20 अक्टूबर। मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं के दावे कितने झूठे हैं, इसकी हकीकत पिछले दो दिनों में सामने आ गई है। छतरपुर जिले एक परिवार को 4 साल के बच्चे के शव को घर ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली तो कंधे पर लादकर उसे घर ले जाने को परिजन मजबूर हो गए। वहीं इस घटना से पहले एक नवजात शिशु के शव को घर ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली तो उसे पॉलिथीन में डाल बाइक की डिग्गी में डाल परिवार ले गया।
सिंगरौली जिले में एक गरीब परिवार की महिला प्रसव के लिए सरकारी अस्पताल गई तो उसे निजी अस्पताल भेज दिया गया। वहाँ दो बार पैसे के लिए दौड़ाने के बाद पाँच हजार रुपये जमा कराए गये, इसके बाद ही उसको भर्ती किया गया। अल्ट्रासाउंड में पता चला, कि बच्चे की गर्भ में ही मौत हो गई है। फिर उसे जिला अस्पताल भेज दिया गया, जहाँ मृत बच्चे का जन्म हुआ। पिता ने महिला की गंभीर हालत देख एंबुलेंस की माँग की, तो मना कर दिया गया। मजबूरन वह अपने बच्चे के शव को मोटरसाइकिल की डिक्की में रखकर पत्नी को लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुँचा और अपनी फरियाद की।
कलेक्ट्रेट में उन्होंने अपने मृत बच्चे को मोटरसाइकिल की डिक्की से निकालकर दिखाया भी, इससे वहाँ के लोगों में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था के प्रति काफी नाराजगी रही। कलेक्टर ने एसडीएम को तुरंत जाँच के निर्देश दिए। उन्होंने परिजनों को आश्वस्त किया, कि सभी तथ्य सही पाए गए तो आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
दूसरा मामला पन्ना जिले के सिमरिया थाना क्षेत्र के ग्राम राजपुर का है। इस गाँव के सौरभ चौधरी नाम के बच्चे की तबीयत बिगड़ने पर उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहाँ शुक्रवार की दोपहर बच्चे की मौत हो गई। इसके बाद परिजन डॉक्टर और स्टाफ से शव वाहन की माँग करते रहे, लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी। करीब एक घंटे इंतजार के बाद बाप अपने बच्चे के शव को कलेजे से लगाकर बाइक से 80 किमी दूर गाँव राजपुर के लिए चल दिए।