सरकार के रिकॉर्ड में शून्य, किंतु बंगाल में 122 किसानों ने की आत्महत्या- आरटीआई में खुलासा

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13 सितंबर। पश्चिम बंगाल के एक जिले में किसानों और कृषि काम से जुड़े 122 लोगों की मौत आत्महत्या से हुई है। सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी से यह खुलासा हुआ है। यह आँकड़ा राज्य सरकार और हालिया जारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आँकड़ों के विपरीत है। दोनों ने ही अपने आँकड़ों में कृषि गतिविधियों से जुड़े लोगों की आत्महत्या से हुई मौतों की संख्या शून्य बताई है। ‘वायर’ की रिपोर्ट के अनुसार, आरटीआई कार्यकर्ता बिस्वनाथ गोस्वामी के एक सवाल के जवाब में राज्य जन सूचना अधिकारी और पश्चिम मेदिनीपुर जिले के पुलिस उपाधीक्षक द्वारा जो जानकारी प्रदान की गई है, उसमें जिले भर के 23 पुलिस थानों से जुटाई गई किसानों और कृषि संबंधित आत्महत्याओं की जानकारी है। पश्चिम मेदिनीपुर में 2021 में 122 किसानों और कृषि श्रमिकों द्वारा आत्महत्या की गयी।

सवाल के जवाब से पता चला है, कि मौजूदा वर्ष 2022 में अब तक जिले में 34 किसान और कृषि श्रमिक आत्महत्या कर चुके हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, कि पिछले कई सालों से पश्चिम बंगाल सरकार सार्वजनिक मंचों और राज्य विधानसभा में यह दिखाती रही है, कि राज्य में एक भी किसान और कृषि से संबंधित आत्महत्या नहीं हुई है। एनसीआरबी की ‘दुर्घटना में हुई मौतों और आत्महत्या’ से संबंधित 2021 की रिपोर्ट में बंगाल में इस साल किसानों या कृषि गतिविधियों से आजीविका कमानेवालों की आत्महत्या से एक भी मौत दर्ज नहीं की गई है। इसी संदर्भ में गौरतलब है, कि पिछले साल पश्चिम बंगाल के पूर्वी वर्धमान जिले से दो दिनों के भीतर तीन किसानों के मृत पाए जाने की खबरों ने सुर्खियां बटोरी थीं। मृतक किसानों के परिवारों ने दावा किया था, कि उन्होंने चक्रवात जवाद के चलते हुई बेमौसम बारिश के कारण उनकी आलू और धान की फसलें खराब हो जाने पर आत्महत्या कर ली थी।

‘डाउन टु अर्थ’ ने एनसीआरबी के नवीनतम निष्कर्षों में पाया था, कि पूरे भारत में 2021 में 5,563 खेतिहर मजदूरों की मौत आत्महत्या से हुई थी। यह संख्या 2020 की अपेक्षा 9 फीसदी और 2019 की अपेक्षा 29 फीसदी अधिक थी। कृषि श्रमिकों में आत्महत्या से सबसे अधिक मौतें महाराष्ट्र में 1,424, कर्नाटक में 999 और आंध्र प्रदेश में 584 हुईं थीं। वहीं पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओड़िशा, त्रिपुरा, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, चंडीगढ़ और लक्षद्वीप में ऐसे मामलों की संख्या शून्य थी। विदित हो, कि भारत में ज्यादातर किसान कर्ज, लागत बढ़ने, सिंचाई के अभाव, कीमतों में कमी और फसल के बर्बाद होने के चलते आत्महत्या का रास्ता चुनते हैं। एनसीआरबी के डेटा के हिसाब से साल 2014 से लेकर साल 2020 तक कृषि सेक्टर से जुड़े कुल 78,303 लोगों ने आत्महत्या की जिसमें से 43,181 किसान थे।

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