्छता और स्वच्छता के लिए सार्वभौमिक और समान पहुंच प्राप्त करना; (2) जल संसाधनों के सतत प्रबंधन को बढ़ावा देना; और (3) जल सुरक्षा को बढ़ावा देनेवाली बहुपक्षीय कार्रवाई सुनिश्चित करना। साथ ही इनके वैश्विक प्रयास में अमेरिकी नेतृत्व को आगे बढ़ाना।
इसका मतलब यह है कि अमेरिकी राजनयिक प्रयास, दुनिया भर में, जल सुरक्षा को विकास कार्यक्रमों और बुनियादी ढांचे मे सुधार के साथ एकीकृत करेंगे, जिसमें अंतरराष्ट्रीय भागीदारों (अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सहयोग) के साथ किए जानेवाले प्रयास भी शामिल हैं।
बिडेन प्रशासन ने कहा कि वह विदेशों में पानी के बुनियादी ढांचे में निवेश (निजी) का समर्थन करेगा और अन्य देशों को,अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सहयोग से, अपने जल संसाधनों का प्रबंधन करने में मदद करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञता भी प्रदान करेगा।
हैरिस ने कहा कि योजना, जो जल सुरक्षा को “अंतरराष्ट्रीय प्राथमिकता” के रूप में बढ़ाती है, का उद्देश्य राष्ट्रों के बीच संघर्ष को रोकना और समानता और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि अमेरिका दुनिया भर में सुरक्षित जल, स्वच्छता और स्वच्छता सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। अमेरिका वैश्विक जल संसाधनों के प्रबंधन और संरक्षण में मदद के लिए एकत्र किए जा रहे डेटा को भी साझा करेगा। हैरिस ने कहा कि अमेरिका इस मुद्दे को वैश्विक स्तर पर उठाने के लिए अपने राजनयिक साधनों का भी इस्तेमाल करेगा।
हैरिस ने कहा कि “पानी की कमी एक वैश्विक समस्या है और इसे वैश्विक समाधान के साथ पूरा किया जाना चाहिए। इसलिए आज हम स्पष्ट करते हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका समाधान में अग्रणी होगा।”
‘सुरक्षा की जिम्मेदारी’ का सिद्धांत और वाइट हाउस कार्य योजना
वाइट हाउस की इस वैश्विक जल सुरक्षा योजना को यदि हम “सुरक्षा की जिम्मेदारी” का सिद्धांत (जिसका लक्ष्य इसके वर्तमान हस्तक्षेपवादी रूप में है) के मापदंडों पर लागू करके देखें कि क्या यह वास्तव में अपने उपरोक्त घोषित लक्ष्यों को प्राप्त कर पाएगा, या फिर सुरक्षा के बहाने नव साम्राजवादी चालें चल ज्यादा नुकसान कर सकता है, क्योंकि यह तो स्थिरता और सुरक्षा के लिए अमेरिका का एकतरफा आख्यान है, एकतरफा घोषणा है।
साथ ही हमें यह भी जानना चाहिए कि सुरक्षा की जिम्मेदारी का यह सिद्धांत आया कहां से और कैसे और किसके द्वारा सिद्धांत की भाषा का निर्माण किया गया और यह कैसे अंतरराष्ट्रीय चेतना के लिए अपील के माध्यम से हिंसा के औचित्य की सुविधा प्रदान करता है।
“सुरक्षा की जिम्मेदारी’ सिद्धांत (जिसे शुरू में “हस्तक्षेप करने की जिम्मेदारी” कहा जाता था) का पहला औपचारिक मंच, अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप और राज्य संप्रभुता (आईसीआईएसएस) था, जिसे वर्ष 2000 में कनाडा सरकार द्वारा विकासशील और विकसित दोनों देशों के सदस्यों के साथ स्थापित किया गया था। ऑस्ट्रेलिया, अल्जीरिया, कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, रूस,जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका, फिलीपींस, स्विट्जरलैंड, ग्वाटेमाला, और भारत के प्रतिनिधियों ने इसमें भाग लिया था।
सिद्धांत के आधिकारिक तौर पर तीन घटक हैं जिन पर सहमति हुई थी- (1) अपने नागरिकों की रक्षा के लिए राज्य का कर्तव्य, (2) ऐसा करने में राज्यों की सहायता करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय का कर्तव्य, और (3) अंतिम उपाय के रूप में “हस्तक्षेप करने की जिम्मेदारी”। यहां पर सिद्धांत का सार जिसे इसके नाम से भी देखा जा सकता है (“हस्तक्षेप करने की जिम्मेदारी” या फिर (”रक्षा की जिम्मेदारी”) यह उजागर करता है कि सुरक्षा के नाम पर हस्तक्षेप वास्तव में एक वैध विकल्प है।
(आईसीआईएसएस के तीसरे गोलमेज सम्मेलन में, प्रतिनिधियों ने ‘हस्तक्षेप करने के अधिकार’ शब्द का उपयोग करने से बचने और मानवीयता दिखाने के साधन के रूप में ‘रक्षा की जिम्मेदारी’ शब्द के प्रयोग का सुझाव दिया। जिसे उस देश पर थोपा जाएगा जिसे ‘संरक्षित’ किया जा रहा है।)
यह भी ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि ‘हस्तक्षेप की जिम्मेदारी’ या ‘रक्षा की जिम्मेदारी’ केवल उन राष्ट्रों या संगठनों (अंतरराष्ट्रीय भी) द्वारा वहन की जा सकती है जिनके पास सैन्य और तकनीकी शक्ति है, और इसलिए एक विकसित (साम्राज्यवादी) राष्ट्र द्वारा इस तरह के आक्रमण का सामना करने की संभावना किसी भी गरीब देश की नहीं है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिस संगठन के पास में इस सम्बन्ध में अंतिम निर्णय की जिम्मेदारी होती है, वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद है, वह एकमात्र संगठन है जो इस तरह के संचालन को अधिकृत कर सकता है। सुरक्षा परिषद में वास्तव में स्थायी पाँच (P5) सदस्यों का वर्चस्व है जो किसी भी तरह से भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रतिनिधि नहीं हैं। तब एक सैन्य हस्तक्षेप को मंजूरी देने की पूरी शक्ति, जो बड़े विनाश और राष्ट्रीय शासन और विश्व व्यवस्था में परिवर्तन करने में सक्षम है, दुनिया के कुछ विकसित राष्ट्रों और उनके द्वारा संचालित संगठनों के प्रमुखों के हाथों में आ जाती है।
बात को और ज्यादा अच्छी तरह से समझने के लिए, पिछले दशकों में, अफगानिस्तान, लीबिया, सीरिया में “रक्षा की जिम्मेदारी” के नाम पर किये हस्तक्षेपों को देख-समझ सकते हैं।
अफ्रीका में अमेरिकी सेना का असली मिशन
उप-सहारा अफ्रीका (सहारा रेगिस्तान के दक्षिण या नीचे का अफ्रीका) में नदियाँ, झीलें और भू-जल के स्रोत बड़ी संख्या में होने के कारण, भरपूर मात्रा में मीठे पानी की आपूर्ति संभव है, और पानी के इन स्रोतों के स्थान, पूरे अफ़्रीकी महाद्वीप में अमेरिकी तथा अन्य देशों के सैन्य ठिकानों के वितरण के साथ मेल खाते हैं। (नीचे के चारों चित्रों को देख, इस तथ्य को अच्छी तरह समझा जा सकता है) अफ्रीका में अमेरिकी सैन्य कमान- अफ्रीकोम- मूल रूप से “आतंकवाद से लड़ने” के लिए स्थापित की गई थी। जब कि वास्तव में, इसका उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि अमेरिकी सहयोगी नव-औपनिवेशिक सरकारें सत्ता में बनी रहें। यह खतरनाक सैन्य तंत्र यह सुनिश्चित करने का काम करता है कि अंतरराष्ट्रीय निगमों द्वारा अफ्रीका के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन जारी रखा जा सके, जिसमें अब पानी भी आसानी से शामिल हो सकता है।
‘वर्कर्स वर्ल्ड’ के अनुसार “मध्य एशिया और अफ्रीका” अब दो मुख्य क्षेत्र हैं जहां अमेरिका पानी की आपूर्ति के संबंध में अपने ठिकाने स्थापित कर सकता है।
यहां हमें यह भी याद रखना चाहिए कि इससे पहले अप्रैल 2021 में अमेरिकन उप राष्ट्रपति कमला हैरिस ने कैलिफोर्निया में वहां की सरकार के गवर्नर श्री गेविन न्यूजॉम के साथ एक प्रोग्राम में उपस्थित होते हुए कहा : “वर्षों से तेल पर युद्ध लड़े गए थे; शीघ्र ही जल के लिए युद्ध होंगे। ”
हमने अपनी पूरी जिन्दगी देखा कि तेल के लिए युद्ध, साम्राज्यवादी देशों और उनके संगठनों ने हमलावर बनकर, सम्प्रभु गरीब राष्ट्रों और उनकी मेहनतकश जनता के खिलाफ लड़े और वहां की जनता और समाज को तबाह कर दिया। पानी की सुरक्षा (वैश्विक) के लिए भी ऐसे ही लड़ा जाएगा और जनता और समाज को तबाह किया जाएगा- क्या यही है अमेरिकी उपराष्ट्रपति की दंभ भरी चेतावनी?
(सन्दर्भ–एसोसिएटेडप्रेस-01 जून 2022,सी एन एन .कॉम वायर सर्विस 01 जून 2022.फैक्टशीट-स्टेटमेंट्स एंड रिलिजज़- वाइट हाउस 01 जून 2022, डायना क्रुज्मन,पैट्सी विदाकुस्वारा, टू प्रोटेक्ट एंड इट्स नव इम्पेरिअलिस्टइम्प्लिकेशन – शाशा भटनागर, इम्पेरिअलिज़्म इन द नेम ऑफ़ वाटर प्रिजर्वेशन –जैसनकोहन-22 अप्रैल 2022,चित्र–सेण्टर फॉर सिक्यूरिटी स्टडीज –इशू ब्रीफ –जनुअरी 2021 और रिसर्च गेट)