11 अक्टूबर। केंद्र और पंजाब सरकार के सहयोग से चल रहे पंजाब के आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्थिति बद से बदतर हो गयी है। हालत यह है कि विगत 3 वर्षों से राज्य सरकार ने आंगनवाड़ी केंद्रों का किराया नहीं जमा किया है। परिणामस्वरूप आंगनवाड़ी कर्मचारी और बच्चे इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं। आंगनवाड़ी केंद्र बंद होने के डर से मानदेय पर काम कर रही कर्मी खुद किराया भरकर इन केन्द्रों का अस्तित्व बचा रही हैं। ‘पंजाब केसरी’ की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले माह 30 सितंबर को कांग्रेस के विधायक अमरिंदर सिंह राजा ने शून्यकाल में इस मामले को विधानसभा में उठाया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि पंजाब के आंगनबाड़ी केन्द्रों के कर्मचारियों को 3 माह से वेतन नहीं मिला और 3 से अधिक वर्षों से सरकार ने राज्यभर में कई स्थानों पर किराए के कमरे में चल रहे केन्द्रों का किराया भी अदा नहीं किया है। कर्मचारी खुद के वेतन से किराया अदा कर रहे हैं। आंगनवाड़ी केन्द्रों में से अधिकांश को किराया न मिलने से मकान मालिकों ने उनसे घर खाली करवा लिया है।
विदित हो, कि राज्य में कुल 27000 आंगनवाड़ी केंद्र हैं, जिनमें से 6000 से अधिक केंद्र किराए के कमरे में चलाए जा रहे हैं। ‘ऑल पंजाब आंगनवाड़ी कर्मचारी यूनियन’ की अध्यक्ष हरगोबिन्द कौर ने मीडिया के जरिये बताया, कि कोरोना काल से पूर्व ही सरकार ने आंगनवाड़ी केंद्रों का किराया नहीं दिया है। अधिकांश बंद केंद्रों को आंगनवाड़ी कर्मचारियों ने खुद किराया जमा करके चलाया और अभी तक अनवरत रूप से चला रहे हैं। इस बारे में पहले अमरिंदर सरकार फिर चरणजीत सिंह चन्नी और अब भगवंत मान सरकार में बाल एवं महिला विकास मंत्री से बार-बार भेंट की जा चुकी है, परन्तु कोई सकारात्मक हल नहीं निकल सका है।