सिद्दीकी कप्पन को मिली जमानत, सुप्रीम कोर्ट ने उप्र सरकार से पूछा, “हाथरस की लड़की के लिए न्याय माँगना अपराध कैसे?”

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9 सितंबर। सुप्रीम कोर्ट ने हाथरस मामले में हिंसा भड़काने की साजिश रचने के आरोप में 6 अक्टूबर, 2021 को यूपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार पत्रकार सिद्दीक कप्पन को शुक्रवार को जमानत दे दी। अदालत ने कप्पन को अगले 6 सप्ताह के लिए दिल्ली में रहने के लिए कहा, और उसके बाद उसे केरल वापस जाने की अनुमति दी। साथ ही वह हर हफ्ते स्थानीय पुलिस स्टेशन और अन्य शर्तों के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करेंगे।

भारत के चीफ जस्टिस यू.यू. ललित और जस्टिस एस. रवींद्र भट की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश राज्य के इस तर्क से सहमत नहीं हुआ, कि कप्पन के पास से कथित रूप से जब्त किए गए दस्तावेज उत्तेजक प्रकृति के थे। सीजेआई यूयू ललित की अगुवाई वाली पीठ ने देखा, कि दस्तावेज हाथरस पीड़ित के लिए न्याय की माँग के लिए विरोध प्रदर्शन करने वाले पर्चे थे। इस पर पीठ ने कहा, कि प्रत्येक व्यक्ति को स्वतंत्र अभिव्यक्ति का अधिकार है और यूपी सरकार से पूछा, कि क्या एक ऐसे विचार का प्रचार करना जिसकी पीड़ित को आवश्यकता है या कानून की नजर में पीड़िता को इंसाफ दिलाना अपराध है?

पीठ ने उत्तर प्रदेश राज्य की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी से पूछा, कि उक्त साहित्य किस प्रकार उत्तेजक प्रकृति का था और यदि यह उत्तेजक था, तो क्या अभियुक्त द्वारा उक्त साहित्य का उपयोग करने का कोई प्रयास किया गया था। सीनियर एडवोकेट जेठमलानी ने साहित्य को ‘दंगों के लिए एक टूलकिट’ के रूप में संदर्भित किया। कप्पन की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने बताया, कि वे ‘जस्टिस फॉर हाथरस गर्ल’ टाइटल वाले पर्चे थे।

जेठमलानी ने पैम्फलेट पढ़कर आरोप लगाया कि इसका मकसद दलितों की भावनाओं को भड़काना था। पुलिस ने परिवार को उनके घर के अंदर बंद कर दिया और बिना किसी को बताए शव को जला दिया (पम्फलेट से)। इसलिए पुलिस को भी इसमें घसीटा गया। तो सारा प्रचार सिर्फ हाथरस के लिए है। यह काम दलित खुद नहीं कर रहे हैं बल्कि पीएफआई कर रहा है। हालांकि, पीठ इस तर्क से सहमत नहीं थी और कहा कि सभी को खुद को व्यक्त करने की स्वतंत्रता है।

सीजेआई ललित ने कहा, “कि देखिए हर व्यक्ति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है, और इसलिए वह इस विचार का प्रचार करने की कोशिश कर रहा है कि यह पीड़ित है जिसे न्याय की आवश्यकता है और इसलिए हम एक आम आवाज उठाएं। क्या यह कानून की नजर में अपराध जैसा कुछ है?”

अदालत ने अंततः केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को जमानत दे दी, जो हाथरस षड्यंत्र मामले में 6 अक्टूबर, 2020 से यूपी पुलिस की हिरासत में थे। अदालत ने आदेश में स्पष्ट किया, कि उसने जांच की प्रगति और अभियोजन द्वारा एकत्र की गई सामग्री पर टिप्पणी करने से परहेज किया है क्योंकि मामला आरोप तय होने के चरण में है।

(Livelaw.in से साभार)

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