9 अगस्त। 9 अगस्त को अगस्त क्रांति दिवस पर समाजवादी समागम ने हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी भारत छोड़ो आंदोलन की याद में बापू की समाधि राजघाट से आचार्य नरेंद्रदेव वाटिका तक पदयात्रा की। पदयात्रा का नेतृत्व दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्राध्यापक तथा अपने युवा काल से ही समाजवादी आंदोलन में सक्रिय रहे प्रो राजकुमार जैन ने किया। पदयात्रा में पूर्व विधायक डॉ हरीश खन्ना, समाजवादी समागम के अरुण श्रीवास्तव, श्रीमती विनय भारद्वाज, समाजवादी शिक्षक मंच तथा जे. पी. फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ शशि शेखर सिंह, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राध्यापक तथा नागरिक मंच के संयोजक डॉ अनिल ठाकुर, दिल्ली नगर निगम के पूर्व पार्षद राकेश कुमार, संजय कनौजिया, केदार तथा कई अन्य साथियों ने भागीदारी की।
बापू की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद समाजवादी समागम के साथी इंकलाब जिंदाबाद, भारत छोड़ो आंदोलन के शहीद अमर रहें, अंधेरे में तीन प्रकाश – गांधी, लोहिया, जयप्रकाश, आचार्य नरेंद्र देव अमर रहें, युसुफ मेहर अली अमर रहें, अरुणा आसफ अली अमर रहें आदि नारे लगाते हुए पदयात्रा कर आचार्य नरेंद्रदेव वाटिका पहुंचे और आचार्य नरेंद्रदेव की आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और श्रद्धांजलि दी। इसके बाद समाजवादी समागम ने प्रो राजकुमार जैन की अध्यक्षता में आचार्य नरेंद्रदेव वाटिका में भारत छोड़ो आंदोलन के शहीदों की य़ाद में सभा की।
सभा को संबोधित करते हुए डॉ शशि शेखर सिंह ने भारत छोड़ो आंदोलन के ऐतिहासिक संदर्भ को याद किया और भारतीय समाज में दलितों, पिछड़े, स्त्रियों, अल्पसंख्यकों, मजदूरों, किसानों तथा आदिवासियों के लिए समाजवादी आंदोलन के योगदान की चर्चा की। उन्होंने आज भारतीय समाज में बढ़ती सांप्रदायिकता की राजनीति और अल्पसंख्यकों के खिलाफ राज्य के संरक्षण में पुलिस तथा हिंदुवादी संगठनों की बढ़ती हिंसा की तीखी आलोचना की। ऐसी राजनीति को उन्होंने राष्ट्र को खंडित करनेवाली खतरनाक कोशिश कहा।
डॉ हरीश खन्ना ने एक कार्टून का उदाहरण के द्वारा यह बताया कि कैसे समाज में जिनको अपना घर नहीं है किंतु उन्हें हर घर तिरंगा के नारे के द्वारा घर पर तिरंगा लहराने कहा जा रहा है। उन्होंने दिल्ली सरकार द्वारा जगह जगह ऊँचे झंडे लगाने के नाम पर करोड़ों रुपये के देशभक्ति बजट पर दुख जताया और कहा कि ये धनराशि गरीबों के विकास पर खर्च होनी चाहिए। अरुण श्रीवास्तव ने 9 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी तथा अन्य कांग्रेस नेताओं की ब्रिटिश सरकार द्वारा गिरफ्तारी के बाद समाजवादी नेत्री अरुणा आसफ अली के द्वारा गवालिया टैंक मैदान में कांग्रेस का तिरंगा फहराने के साहसिक कारनामे की याद दिलाई। सभा को राकेश कुमार, केदार ने भी संबोधित किया और भविष्य में और तैयारी के साथ क्रांति दिवस को मनाने पर जोर दिया। सभा में साथी अनिल ठाकुर ने शहीदों को अपने संबोधन में याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी।
सभा के अध्यक्ष प्रो राजकुमार जैन ने दिल्ली में क्रांति दिवस को जोर-शोर से मनाने के इतिहास की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने दिल्ली के प्रसिद्ध समाजवादी नेता तथा स्वतंत्रता सेनानी लाला रूपनारायण जी द्वारा अंतिम दिनों तक क्रांति दिवस पर कार्यक्रम में शामिल होने को याद किया और कहा कि युवा साथियों को ऐसे समर्पित तथा प्रतिबद्ध समाजवादी नेता से प्रेरणा लेने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि डॉ लोहिया चाहते थे कि क्रांति दिवस जनता का दिवस है और इसे जनता को 15 अगस्त के राजकीय उत्सव से भी जोरदार ढंग से मनाया जाना चाहिए। सभा का संचालन संजय कनौजिया ने किया और उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीय समाज में डॉ लोहिया और डॉ आंबेडकर के विचारों के आधार पर जाति को जाति से जोड़ने की जरूरत है तभी भारतीय समाज से जाति आधारित जुल्म और शोषण खत्म होगा। सभा का समापन इस विश्वास के साथ किया गया कि अगले साल क्रांति दिवस और उत्साह के साथ मनाएंगे और जे.पी, आचार्य नरेंद्रदेव, लोहिया के विचारों को युवाओं तक ले जाएंगे।