5 सितंबर। असम में बीते 8 सालों के दौरान राजद्रोह के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के आँकड़ों के मुताबिक 2014 से लेकर 2021 के बीच देश में दर्ज किए गए 475 राजद्रोह के मामलों में से 69 मामले सिर्फ असम से थे। असम में आए मामलों की संख्या 8 साल के कुल आँकड़ों (राजद्रोह के 475 मामलों) का 14.52 प्रतिशत है। इसका मतलब है कि पिछले आठ वर्षों में देश में दर्ज छह में से एक राजद्रोह का मामला असम से आया है। एनसीआरबी ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के जारी किए गए आँकड़ों की रिपोर्ट के आधार पर उन्हें एकत्र करके प्रकाशित किया है। वहीं साल 2014 से हुए राजद्रोह के अब तक के मामलों पर आईपीसी की धारा 124ए के तहत रजिस्टर्ड डेटा उपलब्ध है।
एनसीआरबी की ‘क्राइम इन इंडिया’ रिपोर्ट के ताजा आँकड़ों के मुताबिक साल 2021 में देश भर में 76 राजद्रोह के मामले दर्ज किए गए थे, जो 2020 में दर्ज किए गए 73 मामलों से मामूली रूप से ज्यादा था। वहीं 2019 में इन मामलों की संख्या 93, 2018 में 70, 2017 में 51 मामले, 2016 में 35 मामले, 2015 में 30 मामले और 2014 में 47 मामले दर्ज किए गए थे।
राजद्रोह के मामलों को राज्यवार देखें तो पता चलता है, कि असम के बाद हरियाणा में ऐसे सबसे अधिक (42) केस दर्ज किए गए। वहीं इसके बाद झारखंड में 40 मामले, कर्नाटक 38 केस, आंध्र प्रदेश में 32 और जम्मू और कश्मीर 29 केस दर्ज किए गए। कुल मिलाकर इन छह राज्यों में ही 250 मामले दर्ज किए गए हैं जो कि 8 साल में पूरे देश में दर्ज राजद्रोह के कुल मामलों की संख्या के आधे से अधिक हैं।
असम में राजद्रोह के रजिस्टर्ड मामले उस अवधि में दर्ज किए गए जब राज्य के 69 मामलों में से वर्ष 2021 में तीन, वर्ष 2020 में 12, वर्ष 2019 में 17, वर्ष 2018 में भी 17 मामले, वर्ष 2017 में 19, वर्ष 2014 में एक मामला दर्ज किया गया था। वहीं राज्य में साल 2015 और 2016 में कोई भी राजद्रोह का मामला दर्ज नहीं किया गया था। इसके अलावा देश के नौ अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने पिछले आठ सालों के दौरान राजद्रोह के मामले में दोहरे अंक में पहुँचने वाले प्रदेशों में मणिपुर (28), उत्तर प्रदेश (27), बिहार (25), केरल (25), नगालैंड (17), दिल्ली (13), हिमाचल प्रदेश (12), राजस्थान (12) और पश्चिम बंगाल (12) जैसे राज्य शामिल थे।