आर्थिक असुरक्षा के शिकार तबकों में आत्महत्या की घटनाएं बढ़ीं

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1 सितंबर। दिहाड़ी मजदूरों, स्वरोजगार से जुड़े लोगों, बेरोजगारों और कृषि क्षेत्र से संबद्ध लोगों ने 2021 में सर्वाधिक संख्या में आत्महत्या की। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। उल्लेखनीय है कि 2021 कोविड-19 महामारी का वर्ष था। एनसीआरबी की एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में 2021 में कुल 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या की।

रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में 1,18,979 पुरुषों ने आत्महत्या की, जिनमें से 37,751 दिहाड़ी मजदूर, 18,803 स्वरोजगार से जुड़े लोग और 11,724 बेरोजगार शामिल थे। आँकड़ों के अनुसार, 2021 में 45,026 महिलाओं ने आत्महत्या की। रिपोर्ट के अनुसार, कृषि क्षेत्र से संबद्ध 10,881 लोगों ने आत्महत्या की, जिनमें से 5,318 किसान और 5,563 खेत मजदूर थे। 5,318 किसानों में से 5107 पुरुष और 211 महिलाएं थीं। 5,563 खेत मजदूरों में से 5,121 पुरुष तथा 442 महिलाएं थीं। आँकड़ों के अनुसार, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओड़िशा, त्रिपुरा, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, चंडीगढ़, लक्षद्वीप और पुदुच्चेरी जैसे कुछ राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में किसी किसान या खेत मजदूर ने आत्महत्या नहीं की।

रिपोर्ट के अनुसार, कृषि क्षेत्र से जुड़े सर्वाधिक संख्या में, 37.3 प्रतिशत लोगों ने महाराष्ट्र में आत्महत्या की। इसके बाद कर्नाटक (19.9 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (9.8 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (6.2 प्रतिशत) और तमिलनाडु (5.5 प्रतिशत) का स्थान है। आँकड़ों के अनुसार, 2021 में आत्महत्या करनेवाले 1,64,033 लोगों में निजी क्षेत्र के उद्यमों में कार्यरत 7.0 प्रतिशत यानी 11,431 लोग थे, जबकि 1.2 प्रतिशत यानी 1,898 सरकारी कर्मचारी थे। स्वरोजगार से जुड़े 20,231 लोगों ने आत्महत्या की। रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में आत्महत्या करनेवाले 1,05,242 लोगों की वार्षिक आय एक लाख रुपये से कम थी, जबकि 51,812 लोग एक लाख रुपये से पांच लाख रुपये तक की वार्षिक आय वर्ग के थे।

एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2020 में आत्महत्या के कुल 1,53,052 मामले दर्ज किए गए, जबकि 2021 में सात प्रतिशत अधिक कुल 1,64,033 मामले दर्ज किए गए थे। इसमें कहा गया है कि आत्महत्या की दर में 6.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। पिछले साल देश में महाराष्ट्र में आत्महत्या के सर्वाधिक 22,207 मामले दर्ज किए गए। इसके बाद तमिलनाडु में 18,925, मध्य प्रदेश में 14,965, पश्चिम बंगाल में 13,500 और कर्नाटक में 13,056 मामले दर्ज किए गए, जो आत्महत्या के कुल मामलों का क्रमशः 13.5 प्रतिशत, 11.5 प्रतिशत, 9.1 प्रतिशत, 8.2 प्रतिशत और आठ प्रतिशत है।

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