उधमसिंह नगर में इंटरार्क प्लांट के मजदूरों का धरना जारी, समर्थन में आए किसान संगठन

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15 सितंबर। उत्तराखंड के उधमसिंह नगर में स्थित इंटरार्क बिल्डिंग मैटीरियल्स प्राइवेट लि. के किच्छा प्लांट के मजदूरों का मशीनों को शिफ्ट करने के विरोध में कार्यबहिष्कार धरना नौवें दिन भी जारी रहा। मजदूरों के जोश को देखते हुए बुधवार को तराई किसान संगठन के पदाधिकारीगण एवं सदस्यों ने किच्छा में धरना स्थल पर मजदूर आंदोलन को अपना पूर्ण समर्थन देने की बात कही। संगठन के सदस्य जरनैल सिंह ने कहा, कि इंटरार्क के मजदूरों के साथ प्रबंधन और प्रशासन दोनों ने धोखा दिया है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी प्रबंधन ने मशीनों को शिफ्ट कर दिया है। उनका कहना है, कि न्याय की गुहार लगानेवाले लोगों को शासन प्रशासन और उद्योगपतियों द्वारा कुचला जा रहा है।

उन्होंने कंपनी प्रबंधन को स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी, कि इतना लंबा समय गुजर जाने के बाद भी अगर कंपनी प्रबंधक मजदूरों की बातों पर अमल नहीं करते हैं तो किसान और मजदूर मिलकर व्यापक आंदोलन करेंगे जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी कंपनी प्रबंधकों एवं यहाँ के प्रशासनिक अधिकारियों की होगी। विदित हो, कि रुद्रपुर के सिडकुल में कंपनी के दूसरे प्लांट में हाल ही में एक महीने के लॉकआउट के बाद कंपनी खुली है, और वहाँ भी मशीने शिफ्ट करने की कोशिश हो रही थी। इन्टरार्क मजदूरों का कहना है, कि प्रबंधक का अड़ियल रवैया अब भी बरकरार है। प्रबंधक द्वारा मजदूरों की माँगों को अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है, एवं मजदूरों पर दबाव बनाने के लिए प्रबंधक लगातार प्रशासन के साथ सांठगांठ करने में लगे हुए हैं।

कंपनी प्रबंधक तरह तरह के झूठे आरोप लगातार मजदूरों के ऊपर लगाने का प्रयास कर रहे हैं, और अपनी गैरकानूनी गतिविधियों को सही ठहराने के प्रचार में लगे हैं। गौरतलब है, कि पिछले 13 महीनों से मजदूर अपने शोषण व उत्पीड़न के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं जिसमें सिडकुल पंतनगर एवं किच्छा फैक्ट्री के बाहर मजदूर अपने परिवार संग लगातार चौबीसों घंटे धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले 4 वर्षों में मजदूरों के वेतन में कोई वृद्धि नहीं की गई है। बोनस, एलटीए, व अन्य सुविधाएं बंद कर दी गई हैं। झूठे मुकदमे व आरोप लगाकर निलंबित कर दिया गया है। लगातार 4 वर्षों से मजदूर अपनी जायज माँगों को लेकर संघर्ष के मैदान में हैं। कंपनी प्रबंधकों द्वारा श्रमिकों पर दबाव बनाने के लिए श्रमिकों पर झूठे आरोप लगाकर लगभग 95 मजदूरों को बाहर कर दिया गया है। हाईकोर्ट नैनीताल के आदेश के बाद भी कंपनी प्रबंधक पुलिस प्रशासन से मिलकर कंपनी की मशीनों को बाहर निकालने में कामयाब हुए जिसके कारण मजदूरों के सब्र का बांध टूट गया। दोनों प्लांटों के मजदूर सामूहिक रूप से कार्य का बहिष्कार करते हुए धरने पर बैठ गए।

(‘वर्कर्स यूनिटी’ से साभार)

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