26 जुलाई। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के पांच साल पूरे हो गए हैं। साथ ही पांच साल के आंकड़े भी सामने आ गए हैं। मानसून सत्र के दौरान सदन में कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की ओर से पेश आंकड़े साफ बताते हैं कि पीएम फसल बीमा योजना (PM FBY) से किसानों से ज्यादा बीमा कंपनियों के जेब में पैसे गए। चौंकानेवाली बात यह है कि कोरोना काल में जब किसानों को सबसे ज्यादा सहायता की जरूरत थी उस समय बीमा कंपनियों ने किसानों के प्रीमियम के पैसे जमकर डकारे, जो अभी तक किसी ने नहीं बताए। अब जाकर इस बात का खुलासा सांसदों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब से हुआ है।
औसतन 100 रुपए में 25 रुपए का मुनाफा
पांच साल के दौरान फसल बीमा कंपनियों को कुल 1,59,132 करोड़ रुपए के प्रीमियम के रूप में आय हुई। जबकि फसल मुआवजे के रूप में किसानों को 1,19,314 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। ये बात सही है कि इस योजना से करोड़ों किसानों को लाभ मिला, लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि यह योजना निजी सहित बीमा कंपनियों के लिए भी लाभदायक साबित हुईं। पिछले पांच वर्षों में बीमा कंपनियों ने केंद्र की प्रमुख फसल बीमा योजना के तहत लगभग 40,000 करोड़ रुपए किसानों से कमाए हैं। ये जानकारी राज्यसभा में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अलग-अलग संसद के सवालों के लिखित जवाब में खुद सदन को दी है।
(जनज्वार से साभार)